कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने सात महीने से अधिक समय तक नज़रबंद रखे जाने के बाद रिहा किए गए फ़ारूक़ अब्दुल्ला से मुलाकात के बाद कहा कि जम्मू कश्मीर की प्रगति के लिए अन्य नेताओं को भी रिहा किया जाना चाहिए और उन्हें पिंजड़े में तोते की तरह नहीं रखना चाहिए.
श्रीनगरः कांग्रेस के महासचिव और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारुक अब्दुल्ला से मुलाकात की जिन्हें सात महीने से अधिक समय तक नज़रबंद रखने के बाद शुक्रवार को रिहा किया गया था.
आज़ाद ने जम्मू कश्मीर में हिरासत में लिए गए अन्य नेताओं को रिहा करने और लोकतंत्र बहाल करने की मांग की.
#JammuAndKashmir Congress' Ghulam Nabi Azad: The decision to declare the state of J&K as a Union Territory is an insult to the people of J&K. It must be revoked. J&K should be declared a state again. https://t.co/b09D0QQEUR
— ANI (@ANI) March 14, 2020
आजाद ने शनिवार दोपहर यहां के गुपकर इलाके में अब्दुल्ला से उनके आवास पर दो घंटे तक मुलाकात करने के बाद पत्रकारों से कहा कि जम्मू कश्मीर की प्रगति के लिए नेताओं को रिहा किया जाना चाहिए और उन्हें पिंजड़े में तोते की तरह नहीं रखना चाहिए.
कांग्रेस महासचिव ने पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित अन्य सभी नेताओं को रिहा करने और राजनीतिक प्रक्रिया दोबारा शुरू करने की मांग की.
आज़ाद ने कहा कि राज्य में चुनाव कराया जाना चाहिए और जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए.
उन्होंने हाल में राज्य के पूर्व वित्तमंत्री अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व में बनाई गई पार्टी ‘जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी’ को तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर को एजेंसी द्वारा गठित पार्टियों के जरिये नहीं चलाया जा सकता.
आज़ाद ने कहा कि वह कांग्रेस और संसद के अंदर एवं बाहर कश्मीर के नेताओं को रिहा करने के लिए आवाज उठाने वाले सांसदों और पार्टियों की ओर से अब्दुल्ला से मिलने आए हैं.
उन्होंने कहा, ‘कोई भी राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने के लिए सबसे पहले जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र बहाल किया जाना चाहिए.’
जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को बहाल करने के सवाल पर आजाद ने कहा, ‘हमें चरणबद्ध तरीके से चलने दीजिए. पहले लोकतंत्र बहाल हो जाए. इसके बाद उस पर (अनुच्छेद 370) पर आएंगे.’
उन्होंने कहा, ‘सबसे पहले हमें लोकतंत्र बहाल करनें दें और लोकतंत्र तब ही बहाल हो सकता है, जब खास प्रावधान के तहत जेलों अथवा गेस्ट हाउस में बंद नेताओं को रिहा किया जाए.’
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री रहे आज़ाद ने कहा कि राजनीतिक प्रक्रिया जल्द शुरू होनी चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘जम्मू कश्मीर देश का सबसे बड़ा राज्य है. वर्ष 1947 में 560 रजवाड़ों का 12 राज्यों में विलय किया गया लेकिन जम्मू कश्मीर भारत का एकमात्र राज्य था जिसका किसी अन्य राज्य के साथ विलय नहीं किया क्योंकि यह काफी बड़ा था.’
आजाद ने कहा, ‘यह अपमानजनक है, यह जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए शर्मनाक है कि उनके राज्य का दर्जा केंद्रशासित प्रदेश में बदल दिया गया है. मैं चाहता हूं कि जम्मू कश्मीर के नेताओं को रिहा किया जाए और राज्य का दर्जा बहाल किया जाए.’
उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक प्रक्रिया लोकतंत्र का मूल अधिकार है. भारत दुनिया में अपने आकार के कारण नहीं बल्कि लोकतंत्र के लिए जाना जाता है, पर यह वह लोकतंत्र नहीं है जहां पर तीन पूर्व मुख्यमंत्री महीनों तक जेल में रहे और एक पूर्व मुख्यमंत्री उच्चतम न्यायालय की अनुमति लेकर यहां पर आया.’
आजाद ने सवाल किया, ‘जब मुख्यमंत्री, सांसद, मंत्री, विधायक, विधान पार्षद जेल में हैं तो लोकतंत्र कहा हैं?’
कांग्रेस नेता ने कहा कि जम्मू कश्मीर के विकास के लिए राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करना जरूरी है.
उन्होंने कहा, ‘अगर जम्मू कश्मीर को विकास करना है और आगे बढ़ना है, अगर हम जम्मू कश्मीर में समृद्धि लाना चाहते हैं तो इसकी कुंजी नेताओं को तोते की तरह पिंजड़े में रखने में नहीं है बल्कि उन्हें रिहा करने और राजनीतिक प्रक्रिया शुरू कर यहां चुनाव कराने में है. जम्मू कश्मीर की जनता द्वारा जो भी सरकार चुनी जाएगी वह यहां के विकास के लिए काम करेगी.’
उन्होंने कहा, ‘यह खुशी की बात है कि साढे़ सात महीने बाद मैंने उनसे मुलाकात की. उन्हें इतने समय तक हिरासत में रखा गया जिसके कारणों की हमें जानकारी तक नहीं.’
उन्होंने कहा, ‘हालांकि उमर और महबूबा मुफ्ती एवं अन्य को अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने से पहले हिरासत में लिया गया था.’
कांग्रेस नेता ने कहा कि सांसदों की हार्दिक इच्छा थी कि नेशलन कांफ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की रिहाई हो और उन्हें हिरासत में रखना सरकार की क्रूरता थी.
उन्होंने कहा, ‘मैं यहां अकेला नहीं हूं. हम गत 40 साल से मित्र हैं और आगे भी रहेंगे. मैं यहां अपनी पार्टी के साथ-साथ लोकसभा और राज्यसभा के उन सांसदों और पार्टियों की ओर से भी हूं जिन्होंने संसद के भीतर और बाहर इन नेताओं की रिहाई के लिए आवाज उठाई. उन सभी सांसदों की हार्दिक इच्छा थी कि वह रिहा हों.’
मालूम हो कि करीब सात महीनों तक घर पर ही नजरबंद रखने के बाद अब्दुल्ला को शुक्रवार को रिहा किया गया था. सरकार ने जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला के खिलाफ लगे जन सुरक्षा कानून (पीएसए) को भी हटा लिया है.