विवादों के घेरे में क्यों है प्रशांत किशोर का ‘बात बिहार की’ अभियान?

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने ‘बात बिहार की’ नाम से एक अभियान की शुरुआत की है. इस अभियान को लेकर प्रशांत किशोर पर आइडिया चोरी करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई गई है.

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Prashant Kishor, political strategist of India's main opposition Congress party, is pictured at a hotel in New Delhi, India May 15, 2016. To match Insight INDIA-CONGRESS/ REUTERS/Anindito Mukherjee
प्रशांत किशोर. (फोटो: रॉयटर्स)

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने ‘बात बिहार की’ नाम से एक अभियान की शुरुआत की है. इस अभियान को लेकर प्रशांत किशोर पर आइडिया चोरी करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई गई है.

Prashant Kishor, political strategist of India's main opposition Congress party, is pictured at a hotel in New Delhi, India May 15, 2016. To match Insight INDIA-CONGRESS/ REUTERS/Anindito Mukherjee
प्रशांत किशोर (फोटो: रॉयटर्स)

पटना: जनता दल यूनाइटेड (जदयू) से निकाले जाने के बाद चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने 18 फरवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खरी-खोटी सुनाई थी और ‘बात बिहार की’ नाम से आंकड़ों पर आधारित एक कैंपेन शुरू करने की घोषणा की थी.

इस घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर ये कैंपेन जोर-शोर से शुरू हो गया. लेकिन कैंपेन शुरू होने के एक हफ्ते के भीतर ही ये विवादों के घेरे में भी आ गया.

कांग्रेस नेता व जाने-माने डेटा विश्लेषक शाश्वत गौतम ने प्रशांत किशोर पर प्रचार अभियान का आइडिया और लोगो चुराने का संगीन आरोप लगाया है. इसको लेकर उन्होंने 25 फरवरी को पटना के पाटलीपुत्र थाने में एफआईआर दर्ज कराई है.

अपनी शिकायत में उन्होंने प्रशांत किशोर के साथ ही एक स्थानीय युवक ओसामा खुर्शीद को भी आरोपी बनाया है. थाने में दिए गए लिखित आवेदन में शाश्वत ने कहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर वह पाटलीपुत्र कॉलोनी में स्थित अपने दफ्तर में पिछले कुछ महीनों से बिहार केंद्रित चुनाव अभियान की रूपरेखा तैयार कर रहे थे.

शाश्वत गौतम के मुताबिक, वह ओसामा खुर्शीद को साल 2017 से ही जानते हैं. वह बिना किसी पैसे के एक राजनीतिक कार्यकर्ता के तौर पर उनके अभियान में सहयोग कर रहे थे. उनका आरोप है कि इसी बीच फरवरी की शुरुआत में ओसामा ने कार्यालय आना बंद कर दिया और कार्यालय का लैपटॉप लेकर गायब हो गए.

शाश्वत गौतम शिकायत में लिखते हैं, ‘लैपटॉप में डाटा संग्रहण, अभियान की रूपरेखा और कार्य योजना, ग्राफिक्स और संबंधित लोगो डिजाइन के साथ-साथ कई प्रकार की बौद्धिक सामग्री थी. कई दफा फोन किए जाने और वॉट्सऐप के माध्यम से संदेश देने के बावजूद ओसामा खुर्शीद ने लैपटॉप नहीं लौटाया. बाद में सहयोगियों के कहने पर लैपटॉप वापस किया.’

अपनी शिकायत में वह आगे लिखते हैं, ‘इसके कुछ दिन बाद प्रशांत किशोर नाम के शख्स ने, जो चुनाव अभियान से संबंधित काम करता है, 18 फरवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मेरे डाटा संग्रहण, अभियान की रूपरेखा और कार्य योजना, ग्राफिक्स और संबंधित लोगो डिजाइन के साथ-साथ अन्य कई प्रकार की बौद्धिक सामग्री को अपना बताते हुए ‘बात बिहार की’ नाम से एक अभियान की शुरुआत करने की घोषणा की.’

आवेदन में उन्होंने प्रशांत किशोर, ओसामा खुर्शीद और उनके अज्ञात सहयोगियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर उचित कानूनी कार्रवाई करने की अपील की है.

आवेदन की बुनियाद पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 467 (महत्वपूर्ण दस्तावेज की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के इरादे से जालसाजी), 471 (जालसाजी कर उड़ाए गए कागजी या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को मौलिक बताना), 420 (धोखाधड़ी), 406 (भरोसे का आपराधिक उल्लंघन) और 120बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत एफआईआर दर्ज कर लिया है.

