गुजरात से दस ज़िलों के दलित-आदिवासी कार्यकर्ता योगी आदित्यनाथ को महात्मा बुद्ध का संदेश देने आ रहे थे, झांसी में यूपी पुलिस ने उन्हें रोक लिया.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सवा क्विंटल का साबुन देने आ रहे 45 गुजराती दलित-आदिवासी कार्यकर्ताओं को यूपी पुलिस ने झांसी में रोककर हिरासत में ले लिया. हिरासत में लिए गए लोगों में दलित और आदिवासी समाज के लोग हैं, जिनमें आठ महिलाएं भी हैं.
गुजरात के दस ज़िलों के दलित-आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता योगी आदित्यनाथ को महात्मा बुद्ध का संदेश देने आ रहे थे, लेकिन झांसी में यूपी पुलिस ने उन्हें रोक लिया.
ये सभी कार्यकर्ता हाल ही में कुशीनगर में योगी के दौरे से पहले दलितों को साबुन और शैंपू बांटे जाने के विरोध में योगी को 125 किलो का साबुन भेंट करना चाहते थे जिसमें गौतम बुद्ध की मूर्ति बनी है.
इन कार्यकर्ताओं का कहना है कि दलितों को साबुन बांटने से उनको सदमा लगा, इसलिए वे मुख्यमंत्री को महात्मा बुद्ध का संदेश देना चाहते थे.
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुशीनगर का दौरा किया था. उनके दौरे से पहले प्रशासन की तरफ से दलित समुदाय के लोगों में साबुन और शैंपू बांटा गया था. उनसे कहा गया था कि वे नहा धोकर मुख्यमंत्री से मिलने आएं ताकि शरीर से बदबू न आए.
हिरासत में लिए गए सभी लोग गुजरात के हैं. उनमें से कुछ दलित और कुछ आदिवासी समुदाय से हैं जो अलग अलग सामाजिक कार्यों से जुड़े हैं. वे सभी जातीय और धार्मिक प्रताड़ना और विभिन्न सामाजिक मसलों पर सक्रिय हैं.
इस यात्रा के आयोजकों में से एक मॉर्टिन मैकवान ने बताया, ‘हम 45 लोग थे. गुजरात से शनिवार को 125 किलो का साबुन लेकर साबरमती ट्रेन से निकले थे. ये साबुन हमने बनवाया था योगी जी को देने के लिए. एक स्थानीय संगठन के साथ मिलकर हमने लखनऊ में सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी आयोजित की थी.’
पुलिस ने झांसी से पहले ही सभी 45 लोगों को एक डिब्बे में कर लिया था और बाक़ी यात्रियों को दूसरे डिब्बों में भेज दिया था. झांसी पहुंचते ही पुलिस ने सबको हिरासत में ले लिया. इनमें से आठ महिलाएं भी हैं.
मॉर्टिन ने बताया कि हिरासत में लेने के बाद सभी वहीं पर बैठ गए और कहा कि हम धरना देंगे. हमें क्यों हिरासत में लिया गया, हमने क्या ग़लत किया?
इस पर पुलिस ने कहा, ‘हम पर ऊपर से दबाव है. आप पर हमला हो सकता है. यह सुरक्षित जगह नहीं है.’ इसके बाद सभी को बातचीत करने के लिए एक गेस्ट हाउस में ले जाया गया.
योगी को साबुन क्यों देना था, इसके जवाब में मार्टिन मैकवान ने कि मुख्यमंत्री ने कुशीनगर का दौरा किया तो दलितों को साबुन बांटा गया था ताकि वे नहा धोकर उनसे मिलने आएं. इसीलिए हमने गुजरात में 125 किलो का साबुन बनवाया था. यह दलितों को अपना शरीर नहीं, उन्हें अपनी सोच साफ करने की ज़रूरत है.’
उन्होंने कहा, ‘कुशीनगर वही भूमि है जहां पर गौतम बुद्ध का परिनिर्वाण हुआ था. 2500 साल पहले बुद्ध ने एक वाल्मीकि यानी सफाई कर्मी को अपना शिष्य बनाया था. आज उसी कुशीनगर में पूरा इतिहास उलट कर दलितों में साबुन बांटा जा रहा है. यह पूरी तरह से गौतम बुद्ध और डॉ आंबेडकर के ‘जाति के उन्मूलन’ के विचार की हार है. हमें साबुन बांटने की उस घटना से सदमा लगा. हम उन्हें बुद्ध का संदेश देने आ रहे थे.’
मार्टिन ने सवाल किया, ‘हम लोग किसी राजनीतिक दल से नहीं हैं. हममें से सभी सामाजिक कार्यकर्ता हैं. इनमें से कुछ लोग 15-20 साल से ज़मीन के मसले पर, छुआछूत के मसले पर सक्रिय हैं. हमें दुख है कि आज़ादी के 70 साल बाद प्रशासन ऐसा भेदभाव करता है. इसे क्या माना जाए?
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