विशेष रिपोर्ट: बिहार के गोपालगंज ज़िले के एक गांव में बीते मार्च महीने में एक किशोर का शव पास की नदी से बरामद हुआ था. परिवार ने हत्या किए जाने का आरोप लगाया है. हालांकि कुछ समाचार वेबसाइट्स द्वारा मस्जिद में किशोर की बलि दिए जाने की भ्रामक ख़बरें प्रकाशित करने के बाद इस मामले ने सांप्रदायिक रंग ले लिया. पुलिस ने इस संबंध में ‘ऑपइंडिया’ और ‘ख़बर तक’ नाम की वेबसाइट के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है.
पटना: बिहार के गोपालगंज जिले में बीते मार्च महीने में हुई एक किशोर की मौत ने अचानक तूल पकड़ लिया है. कुछ लोग इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं.
इस संबंध में कुछ वेबसाइट्स ने खबरें भी प्रकाशित की हैं, जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
मामला गोपालगंज जिले के कटेया थानाक्षेत्र के बेलहीडीह गांव का है. करीब डेढ़ महीने पहले यहां एक 15 वर्षीय किशोर रोहित जायसवाल की लाश पास की नदी से बरामद की गई थी. हत्या की आशंका जताई गई थी. हालांकि परिवारवालों ने हत्या किए जाने की बात कही है.
इस मामले को लेकर पिछले 3-4 दिनों से सोशल मीडिया और कुछ वेबसाइट्स और न्यूज चैनल पर परिवारवालों के बयान के हवाले से खबरें चल रही हैं कि रोहित की मस्जिद में बलि दी गई थी.
इसके बाद से इस मामले ने तूल पकड़ लिया है. हालांकि गोपालगंज जिला पुलिस ने इस अफवाह का पुरजोर खंडन किया है.
सोशल मीडिया पर रोहित जायसवाल को इंसाफ दिलाने के लिए पोस्ट भी लिखे जा रहे हैं. यह भी अफवाह चल रही है कि गांव से हिंदू पलायन कर रहे हैं, हालांकि गांव के लोगों ने इस बात का खंडन किया है.
बेलहीडीह गांव में हिंदू और मुस्लिम की मिलीजुली आबादी है, लेकिन मुस्लिमों की तादाद हिंदुओं से अपेक्षाकृत कम है. मृतक रोहित के पिता राजेश शाह गांव में ही पकौड़ी का खोमचा (ठेला) लगाते हैं.
परिवार के मुताबिक, 28 मार्च को रोहित कुछ लड़कों के साथ खेलने निकला हुआ था, लेकिन शाम तक घर नहीं लौटा. उसकी खोजबीन शुरू हुई, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के कारण रात तक सभी लोग वापस घर आ गए.
अगले दिन 29 मार्च को खबर मिली कि गोइता टोला में एक लड़के की लाश मिली है. रोहित के पिता राजेश अपनी पत्नी और गांव के लोगों के साथ नदी में गए तो वह लाश रोहित की थी. परिवारवालों ने हत्या का आरोप लगाते हुए थाने में शिकायत दी थी, जिसके बाद पुलिस ने नामजद एफआईआर दर्ज की है.
इस संबंध में बीते 29 मार्च को थाने में दिए गए आवेदन में रोहित के पिता राजेश शाह ने लिखा है, ‘28 मार्च को दिन में तीन बजे रोहित अपनी मां के पास बैठा हुआ था. उसी दिन मुस्लिम और हिंदू बच्चे (चारों नाबालिग हैं, इसलिए नाम नहीं लिखा जा रहा है) उसे क्रिकेट खेलने के लिए बुलाकर ले गए. शाम तक मेरा लड़का घर नहीं लौटा, तो हम लोग उसे खोजने के लिए निकले.’
आवेदन में वह लिखते हैं, ‘पूरे भारत में लॉकडाउन होने के कारण उसे खोजने के लिए हम लोग ज्यादा दूर नहीं जा सके. 29 मार्च की सुबह इलाके में खबर फैली कि गोइता टोला में नदी से एक लड़के की लाश मिली है, तो मुझे एक मुस्लिम बच्चे पर शक हुआ.’
आवेदन के मुताबिक, नाबालिग (मुस्लिम) ने पूछताछ में बताया कि उसने छह लोगों के साथ मिलकर उसकी (रोहित) हत्या कर दी और लाश नदी में फेंक दी. पूछताछ में उसने ये भी बताया कि रोहित का कपड़ा नदी के किनारे झाड़ी में छिपाकर रख दिया है.
राजेश शाह ने आवेदन में कहा है, ‘मेरा दावा है कि लड़के की हत्या छह लड़कों (पांच मुस्लिम व एक हिंदू) ने की है.’
29 मार्च को शव की बरामदगी के बाद उसे पोस्टमॉर्टम के लिए अस्पताल ले जाया गया. उसी दिन सुबह 11:50 बजे शव का पोस्टमॉर्टम हुआ.
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में नाक और मुंह से खून निकलने का जिक्र किया गया है. इसके अलावा शरीर में कोई बाहरी या अंदरूनी जख्म नहीं मिला है. रिपोर्ट में मौत की वजह डूबने के कारण ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित होना बताया गया है.
