सीबीआई के विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने कहा कि अस्थाना और सीबीआई के डीएसपी देवेन्द्र कुमार के खिलाफ कार्रवाई आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है.
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने बीते शनिवार को रिश्वत के एक मामले में सीबीआई के आरोपपत्र का संज्ञान लिया जिसमें एजेंसी ने अपने पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को हाल में क्लीनचिट दी थी.
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने कहा कि अस्थाना और सीबीआई के डीएसपी देवेन्द्र कुमार के खिलाफ कार्रवाई आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है जिन्हें 2018 में गिरफ्तार किया गया था और बाद में जमानत मिल गई थी.
अदालत ने बिचौलिये मनोज प्रसाद को समन किया जिसे आरोपपत्र में आरोपी बताया गया था. इसके अलावा अदालत ने प्रसाद के भाई सोमेश्वर श्रीवास्तव और ससुर सुनील मित्तल को भी यह कहते हुए समन किया कि उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए पर्याप्त सामग्री है.
जांच के दौरान श्रीवास्तव और मित्तल के नाम सामने आए थे. अदालत ने प्रसाद, श्रीवास्तव और मित्तल को 13 अप्रैल को पेश होने के निर्देश दिए.
न्यायाधीश ने कहा, ‘मनोज प्रसाद, सोमेश्वर श्रीवास्तव और सुनील मित्तल के खिलाफ कार्रवाई के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं. मैं उन्हें 13 अप्रैल के लिए समन कर रहा हूं. राकेश अस्थाना और देवेन्द्र कुमार को समन नहीं किया जा रहा है क्योंकि उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं.’
अदालत ने यह भी कहा कि सीबीआई अगर जांच में अस्थाना के खिलाफ कुछ पाती है तो वह आरोपपत्र दायर कर सकती है. अदालत ने आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र), 420 (ठगी) और 385 (फिरौती) तथा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धाराओं के तहत दायर आरोपपत्र का संज्ञान लिया.
एजेंसी के पूर्व जांचकर्ता एके बस्सी ने अदालत को बताया था कि मामले में अस्थाना के खिलाफ ‘मजबूत साक्ष्य’ हैं. 11 फरवरी को दायर आरोपपत्र में केवल प्रसाद को आरोपी बताया गया था. निलंबित डीएसपी देवेन्द्र कुमार 2017 के मामले में जांच अधिकारी थे जिसमें मांस व्यापारी मोईन कुरैशी संलिप्त थे.
हैदराबाद के व्यवसायी सतीश सना को मोइन कुरैशी मनी लॉन्ड्रिंग मामले से कथित तौर पर जुड़े होने के कारण गिरफ्तार किया गया था और उसने दावा किया कि उसके जुड़ाव सीबीआई और रॉ के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हैं. सना की शिकायत पर कथित रिश्वत का वर्तमान मामला दर्ज किया गया था.