दस और किसानों ने की आत्महत्या, वेंकैया बोले क़र्ज़ माफ़ी फैशन बन गया है

महाराष्ट्र में चार, तमिलनाडु, केरल, राजस्थान और पंजाब में एक-एक किसान ने की आत्महत्या, मप्र में 8 जून से अब तक 17 किसान आत्महत्याएं.

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Mumbai : Police personnel inspect a charred vehicle that was set ablaze by the farmers in Nevali during a violent protest against a proposed international airport on the outskirts of Mumbai on Thursday. At least 25 people including policemen, locals and media persons were injured in the violence. PTI Photo (PTI6_22_2017_000080B)

महाराष्ट्र में चार, तमिलनाडु, केरल, राजस्थान और पंजाब में एक-एक किसानों ने की आत्महत्या, मप्र में 8 जून से अब तक 17 किसान आत्महत्याएं.

Mumbai : Police personnel inspect a charred vehicle that  was set ablaze by the farmers in Nevali during a violent protest against a proposed international airport on the outskirts of Mumbai on Thursday.  At least 25 people including policemen, locals and media persons were injured in the violence. PTI Photo  (PTI6_22_2017_000080B)
मुंबई के नवेली में बृहस्पतिवार को प्रदर्शन कर रहे किसानों ने गाड़ियों में आग लगा दी. (फोटो: पीटीआई)

महाराष्ट्र के नासिक ज़िले में बुधवार को चार किसानों ने आत्महत्या कर ली. बुधवार को ही राजस्थान में एक किसान ने फांसी लगाकर जान दे दी. मध्य प्रदेश में दो और किसानों की आत्महत्या के बाद 8 जून से अब तक आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 17 हो गई है. राजस्थान, केरल, तमिलनाडु और पंजाब में भी किसानों के आत्महत्या करने की ख़बरें आई हैं.

उधर मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में किसान क़र्ज़ माफ़ी और फ़सलों के उचित मूल्य की मांग को लेकर फिर से सड़क पर उतर आए हैं और आंदोलन शुरू कर दिया है. महाराष्ट्र में कई जगह प्रदर्शनकारी किसानों ने वाहनों को आग लगा दी. मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में किसानों ने रेलवे ट्रैक जाम कर दिया.

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के किसानों ने एक से दस जून अपनी मांगों को लेकर आंदोलन किया था. इस दौरान मप्र के मंदसौर में छह जून को आंदोलन कर रहे किसानों पर पुलिस ने गोली चला दी थी जिसमें छह किसान मारे गए थे. पूरे देश में ताबड़तोड़ किसान आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन सरकारों की तरफ से कोई ठोस उपाय का क़दम नहीं उठाया जा रहा है.

दूसरी तरफ, केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने गुरुवार को कहा कि ‘कृषि क़र्ज़ माफ़ी आजकल फैशन बन गया है. क़र्ज़ माफ़ी होनी चाहिए लेकिन सिर्फ़ विशेष परिस्थितियों में. किसानों की बेहतरी के लिए क़र्ज़ माफ़ी अंतिम चारा नहीं है.

नायडू के बयान की आलोचना करते हुए सीपीआईएम के नेता सीताराम येचुरी ने कहा है कि पिछले तीन सालों में 36 से 40 हज़ार किसानों ने आत्महत्या की है. क़र्ज़ माफ़ी को फैशन कहना किसानों का अपमान है.

केरल के कोझीकोड में एक किसान ने ग्राम पंचायत आॅफिस के सामने बुधवार को ख़ुदकुशी कर ली. एक ख़बर में कहा गया है कि 57 वर्षीय के. जॉय ज़मीन का टैक्स जमा करने गए थे, लेकिन अधिकारियों ने उन्हें लौटा दिया, जिसके बाद उन्होंने आत्महत्या कर दी. ज़िला अधिकारी यूवी जोसे ने पंचायत अधिकारी को सस्पेंड कर दिया है.

तमिलनाडु के कोडईकनल के मन्नावनूर गांव में एक किसान मुथूस्वामी ने आत्महत्या कर ली. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, मुथूस्वामी की दो एकड़ की लहसुन की फ़सल ख़राब हो गई थी. जिसके चलते उन्होंने पेस्टीसाइड पीकर आत्महत्या कर ली.

दूसरी तरफ, तेलंगाना के सिर्फ़ दो ज़िले में पिछले तीन महीने में 22 किसानों ने आत्महत्या की है. देश भर में क़र्ज़ और तंगहाली के जान देने के विरोध में बुधवार को योग दिवस पर किसानों ने प्रधानमंत्री के योगासन के विरोध में शवासन करके विरोध जताया.

पंजाब में जिस दिन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने किसानों का क़र्ज़ माफ़ करने की घोषणा की, उसी दिन एक किसान ने आत्महत्या कर ली.

Barabanki (UP): Bharatiya Kisan Union workers protest against killing of farmers in #Mandsaur at NH-28, perform 'shavaasana'.
मंदसौर में किसानों पर गोलीबारी के विरोध में बाराबंकी में राष्ट्रीय राजमार्ग-28 पर भारतीय किसान यूनियन के किसानों ने ‘शवासन’ किया. (फोटो: एएनआई)

इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि ‘एक क़र्ज़दार किसान ने गुरदासपुर में उसी दिन आत्महत्या कर ली, जिस पंजाब सरकार ने किसानों का क़र्ज़ माफ़ करने की घोषणा की. गुरदासपुर के बालापिंडी गांव निवासी इंदरजीत सिंह ने सोमवार को अपने खेत में ज़हर पी लिया. उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन उनकी मौत हो गई. बेहरामपुर के एसएचओ मुख़्तार सिंह के मुताबिक, उनकी आर्थिक हालत बहुत ख़राब थी. वे छोटे किसान थे और उनपर काफ़ी क़र्ज़ था. अपनी इस हालत के कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली. इंदरजीत ने एक सुसाइड नोट भी लिखा था.’