इन धाराओं के तहत अपराध साबित होने पर दोषियों को आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है.

थाने में शिकायत दर्ज कराने के अलावा शाश्वत गौतम ने 25 फरवरी को ही पटना सिविल कोर्ट में कॉपीराइट उल्लंघन का केस भी दायर किया और कहा कि इससे उन्हें करीब 10 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

पाटलीपुत्र थाने के एसएचओ कामेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि एफआईआर को लेकर कुछ चश्मदीद गवाहों से पूछताछ कर उनके बयान दर्ज किए गए हैं और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य जुटाने के लिए मेल भेजा गया है.

प्रशांत किशोर और ओसामा खुर्शीद ने पिछले दिनों अग्रिम जमानत के लिए स्थानीय अदालत का दरवाजा खटखटाया था. पटना के जिला और सत्र न्यायाधीश रुद्र प्रकाश मिश्रा ने उनकी जमानत अर्जी खारिज करते हुए 12 मार्च को सुनवाई की तारीख मुकर्रर की थी, लेकिन वकीलों की हड़ताल के कारण 12 मार्च को सुनवाई नहीं हो पाई.

शाश्वत गौतम सूचना तकनीकी में इंजीनियरिंग और पब्लिक रिलेशंस में पोस्ट ग्रैजुएट हैं. जॉर्ज वाशिंग्टन यूनिवर्सिटी से उन्होंने डेटा एनालिटिक्स में एमबीए की डिग्री हासिल की. उसी यूनिवर्सिटी से उन्होंने छात्र राजनीति में प्रवेश किया और छात्र संघ के चुनाव में जीत भी दर्ज की.

वर्ष 2012 के आखिर में वह मैरीलैंड सरकार के वॉटर कमीशन में नियुक्त किए गए जहां वह डेटा का विश्लेषण करते थे. पांच साल वहां काम करने के बाद फरवरी 2017 में वह पटना लौट आए.

फरवरी 2017 से जुलाई 2017 तक उन्होंने नीतीश कुमार के साथ काम किया. नीतीश कुमार के साथ जब वह काम कर रहे थे तो उनका फोकस जदयू प्रवक्ताओं को डेटा से लैस करना था. जदयू जब महागठबंधन से अलग हो गया, तो उन्होंने जदयू के लिए काम करना बंद कर दिया और एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टिट्यूट (एडीआरआई) से जुड़ गए.

बाद में उन्हें सेंटर फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी एंड पब्लिक फाइसेंस का डायरेक्टर भी बनाया गया. सितंबर 2018 में राहुल गांधी ने उन्हें कांग्रेस के डेटा एनालिटिक्स डिपार्टमेंट का नेशनल को-ऑर्डिनेटर बना दिया. फिलहाल वह कांग्रेस में बने हुए हैं.

शाश्वत गौतम ने कहा, ‘प्रशांत किशोर 16 फरवरी को दोपहर बाद ‘बात बिहार की’ नाम से डोमेन रजिस्टर करते हैं. 18 फरवरी की सुबह 11 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं और 19 फरवरी को वेबसाइट लाइव हो जाती है. केवल दो दिनों में पूरे अभियान को शुरू कर दिया जाता है. क्या आपको लगता है कि दो दिन में कोई वेबसाइट तैयार कर उसे लाइव कर देगा? इससे जाहिर है कि इस पर वह काम कर रहे थे, लेकिन उनके पास डोमेन नहीं था. या फिर इसे आनन-फानन में किया गया है.’

शाश्वत गौतम ने हालांकि शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन वह ये भी कह रहे हैं कि अगर प्रशांत किशोर अपनी गलती मानते हुए ये स्वीकार कर लें कि आइडिया उन्होंने चुराया है, तो वह केस वापस ले लेंगे.

वे कहते हैं, ‘मैं पहले दिन से ही कह रहा हूं कि क्षमा कर देना गांधीवादी विचार है. मैं कह रहा हूं कि प्रशांत किशोर अगर मान लें कि उन्होंने गलती की है और सार्वजनिक तौर पर माफी मांग लें तो मैं खुशी-खुशी केस वापस ले लूंगा. लेकिन अगर उन्हें लगता है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है तो सही-गलत कोर्ट तय करेगा.’