राजेश शाह की तरफ से दिए गए लिखित आवेदन के आधार पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 302, 201 और 34 के तहत एफआईआर (एफआईआर संख्या: 98/20) दर्ज की है.
एफआईआर में छह नाबालिगों को नामजद किया गया है, जिनमें एक हिंदू और पांच मुसलमान हैं. घटना के बाद पुलिस ने पांच नाबालिगों को गिरफ्तार कर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के समक्ष पेश किया था, जहां से उन्हें जमानत मिल गई.
एक अन्य आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है, वह घटना के बाद से फरार है.
गोपालगंज के एसपी मनोज तिवारी ने बताया, ‘मस्जिद में बलि का आरोप अफवाह है. मामले में ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया है.’ उन्होंने ये भी कहा कि मामले में समयोचित कार्रवाई की गई है और आगे की जांच चल रही है.
29 मार्च को यह मामला सामने आने के अगले दिन स्थानीय अखबारों में इस संबंध में ख़बरें भी प्रकाशित हुई थीं. 30 मार्च के प्रभात खबर के गोपालगंज संस्करण की खबर में छपी खबर में शव की बरामदगी के दिन ही चार नाबालिगों को हिरासत में लिए जाने का जिक्र है.
स्थानीय अखबारों ने उस वक्त इस खबर को किसी अन्य आपराधिक घटना की तरह कवर किया था, लेकिन ये खबर पिछले 4-5 दिन पहले तब वायरल होनी शुरू हुई, जब ‘ऑपइंडिया’ नाम की वेबसाइट ने अपनी एक खबर में इस मामले को सांप्रदायिक रंग देते हुए मुसलमान, मस्जिद और बलि से जोड़ दिया.
‘खबर तक’ नाम की एक अन्य वेबसाइट ने भी ऐसी ही खबर चलाई. इसके बाद सोशल मीडिया पर रोहित को न्याय दिलाने के पोस्ट लिखे जाने लगे.
रोहित की हत्या को मस्जिद में बलि से जोड़कर चलाई गई भ्रामक खबर वायरल होने लगी तो सारण प्रक्षेत्र के डीआईजी विजय वर्मा खुद बेलहीडीह गांव पहुंचे.
14 मई को दैनिक भास्कर में छपी खबर के मुताबिक, डीआईजी ने कहा है कि जांच में जो बातें सामने आई हैं, उससे साफ हो गया है कि किशोर को मस्जिद में नहीं मारा गया था. उन्होंने कहा कि गलत खबर चलाकर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की गई है.
प्रभात खबर में छपी एक खबर के मुताबिक, डीआईजी ने कहा कि घटना 28 मार्च को हुई थी और 29 मार्च को एफआईआर दर्ज कर पांच आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की गई. अब इस मामले की जांच सीआईडी कर रही है.
भ्रामक और सांप्रदायिक रंग देकर खबर चलाने को लेकर ‘ऑपइंडिया’ और ‘खबर तक’ जैसे पोर्टल के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज की है.
डीआईजी ने कहा है, ‘इस मामले को लेकर ऑपइंडिया और खबर तक न्यूज पोर्टल पर खबर प्रसारित की गई और यह एंगल देने की कोशिश की गई कि हत्या का संबंध मस्जिद निर्माण से है और लड़के को वहां ले जाया गया था. ये सारी बात गलत है. इसको लेकर ऑपइंडिया और खबर तक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.’
बेलहीडीह गांव उत्तर प्रदेश की सीमा से सटा हुआ है. राजेश शाह फिलहाल गांव से करीब पांच किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के देवरिया में अपने ससुराल में हैं.
फोन पर हुई बातचीत में राजेश शाह ने कहा, ‘मेरे बेटे की डूब कर मौत नहीं हुई है, बल्कि उसकी हत्या की गई है और इस हत्या में मुस्लिम बच्चे शामिल थे. इससे ज्यादा मैं क्या बोलूं. मैंने ये कभी नहीं कहा कि उसे मस्जिद में मारा गया और न ही ये ही कहा कि क्यों मारा गया. हां, ये जरूर है कि मारने वाले मुसलमान हैं (हालांकि एफआईआर में नामजद 6 नाबालिग आरोपियों में एक हिंदू है). मुझे इंसाफ चाहिए. मैं बस इतना ही कहना चाहता हूं.’
ये पूछने पर कि परिवारवालों के बयान के आधार पर ऐसी ‘ख़बरें’ चल रही हैं कि मस्जिद में रोहित की बलि दी गई है, इस पर उन्होंने कहा, ‘मैं सीधे कैसे ये बात कह सकता हूं? मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा कि मस्जिद में उसकी बलि दी गई है.’
वे कहते हैं, ‘मुझे बस ये पता चला था कि मेरे बेटे समेत चार-पांच लड़कों पर मौलवी पानी छिड़कता था. दूसरे लड़के कौन थे, उसके बारे में तो मेरा लड़का जिंदा रहता तो वही बताता, लेकिन उसने 5-6 दिन पहले अपनी मां से कहा था कि मौलवी ने उस पर पानी छिड़क दिया था और इसके बाद ये घटना हो गई. ये बात मैंने मीडिया को बताई थी.’