टाइम्स आॅफ इंडिया की ख़बर के मुताबिक, ‘बुधवार को नासिक के विभिन्न इलाक़ों में चार किसानों ने आत्महत्या कर ली. इसी के साथ पिछले छह महीने में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 53 हो गई है.’

मालेगांव के 77 वर्षीय किसान सपड़ू पवार पर 3.40 का क़र्ज़ था. वे ज़मीन बेचकर भी यह क़र्ज़ नहीं चुका पा रहे थे. रात को जब परिवार के लोग सो रहे थे, उन्होंने एक चिता बनाई और उसमें बैठकर आग लगा ली.

नासिक के ही चांदवड़ तालुका निवासी अप्पासाहेब जाधव 32 वर्ष के थे. कोआॅपरेटिव सोसाइटी से 25000 का क़र्ज़ लिया था, लेकिन वापस नहीं कर पा रहे थे. वे राज्य बिजली वितरण कंपनी के एक खंभे पर चढ़ गए और हाई वोल्टेज तार छू लिया. उनकी मौक़े पर ही मौत हो गई.

तालुका के ही शिवरे गांव के कचरू अहीर ने ज़हर पीकर आत्महत्या कर ली. उन पर तीन लाख का क़र्ज़ था. बगलान तालुका के 35 हरिश्चंद्र अहीर ने भी आत्महत्या कर ली. उनकी आत्महत्या का कारण नहीं पता चल सका है.

प्रशासन के हवाले से टाइम्स आॅफ़ इंडिया ने लिखा है कि इतने कम समय में इतनी ज़्यादा आत्महत्याएं नासिक में कभी दर्ज नहीं हुईं. प्रशासन ने सभी मामले की रिपोर्ट मंगाई है.

मध्य प्रदेश में किसानों की तबाही जारी है. मंगलवार को दो और किसानों की आत्महत्या के साथ प्रदेश में 8 जून से अब तक 17 किसानों ने आत्महत्या कर ली है. किसानों का एक जून से 10 जून तक का हिंसक आंदोलन बेनतीजा रहा. सरकार ने किसानों को कोई राहत नहीं दी है, बजाय इसके कि पुलिस गोलीबारी में छह किसान मारे गए.

हिंदुस्तान टाइम्स की एक ख़बर के मुताबिक, ‘होशंगाबाद जिले के बाबूलाल वर्मा (40) ने पिछले हफ़्ते ख़ुद को आग लगी ली थी. मंगलवार को भोपाल के हमीदिया अस्पताल में उनकी मौत हो गई. वर्मा ने 7 लाख रुपये क़र्ज़ ले रखा था और साहूकार उनपर पैसे लौटाने का दबाव डाल रहा था. इससे परेशान होकर उन्होंने आत्महत्या कर ली.’

‘दूसरा मामला नरसिंहपुर का है. 65 वर्षीय किसान लक्ष्मी गुमास्ता ने सोमवार रात सल्फास की गोली खाकर जान दे दी. उन पर चार लाख का क़र्ज़ था और दो महीने पहले उनकी गेहूं की फ़सल में आग लग गई थी, जिसके बाद वे मुसीबत में आ गए थे.’

मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मंगलवार को कहा कि किसानों की आत्महत्या का मामला दुखद और गंभीर है, लेकिन किसान विभिन्न कारणों से आत्महत्या कर रहे हैं. सभी किसान क़र्ज़ के कारण आत्महत्या नहीं कर रहे हैं.’

मध्य प्रदेश सरकार पहले भी यह साबित करने की नाकाम कोशिश करती रही है कि किसान निजी अवसाद, पारिवारिक विवाद, वैवाहिक जीवन या घरेलू समस्याओं के चलते आत्महत्या करते हैं.

सरकार ने तो आंदोलन के दौरान यहां तक कहा था कि हिंसक आंदोलन करने वाले लोग किसान नहीं हैं, वे उपद्रवी और अराजक तत्व हैं.

राजस्थान के बारन ज़िले के नाहरगढ़ में 30 वर्षीय किसान संजीव मीणा का शव पेड़ से लटकता पाया गया. वे सोमवार से ग़ायब थे. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पुलिस का कहना है कि आत्महत्या की वजह अभी पता नहीं चल पाई है लेकिन परिजनों का कहना है कि संजीव ने भारी क़र्ज़ न चुका पाने के कारण आत्महत्या कर ली.

उधर दक्षिणी राज्यों में तेलंगाना में भी किसानों की ख़ुदकुशी जारी है. अंग्रेज़ी अखबार न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, तेलंगाना के खम्मम और भद्राद्री कोठागुडम ज़िलों में ही पिछले तीन महीने में 22 किसानों ने आत्महत्या की है.

एक कृषि अधिकारी के हवाले से अख़बार ने लिखा है, ‘कॉटन वहां की मुख्य फ़सल है. कॉटन का दाम 14 हज़ार प्रति क्विंटल से गिरकर 4 हज़ार प्रति क्विंटल या इससे भी कम पर आ गया. पहले से ही क़र्ज़ में डूबे किसानों को इस हालत ने ख़ुदकुशी करने पर मजबूर कर दिया.’

गौरतलब है कि यह छिटपुट फुटकर आंकड़े हैं. समूचे देश में कितने किसान रोज़ मरते हैं, इसका हम सिर्फ़ अंदाज़ा लगा सकते हैं.