10 सालों में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से तक़रीबन 50 फ़ीसदी राशि ही ख़र्च की गई

कोरोना वायरस से निपटने में आर्थिक मदद देने के लिए केंद्र ने ‘पीएम केयर्स फंड’ की घोषणा की है. हालांकि इसके जैसा ही पहले से मौजूद प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में प्राप्त राशि का काफ़ी कम हिस्सा ख़र्च किया जा रहा है और 2019 के आख़िर तक में इसमें 3800 करोड़ रुपये का फंड बचा था.

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**EDS: VIDEO GRAB** New Delhi: Prime Minister Narendra Modi gestures during his address to the nation on coronavirus pandemic in New Delhi, Thursday, March 19, 2020. (PTI Photo)(PTI19-03-2020_000207B)

कोरोना वायरस से निपटने में आर्थिक मदद देने के लिए केंद्र ने ‘पीएम केयर्स फंड’ की घोषणा की है. हालांकि इसके जैसा ही पहले से मौजूद प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में प्राप्त राशि का काफ़ी कम हिस्सा ख़र्च किया जा रहा है और 2019 के आख़िर तक में इसमें 3800 करोड़ रुपये का फंड बचा था.

**EDS: VIDEO GRAB** New Delhi: Prime Minister Narendra Modi gestures during his address to the nation on coronavirus pandemic in New Delhi, Thursday, March 19, 2020. (PTI Photo)(PTI19-03-2020_000207B)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कोविड-19 यानी कोरोना वायरस नाम की महामारी से उबरने में देश की जनता द्वारा आर्थिक मदद करने के लिए हाल ही में प्रधानमंत्री कार्यालय ने ‘पीएम केयर्स फंड’ की घोषणा की है. इस फंड में प्राप्त राशि को कोरोना वायरस से उपजी आपात स्थिति से निपटने में इस्तेमाल किया जाएगा.

हालांकि सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि ‘पीएम केयर्स’ जैसी ही काफी पहले से मौजूद प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) में साल दर साल जितनी राशि प्राप्त हो रही है, उसका काफी कम हिस्सा खर्च किया गया है.

हाल ये है कि पिछले 10 सालों में पीएमएनआरएफ में जितनी राशि प्राप्त हुई थी, उसमें से सिर्फ 53.56 फीसदी राशि ही खर्च की गई.

वहीं भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के पहले पांच सालों में जितनी राशि प्राप्त हुई, उसका सिर्फ 47.13 फीसदी राशि खर्च हुई.

पीएमएनआरएफ की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक साल 2009-10 से साल 2018-19 के बीच इस फंड में कुल 4713.57 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे, लेकिन इस दौरान इसमें से सिर्फ 2524.77 करोड़ रुपये ही खर्च किए जा सके.

इसमें से वित्त वर्ष 2014-15 से 2018-19 के बीच पीएमएनआरएफ में कुल 3383.92 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे. हालांकि इसमें से इन पांच सालों में सिर्फ 1594.87 करोड़ रुपये ही खर्च किए जा सके.

सरकारी आंकड़ों से ये स्पष्ट होता है कि काफी लंबे समय से इस फंड में जितनी राशि प्राप्त हो रही है, उसमें से तकरीबन 50 फीसदी भी सरकारें खर्च नहीं कर पा रही हैं, जिसके चलते बची हुई राशि काफी बढ़ गई है. वित्त वर्ष 2018-19 के पूरा होने तक इस फंड में 3800.44 करोड़ रुपये बचे हुए थे.

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के तहत पिछले दस सालों में आय और व्यय का विवरण. (स्रोत: पीएमएनआरएफ वेबसाइट)
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के तहत पिछले दस सालों में आय और व्यय का विवरण. (स्रोत: पीएमएनआरएफ वेबसाइट)

इन 10 सालों में सबसे से ज्यादा 870.93 करोड़ रुपये साल 2014-15 में प्राप्त हुए थे. वित्त वर्ष 2010-11 एकमात्र ऐसा साल था, जब जितनी राशि प्राप्त हुए और उससे ज्यादा खर्च किया गया था. इस साल कुल 155.19 करोड़ रुपये पीएमएनआरएफ में प्राप्त हुए थे और 182.33 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे.

अगर वर्ष वार प्राप्त राशि और खर्च की तुलना करें तो स्थिति और ज्यादा चिंताजनक प्रतीत होती है. वित्त वर्ष 2013-14 577.19 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे और इसमें से सिर्फ 293.62 करोड़ रुपये ही खर्च किए जा सके.

वहीं 2014-15 के दौरान 870.93 करोड़ रुपये प्राप्त हुए लेकिन 372.29 करोड़ यानी कि करीब 43 फीसदी राशि ही खर्च की गई.