थोड़ा जोर देकर पूछने पर कि क्या उन्होंने मीडिया को ये बयान दिया है कि मस्जिद में उनके बच्चे की बलि ली गई? इस सवाल पर उन्होंने कहा, ‘मेरे बेटे की हत्या की जानकारी के लिए सिर्फ मेरे पास ही कॉल नहीं आता है, और भी लोग हैं, जो कॉल हैंडल करते हैं. हो सकता है, उनमें से किसी ने ऐसा कहा हो. मैंने स्पष्ट रूप से नहीं कहा कि ऐसा कुछ हुआ है, लेकिन मेरे लड़के को मारकर ही फेंका गया है. मामले की जांच होनी चाहिए कि उसकी हत्या कहां और क्यों की गई है.’
राजेश शाह ने मामले में आरोपित हिंदू नाबालिग का जिक्र करते हुए कहा कि 29 मार्च को उसी से पूछताछ की गई थी, तो उसने कहा था कि रोहित को मारकर नदी में फेंक दिया गया है.
उन्होंने पुलिस और आरोपितों के परिजनों पर धमकाने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी धमकी के डर से वह देवरिया में हैं. राजेश शाह ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘कटेया थाने के प्रभारी ने मुझसे दुर्व्यवहार किया और धमकी दी.’
राजेश ने एक आवेदन मुहैया कराया, जिसमें दो स्थानीय मुस्लिम युवकों का जिक्र करते हुए उन पर भी धमकी देने का आरोप उन्होंने लगाया था.
उन्होंने आवेदन में लिखा, ‘अफजल अंसारी और सागिर अंसारी ने धमकी दी और केस वापस लेने का दबाव बनाया था.’ राजेश के मुताबिक, वे दोनों एक नाबालिग आरोपी के रिश्तेदार हैं.
राजेश शाह ने थाना परिसर का एक वीडियो भी साझा किया है जिसमें एक व्यक्ति गालीगलौज कर रहा है. वीडियो में वह शख्स यह भी कह रहा है कि इस मामले में चार लोगों पर केस हुआ है, फिर वह थाने पर बार-बार क्या देखने आ रहा है.
राजेश शाह ने कहा कि उनके साथ गालीगलौज करने वाले थाने का प्रभारी हैं. उन्होंने उक्त थाना प्रभारी पर कार्रवाई की मांग की है.
रोहित की मौत को लेकर पुलिस की पड़ताल कहां पहुंची है, ये जानने के लिए डीआईजी विजय वर्मा से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि वे एक ही मुद्दे पर बार-बार बयान नहीं दे सकते. कोई और सवाल पूछने से पहले ही उन्होंने फोन काट दिया.
इस संबंध में थाना प्रभारी एके तिवारी को काॅल किया गया तो उन्होंने मामले की पुलिस पड़ताल को लेकर फोन पर कुछ भी बताने से इनकार कर दिया, लेकिन ये जरूर कहा कि नाबालिगों ने पूछताछ में बताया है कि वह नदी में डूबने से मरा है.
उन्होंने कहा, ‘पूछताछ में किसी ने भी हत्या की बात नहीं स्वीकारी है. सबने कहा कि वे लोग नहाने गए थे, तभी वह डूब गया.’
राजेश शाह ने इलाके में किसी से झगड़ा या विवाद होने से इनकार किया है. उन्होंने कहा, ‘मुसलमानों के साथ हमारा बहुत सामान्य व्यवहार था. कभी उनके साथ मेरा झगड़ा नहीं हुआ है. मुसलमान ही क्यों किसी के भी साथ मेरी कभी कोई अनबन नहीं हुई. मैं हिंदू-मुसलमान करना नहीं चाहता हूं. मुझे सिर्फ इंसाफ चाहिए.’
राजेश शाह और उनकी पत्नी से दुर्व्यवहार के आरोप पर डीआईजी ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि एसपी मामले की छानबीन कर रहे हैं और जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी.
राजेश शाह ने बताया है कि वह धमकियों व प्रशासन की तरफ से उचित कार्रवाई नहीं होने के कारण अपना गांव छोड़कर देवरिया में रह रहे हैं. हालांकि इसे सोशल मीडिया में ये कहकर प्रचारित किया जा रहा है कि वहां से हिंदू पलायन कर रहा है. इस पर स्थानीय लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.
बेलहीडीह के निवासी प्रदुम्न राय ने कहा, ‘मुस्लिमों के डर से हिंदुओं के पलायन की बात बिल्कुल गलत है, यहां ऐसा कुछ नहीं हो रहा है.’
एक स्थानीय युवक विनोद गुप्ता कहते हैं, ‘किशोर की हत्या हुई है. ये आपराधिक घटना है. इसकी जांच पुलिस करेगी. हिंदू-मुस्लिम और मस्जिद के लिए बलि की जो बातें चल रही हैं, वो अफवाह है. सब यहां आपसी मेल-जोल से रहते हैं.’
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.)