एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के अनुसार, इनमें सर्वाधिक आय वाले क्षेत्रीय दलों में बीजद के अलावा तेलंगाना राष्ट्र समिति और वाईआरएस कांग्रेस शामिल हैं. इन तीनों दलों की आय में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में सर्वाधिक इज़ाफ़ा भी दर्ज किया गया.
नई दिल्ली: चुनाव आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दलों में बीजू जनता दल (बीजद) आय के मामले में सबसे धनी राजनीतिक दल है.
चुनाव सुधार से जुड़ी शोध संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के क्षेत्रीय दलों के आय-व्यय की विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार 52 क्षेत्रीय दलों में बीजद की वित्तीय वर्ष 2018-19 में सर्वाधिक 249.31 करोड़ रुपये आय हुई थी.
मंगलवार को जारी एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, असम गण परिषद और जेकेएनपी सहित 15 क्षेत्रीय दलों ने आय-व्यय का ब्योरा निर्धारित समयसीमा में आयोग को मुहैया नहीं कराया.
जिन 37 दलों ने यह ब्योरा दिया है, उनमें सात क्षेत्रीय दलों ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में चुनावी बॉन्ड से भी चंदा मिलने की बात कही है. इन दलों को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कुल 578.49 करोड़ रुपये मिले हैं.
उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग के निर्देश अनुसार, सभी राजनीतिक दलों को अपने आय-व्यय का वार्षिक ब्योरा आयोग को देना अनिवार्य है. इसे आयोग की वेबसाइट के माध्यम से सार्वजनिक किया जाता है.
वित्तीय वर्ष 2018-19 का ब्योरा राजनीतिक दलों को 31 अक्टूबर, 2019 तक आयोग को देना था. इस समयसीमा में 15 क्षेत्रीय दलों को छोड़कर अन्य क्षेत्रीय दलों ने यह ब्योरा आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर दिया है.
रिपोर्ट के अनुसार, सपा, द्रमुक, अकाली दल, आईएनएलडी, रालोद और राजद सहित 13 क्षेत्रीय दलों ने अपनी आय से अधिक व्यय किया है.
इनमें सपा ने अपनी कुल आय से सर्वाधिक 50.65 प्रतिशत (17.12 करोड़ रुपये) व्यय में दर्शाया है. रिपोर्ट में 37 दलों के ब्योरे के विश्लेषण के आधार पर बताया गया है कि इन दलों को वित्तीय वर्ष 2018-19 में कुल 1089.60 करोड़ रुपये की आय हुई.
इनमें सर्वाधिक आय वाले क्षेत्रीय दलों में बीजद के अलावा तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) (188.71 करोड़ रुपये) और वाईआरएस कांग्रेस (181.08 करोड़ रुपये) शामिल हैं. इन तीनों दलों की आय में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में सर्वाधिक इजाफा भी दर्ज किया गया.
रिपोर्ट के अनुसार, 37 में से 26 दलों की आय पिछले एक वित्तीय वर्ष में बढ़ी, जबकि नौ दलों की आय में गिरावट दर्ज की गयी. दो क्षेत्रीय दलों ने वित्तीय वर्ष 2017-18 का आय व्यय का ब्योरा नहीं दिया था इसलिए इनकी आय में वृद्धि या गिरावट का आकलन नहीं किया जा सका.