इसी तरह 2017-18 में 489.65 करोड़ रुपये पीएमएनआरएफ में आए थे लेकिन इसमें से सिर्फ 180.85 करोड़ रुपये यानी कि 37 फीसदी राशि ही खर्च की गई.

वित्त वर्ष 2018-19 में खर्च करने की स्थिति काफी खराब रही. इस दौरान फंड में 783.18 करोड़ रुपये आए, लेकिन इसमें से 212.50 करोड़ रुपये मतलब 27.13 फीसदी राशि ही खर्च हुई है.

पाकिस्तान से विस्थापित लोगों की मदद करने के लिए जनवरी, 1948 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की अपील पर जनता से दान प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की स्थापना की गई थी. इसका संचालन भारत के प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है. 

खास बात ये है कि पीएमएनआरएफ के तहत सहायता राशि देने का दायरा काफी बड़ा है. प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि बाढ़, भूकंप, तूफान इत्यादि के पीड़ित परिवारों के लिए इसके तहत तत्काल सहायता देने का प्रावधान है. इसके अलावा किसी बड़ी दुर्घटना और दंगा पीड़ितों को भी इस फंड के तहत सहायता पहुंचाने की बात की गई है.

इन सब के अलावा बड़े मेडिकल उपचार जैसे कि हार्ट सर्जरी, किडनी ट्रांसप्लांट, कैंसर और एसिड अटैक के पीड़ितों को इसके तहत आर्थिक मदद मुहैया कराने का प्रावधान रखा गया है.

हालांकि इसका इतना विराट दायरा होने के बाद भी राहत पहुंचाने का काम काफी सीमित रहा है. आंकड़ों के मुताबिक ज्यादातर प्राकृतिक आपदाओं के मामले में ही राहत दी जारी रही है.

वित्त वर्ष 2019-20 में सबसे ज्यादा 5.18 करोड़ रुपये कर्नाटक में बाढ़/भूस्खलन/चक्रवाती तूफान इत्यादि के पीड़ितों को दिए गए थे. इसमें से 247 मृतकों को दो-दो लाख रुपये और गंभीर रूप से घायल 49 लोगों को 50,000 रुपये दिए गए थे.

इसके अलावा अप्रैल 2019 में गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, मणिपुर और कर्नाटक में भारी बारिश और आंधी के चलते मारे गए 99 लोगों को दो-दो लाख रुपये और गंभीर रूप से पीड़ित 10 लाख लोगों को 50,000 रुपये दिए गए थे. कुल मिलकार 2.03 करोड़ रुपये दिए गए थे.

20 जून 2019 को हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में बस गिरने के कारण हुई मौतों और गंभीर रूप से घायलों को कुल 1.11 करोड़ रुपये दिए गए थे.

यही हाल वित्त वर्ष 2018-19 में भी रहा. इस दौरान कुल 70 मामलों में राहत राशि दी गई. हालांकि सभी मामले या तो दुर्घटना के थे या फिर कोई प्राकृतिक आपदा. साल 2017-18 में कुल 46 मामलों में राहत राशि दी गई जो कि गंभीर दुर्घटना या प्राकृतिक आपदा से जुड़े थे.

पीएमओ ने बीते 28 मार्च को एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चिंताजनक हालात जैसी किसी भी प्रकार की आपात स्थिति या संकट से निपटने के प्राथमिक उद्देश्य से एक विशेष राष्ट्रीय कोष बनाने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए और इससे प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने के लिए ‘आपात स्थितियों में प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और राहत कोष (पीएम केयर्स फंड)’ के नाम से एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया गया है. प्रधानमंत्री इस ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं और इसके सदस्यों में रक्षा मंत्री, गृह मंत्री एवं वित्त मंत्री शामिल हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई भाजपा नेता और जानी-मानी हस्तियां सोशल मीडिया पर इस नए फंड की घोषणा का काफी प्रचार कर रही हैं.

हालांकि कई लोगों ने ये सवाल उठाया है कि अगर पहले से ही इसी तरह का एक फंड ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष’ बनाया गया था तो इस ‘पीएम केयर्स’ की क्या जरूरत है और ये किस तरह पीएमएनआरएफ से अलग है.

आरोप है कि इस नए फंड में पारदर्शिता नहीं है और ये भी नहीं पता है कि इस ट्रस्ट में कितने सदस्य हैं, उसके नाम क्या है. ‘पीएम केयर्स’ का कोई गैजेट नोटिफिकेशन भी प्रकाशित नहीं किया गया है और ये जानकारी भी नहीं है कि आखिर किस आधार पर ये पैसे खर्च किए जाएंगे.

इससे जुड़े कई सारे सवाल उठ रहे हैं जिसका जवाब पीएमओ से दिया जाना बाकी है.

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