सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार के अभाव में कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित कोई भी व्यक्ति न्यायालय नहीं आया है. हम सिर्फ आशंका पर रोक नहीं लगा सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने समाज कल्याण की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार की अनिवार्यता संबंधी केंद्र की अधिसूचना पर अंतरिम आदेश देने से मंगलवार को इंकार कर दिया. इस बीच, सरकार ने आश्वासन दिया है कि किसी भी व्यक्ति को इस पहचान के अभाव में वंचित नहीं किया जायेगा.
न्यायमूर्ति खानविलकर और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की अवकाशकालीन पीठ ने टिप्पणी की कि याचिकाकर्ताओं की महज इस आशंका के आधार पर कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया जा सकता है कि आधार के अभाव में किसी भी व्यक्ति को विभिन्न समाज कल्याण योजनाओं के लाभ से वंचित किया जा सकता है और वह भी ऐसी स्थिति में जब कोई भी प्रभावित व्यक्ति न्यायालय नहीं आया है.
न्यायाधीशों ने कहा,’महज आशंका के आधार पर कोई भी अंतरिम आदेश नहीं दिया जा सकता है. आपको एक सप्ताह इंतजार करना होगा. यदि किसी व्यक्ति को इस लाभ से वंचित किया जाता है तो आप न्यायालय का ध्यान इस ओर आर्कषित कर सकते हैं.’
तीन याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान से पीठ ने कहा,’हम ऐसे आदेश नहीं दे सकते जो अनिश्चित हैं. आप कह रहे हैं कि किसी को इससे वंचित किया जा सकता है परंतु हमारे सामने तो ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है. पीठ ने कहा, यह शासन एक लोकतांत्रिक कल्याणकारी व्यवस्था है जो कह रहा है कि वह इन लाभों से किसी को भी वंचित नहीं करेगा. फिलहाल वैकल्पिक पहचान पत्र वैध हैं.’
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि विभिन्न समाज कल्याण की योजनाओं के तहत उन लोगों को भी लाभ दिया जायेगा जिनके पास आधार नहीं है.
उन्होंने आठ फरवरी की अधिसूचना का जिक्र करते हुए कहा कि इसमे कहा गया है कि यदि किसी के पास आधार नहीं है तो भी उसे मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट और पैन कार्ड जैसे पहचान पत्रों का इस्तेमाल करने पर इन योजनाओं का लाभ मिलेगा.
मेहता ने कहा,’इन पहचान का मतलब यह है कि कोई भी छद्म व्यक्ति इन योजनाओं का लाभ प्राप्त नहीं कर सके.इन योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिये दस अन्य दस्तावेज वैध हैं.’
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने जिन व्यक्तियों के पास आधार नहीं है और वे विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त कर रहे हैं, उनके लिए आधार के लिए पंजीकरण कराने हेतु 30 जून की तारीख बढाकर 30 सितंबर कर दी है. इस अवधि में किसी भी व्यक्ति को इन लाभों से वंचित नहीं किया जायेगा.
पीठ ने 10 जून के शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देते हुये कहा कि इसने पैन कार्ड और आयकर रिटर्न के लिए आधार अनिवार्य करने संबंधी आयकर कानून के प्रावधान को वैध ठहराया है परंतु उसने निजता के अधिकार के मुद्दे पर संविधान पीठ द्वारा विचार होने तक इसके अमल पर आंशिक रोक लगा दी है.
न्यायालय ने इस फैसले में की गयी टिप्पणियों का जिक्र करते हुए इस मामले को सात जुलाई को उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध कर दिया.