क्या इससे ये संदेश नहीं जा रहा है कि आपका पक्ष कमजोर है, इस सवाल पर उन्होंने कहा, ‘मैं हाई मोरल ग्राउंड पर हूं. मैं बस इतना कह रहा हूं कि आपसे गलती हुई है, इसे स्वीकार कीजिए. मेरी पूरी लड़ाई इस बात को लेकर ही है कि प्रशांत किशोर ने जो डेटा आधारित प्रचार अभियान शुरू किया है, वो वास्तव में मेरा आइडिया है. प्रशांत किशोर ये स्वीकार कर लें.’

शाश्वत गौतम के अनुसार, वह बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर डेटा आधारित प्रचार अभियान शुरू करने वाले थे. इसके लिए उन्होंने 7 जनवरी को ही ‘बिहार की बात’ नाम से एक डोमेन रजिस्टर कराया था.

वे कहते हैं, ‘मैं मार्च से ये अभियान शुरू करना चाहता था और ओसामा तथा एक और व्यक्ति सीधे तौर पर इससे जुड़े हुए थे. मैं ये अभियान कांग्रेस के बैनर से नहीं बल्कि एक डेटा विश्लेषक की हैसियत से शुरू करना चाहता था.’

उन्होंने कहा, ‘प्रशांत किशोर ने मेरे प्रस्तावित कैंपेन ‘बिहार की बात’ को बदल कर ‘बात बिहार की’ कर दिया. उन्होंने जो लोगो जारी किया, वो पूरी तरह मेरे लोगो जैसा है. इस अभियान को लेकर ओसामा से मेरी लगातार बात हो रही थी. वॉट्सऐप व दूसरे प्लेटफॉर्म के जरिये सूचनाओं का आदान-प्रदान हो रहा था. ये सब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है.’

ओसामा खुर्शीद जदयू की तरफ से पटना यूनिवर्सिटी का छात्रसंघ चुनाव लड़ चुके हैं. उस वक्त प्रशांत किशोर जदयू में थे और छात्रसंघ चुनाव में भी काफी सक्रिय थे.

शाश्वत गौतम के आरोपों को लेकर ओसामा से संपर्क किया गया तो उन्होंने शाश्वत से परिचय होने की बात स्वीकार की, लेकिन ये भी कहा कि उनके साथ किसी कैंपेन का हिस्सा होने को लेकर कोई बात नहीं हुई थी और न ही इसको लेकर कोई दस्तावेजी प्रक्रिया हुई थी.

क्या शाश्वत गौतम ने डेटा आधारित प्रचार अभियान को लेकर कभी उनसे बात की थी, इस सवाल पर ओसामा ने कहा, ‘शाश्वत गौतम से मेरी कई मुलाकातें हुई हैं और इन मुलाकातों में कुछ करने की बात होती थी, लेकिन क्या किया जाना है, इसका कोई ब्लूप्रिंट नहीं था.’

ओसामा आगे कहते हैं, ‘राज्य के सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर उनसे बात होती रहती थी, लेकिन डेटा आधारित प्रचार अभियान चलाने जैसी कोई बात नहीं हुई थी. अभियान का आइडिया लीक करने का जो आरोप वो लगा रहे हैं, वह सरासर झूठ है.’

प्रशांत किशोर के साथ जुड़ाव के सवाल पर ओसामा ने कहा, ‘उनसे मेरे अच्छे संबंध हैं. उनका अभियान खुला अभियान है, कोई भी इसका हिस्सा हो सकता है. मैं उनके अभियान से जुड़ा हुआ हूं.’

प्रशांत किशोर की प्रतिक्रिया के लिए उन्हें फोन किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया. उन्हें सवालों की सूची मेल किया गया है, जवाब आने पर उसे स्टोरी में शामिल किया जाएगा.

ईमेल भेजने के बाद प्रशांत किशोर के दफ्तर से शिवाजी नाम के एक शख्स ने संपर्क किया और कहा कि मामला कोर्ट में है, इसलिए प्रशांत किशोर इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.

हालांकि हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशांत किशोर ने एफआईआर को सस्ती लोकप्रियता का हथकंडा करार दिया है. उन्होंने कहा है, ‘ये कुछ नहीं बस अजीबोगरीब दावे कर दो मिनट की लोकप्रियता पाने की घटिया शरारत और खराब कोशिश है. जांच एजेंसी को चाहिए कि इस मामले की पूरी जांच करे ताकि सच सार्वजनिक हो.’

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.)