…जब भ्रष्टाचार के आरोपी बंगारू लक्ष्मण के बचाव में रामनाथ कोविंद ने दी थी गवाही

राजग से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद ने 2012 में भ्रष्टाचार के एक मामले में पूर्व भाजपा अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण के बचाव में गवाही दी थी.

/
PTI6_23_2017_000082A

राजग से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद ने 2012 में भ्रष्टाचार के एक मामले में पूर्व भाजपा अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण के बचाव में गवाही दी थी.

New Delhi: NDA's presidential nominee Ram Nath Kovind with Prime Minister Narendra Modi at an NDA meeting at Parliament in New Delhi on Friday. PTI Photo by Subhav Shukla (PTI6_23_2017_000082A)
राजग की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को अपना नामांकन दाख़िल किया. इस दौरान उनके साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे. (फोटो: पीटीआई)

भाजपा से जुड़े सूत्रों की मानें तो रामनाथ कोविंद की छवि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच में बहुत अच्छी है और यही बात उनके राजग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनने में मददगार साबित हुई.

हालांकि कोविंद ने कुछ साल पहले बंगारू लक्ष्मण भ्रष्टाचार मामले में पूर्व पार्टी अध्यक्ष के बचाव में गवाही दी थी. 2012 में ‘सीबीआई बनाम बंगारू लक्ष्मण’ मामले में कोविंद उन दो गवाहों में से एक थे जिन्होंने बंगारू लक्ष्मण के पक्ष में गवाही दी थी.

कोविंद ने अपनी गवाही में कहा था कि वे लक्ष्मण को 20 से भी ज़्यादा सालों से एक साधारण और ईमानदार व्यक्ति के रूप में जानते हैं जो बाद में भाजपा के अध्यक्ष बने.

2001 में तहलका द्वारा किए गए एक स्टिंग ऑपरेशन के समय बंगारू लक्ष्मण भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. उन्हें 2012 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी पाया गया था.

सीबीआई द्वारा लगाए गए आरोप के अनुसार कोर्ट ने कहा:

‘बंगारू लक्ष्मण ने 5 जनवरी 2001 को M/S वेस्टेंड इंटरनेशनल के चीफ लाइजनिंग आॅफिसर मैथ्यू सैमुअल से एक लाख रुपये रिश्वत के तौर पर लिए और घूस की बाकी राशि डॉलर में लेने की बात हुई. इस राशि को लेने का मकसद उन्हें अपने पद का इस्तेमाल करके रक्षा मंत्रालय में काम करने वाले कर्मचारियों को प्रभावित करना था और सेना में सप्लाई को लेकर एचएचटीआई के पक्ष में फैसला करने के लिए कहना था.’

अपनी गवाही में कोविंद ने कोर्ट के सामने कहा कि वो लक्ष्मण से तहलका की ख़बर प्रसारित होने के बाद मिले थे और लक्ष्मण ने उन्हें बताया कि किस तरह से उन्हें इस मामले में फंसाया जा रहा है. साथ ही कोविंद ने ये भी कहा कि उन्हें नहीं पता कि लक्ष्मण ने रिश्वत ली है या नहीं, लेकिन कोर्ट ने लक्ष्मण को दोषी पाया. कोविंद की गवाही को अदालत ने इस प्रकार लिखा कि, ‘उन्होंने इस बात से भी इनकार किया कि भ्रष्टाचार के मसले के प्रसारण के बाद वरिष्ठ भाजपा नेताओं की बैठक हुई और यह निर्णय लिया गया कि इस राशि को पार्टी निधि के रूप में दिखाया जाना चाहिए.’

तहलका डॉट कॉम ने 2001 में लक्ष्मण के खिलाफ एक स्टिंग आॅपरेशन किया था. तहलका के स्टिंग ऑपरेशन में पत्रकार मैथ्यू सैमुअल और अनिरुद्ध बहल शामिल थे.

स्टिंग ऑपरेशन के दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेताओं, वरिष्ठ नौकरशाहों और रक्षा अधिकारियों को उन व्यक्तियों से रिश्वत लेते पाया गया जो रक्षा उपकरणों की बिक्री के लिए एक रक्षा कंपनी का प्रतिनिधि बनकर उनसे मिले थे.

इस स्टिंग ऑपरेशन को ज़ी टीवी ने प्रसारित किया था. स्टिंग ऑपरेशन में एक पत्रकार ने खुद को शस्त्र विक्रेता बताकर लक्ष्मण को सेना को थर्मल इमेजर की आपूर्ति का कांट्रैक्ट दिलाने में मदद करने के लिए रिश्वत पेशकश की.

इस पूरे संवाद को पत्रकारों ने खुफिया कैमरे में कैद किया जिसमें लक्ष्मण को एक लाख रुपये की रिश्वत लेते पाया गया. उसी संवाद में एक दूसरी मीटिंग का समय निश्चित हुआ और लक्ष्मण ने बाकी की राशि डॉलर में लेने की बात कही.

सीबीआई अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा, ‘तहलका द्वारा अपनाया गया तरीक़ा आपत्तिजनक हो सकता है, लेकिन उनका उद्देश्य सही था.’

अटल बिहारी बाजपेयी सरकार के कार्यकाल के दौरान इस विवाद ने कई महीने संसद को बाधित रखा. तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस और समता पार्टी की तत्कालीन अध्यक्ष जया जेटली को भी इस मुद्दे पर इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था.

ममता बनर्जी जो वर्तमान में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हैं, उस समय भाजपा की सहयोगी थी, ने इस मामले के चलते अपनी पार्टी को गठबंधन से अलग कर लिया था.

bangaru-kovind (1)
पूर्व भाजपा अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण (बाएं), जिन पर हथियारों की खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगा था और 2012 में सीबीआई कोर्ट के सामने उनके पक्ष में गवाही देने वाले मात्र दो गवाहों में से वर्तमान में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद (दाएं) एक थे. (फोटो: पीटीआई)

वाजपेयी सरकार ने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया था. स्टिंग ऑपरेशन में पेश किए गए सबूतों को देखते हुए मामले को जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया गया था.

लक्ष्मण ने उन पत्रकारों के साथ आठ बैठकें कीं, जो एक रक्षा कंपनी के प्रतिनिधि होने का दावा कर रहे थे. सज़ा होने के कुछ महीनों बाद लक्ष्मण को ज़मानत मिल गई और दो साल बाद, 2014 में उनकी मृत्यु हो गई.

पूरे ट्रायल के दौरान लक्ष्मण के वक़ील बचाव पक्ष की तरफ से सिर्फ दो गवाहों को ही पेश कर पाए थे. इसमें से एक मानवविज्ञानी और कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट कार्तिक एस. गोदावर्थी थे और दूसरे रामनाथ कोविंद थे. भाजपा की ओर से कोई और गवाही देने के लिए तैयार नहीं था.

यदि कोविंद राष्ट्रपति के पद पर चयनित हुए तो भारत के राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने वाले सातवें वक़ील होंगे. वर्तमान में वह सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्य भी हैं.

राजनीति में शामिल होने से पहले कोविंद ने सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत की थी. 1978 में कोविंद ने सुप्रीम कोर्ट में वक़ील के तौर पर काम करना शुरू किया था. वे 1980 से 1993 तक केंद्र सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल में थे.

इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq