राजस्थान सरकार ने टिड्डियों के हमलों से प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए दो हेक्टयर तक की सीमा तय की है और जो राशि सरकार दे रही है वो फसलों के लागत मूल्य से भी कम है. राज्य ने फसल बीमा के तहत भी लाभ प्राप्त करने से कई ज़िलों को बाहर कर दिया है.
नई दिल्ली: राजस्थान में टिड्डी दल के हमले से पिछले साल फसलों को भीषण नुकसान पहुंचा था और इस साल समय से काफी पहले ही टिड्डियों ने हमला करना शुरू कर दिया है. इसके चलते राज्य में खरीफ 2019 और रबी 2019-20 सीजन की फसलें व्यापक स्तर पर बर्बाद हुईं हैं.
द वायर द्वारा प्राप्त किए गए विभिन्न जिलों की फसल नुकसान आकलन रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में टिड्डियों द्वारा हमलों के कारण ज्यादातर तहसीलों में 60 फीसदी से ज्यादा फसलें बर्बाद हुई हैं, कुछ जगहों पर 100 फीसदी तक फसल नुकसान हुआ है.
हालांकि इसके बावजूद किसानों को मुआवजा देने को लेकर राज्य सरकार का रवैया बेहद निराशाजनक और मामूली है. आलम ये है कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत मुआवजा प्राप्त करने के लिए सिर्फ चार जिलों को अधिसूचित किया है, जबकि पिछले सत्र में राज्य में टिड्डियों के हमलों से 12 जिले प्रभावित हुए थे.
इतना ही नहीं, राज्य सरकार ने जिन चार जिलों को पीएमएफबीवाई के तहत लाभ देने के लिए अधिसूचित किया है, उसमें भी करीब आधी तहसीलों में फसल नुकसान का पता लगाने के लिए सर्वे नहीं किया गया है.
वहीं केंद्र सरकार ने राजस्थान के लाखों पीड़ित किसानों के लिए 68.75 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की घोषणा की है. 17 मार्च को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दावा किया था कि राजस्थान ने 66,392 किसानों को 110 करोड़ रुपये की राहत राशि दी है.
अपर्याप्त राहत कवरेज
सरकार ने राज्य आपदा प्रबंधन फंड (एसडीआरएफ) के तहत जिलावार कलेक्टर की अगुवाई में फसल नुकसान का आकलन करने के बाद किसानों को प्रति हेक्टेयर 13,500 रुपये का मुआवजा देने की बात की है. हालांकि ये राहत राशि सिर्फ दो हेक्टेयर तक ही सीमित है.
इसका मतलब है कि किसान की चाहे कितने हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई हो, राज्य सरकार अधिकतम दो हेक्टेयर तक ही मुआवजा देगी.
खास बात ये है कि मुआवजे की ये सीमा राजस्थान में औसत जोत से भी कम है, जो कि कृषि जनगणना 2015-16 के मुताबिक 2.73 हेक्टेयर है.
यदि ये माना जाए कि किसानों को अधिकतम मुआवजा यानी कि 27,000 रुपये (13,500 प्रति हेक्टेयर) मिलेगा, इस हिसाब से केंद्र के पैकेज से न्यूनतम 25,425 किसानों (68.65 करोड़ रुपये/27,000 रुपये) को लाभ मिलेगा और राज्य सरकार के पैकेज से 40,740 किसानों (110 करोड़ रुपये/27,000 रुपये) को राहत मिल सकता है.
चूंकि राज्य में जिलेवार किसानों की संख्या का आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, इसलिए पीएम किसान योजना के तहत लाभान्वित किसानों की संख्या के आधार पर हमें न्यूनतम किसानों की संख्या का पता चलता है. यदि इसकी तुलना राहत पैकेज के तहत संभावित लाभान्वितों से किया जाता है तो इससे बड़े पैमाने पर अंतर दिखाई देता है.
उपर्युक्त आकलन के मुताबिक केंद्र एवं राज्य के पैकेज से न्यूनतम 67,000 किसानों को लाभ मिल सकता है लेकिन राज्य के 12 जिलों में न्यूनतम किसानों संख्या 2,448,440 है. यदि इसमें से 50 फीसदी भी किसान टिड्डियों के हमले से प्रभावित हुए होंगे, तब भी ये पैकेज काफी मामूली है.
राजस्थान सरकार द्वारा 66,390 किसानों को 110 करोड़ रुपये का राहत पैकेज देने के दावे को आकलन किया जाए तो प्रति किसान को 16,568 रुपये (110 करोड़ रुपये/66,390) लाभ मिला है, जो कि दर्शाता है कि ज्यादातर किसानों को दो हेक्टेयर तक का भी लाभ नहीं मिला होगा.
हकीकत ये है कि प्रति हेक्टेयर 13,500 रुपये की मुआवजा राशि किसानों की कुल लागत का केवल 20 फीसदी है.
कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, रबी 2019-20 सीजन में बाड़मेर, जैसलमेर, जालौर और जोधपुर में जीरा की फसल के लिए प्रति हेक्टेयर खेती की लागत क्रमशः 36,500 रुपये, 41,000 रुपये, 41,840 रुपये और 48,000 रुपये थी. इसी तरह, गेहूं की लागत इन चार जिलों में क्रमश: 34,500 रुपये, 41,000 रुपये, 45,500 रुपये और 40,000 रुपये थी.
द वायर ने इन जिलों में किसानों से बात की ताकि यह पता लगाया जा सके कि उन्हें मुआवजा मिला है या नहीं.
राजस्थान के जैसलमेर की फतेहगढ़ तहसील के एक किसान दिलीप सिंह भाटी, जिन्होंने रबी 2019-20 में जीरा की फसल उगाई थी, ने कहा, ‘पिछले साल दिसंबर में हमने जिला प्रशासन से टिड्डियों के हमले को नियंत्रित करने का अनुरोध किया था, लेकिन वे बहाने बनाते रहे कि उनके पास पर्याप्त कीटनाशक उपलब्ध नहीं है.’
जैसलमेर में किसानों ने 20 दिसंबर, 2019 को जिला प्रशासन की निष्क्रियता के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन किया था, लेकिन इस पर लोगों का ध्यान नहीं गया.
किसानों ने आरोप लगाया कि केवल उन तहसीलों में ही मुआवजा मिल रहा है, जहां पटवारी ने टिड्डी सर्वेक्षण रिपोर्ट बनाई है. उन्होंने कहा, ‘हमारी तहसील में टिड्डियों के कारण फसल का नुकसान होने के बावजूद हमें कोई मुआवजा नहीं मिला.’
प्रधानमंत्री फसल बीमा के तहत बीमा करवाने वाले फतेहगढ़ के एक और किसान रेवंत सिंह कहते हैं, ‘खरीफ 2019 और रबी 2019-20 के लिए मेरे खाते में कोई दावा नहीं मिला है.’
वह कहते हैं कि जैसलमेर के अधिकांश हिस्सों में उगाई जाने वाली जीरे की फसल टिड्डियों के हमले से सबसे ज्यादा प्रभावित हुई थीं.
सिंह ने कहा, ‘जीरा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तहत कवर नहीं किया गया है और यह ज्यादातर गुजरात के निकटवर्ती राज्य में उंजा मंडी में बेचा जाता है, लेकिन लॉकडाउन के कारण हम अपनी उपज नहीं बेच पा रहे हैं.’
राज्य ने कुछ जिलों को बीमा दायरे से बाहर किया
ऐसा प्रतीत होता है कि टिड्डियों के हमलों के कारण फसल नुकसान सामना करने वाले कई जिलों को राज्य सरकार ने जान-बूझकर पीएमएफबीवाई के दायरे से बाहर रखा है.
इस साल मार्च में विधानसभा में पेश किए गए एक जवाब में राज्य सरकार ने कहा था कि 21 मई, 2019 को पहली बार टिड्डियों द्वारा हमले की जानकारी मिली थी. इससे 12 जिलों में करीब 5.31 लाख हेक्टेयर भूमि पर नुकसान हुआ.
इसमें जैसलमेर (211,640 हेक्टेयर), बाड़मेर (76,704 हेक्टेयर), जोधपुर (42,050 हेक्टेयर), बीकानेर (149,915 हेक्टेयर), नागौर (526 हेक्टेयर), चूरू (500 हेक्टेयर), हनुमानगढ़ (3,972 हेक्टेयर), श्रीगंगानगर ( 22,437 हेक्टेयर), जालौर (15,930 हेक्टेयर), सिरोही (930 हेक्टेयर), पाली (6,816 हेक्टेयर) और उदयपुर (250 हेक्टेयर) जिले शामिल हैं.
हालांकि इन 12 जिलों में से राज्य ने सिर्फ चार जिलों में पीएमएफबीवाई का ‘मध्यावधि क्षति’ वाला क्लॉज लागू किया, जिसमें जैसलमेर, बाड़मेर, जालौर और जोधपुर शामिल हैं. इसका मतलब है कि इन चार जिलों को छोड़कर राज्य के अन्य किसी भी जिले के किसानों को फसल बीमा का लाभ नहीं मिलेगा.
राजस्थान के आपदा प्रबंधन, राहत और नागरिक सुरक्षा विभाग का कहना है कि विधानसभा सत्र के बाद चार और जिलों के लिए अधिसूचना जारी की गई थी.
विभाग के अधीक्षक ने आरएस हाडा ने द वायर को बताया, ‘राजस्थान में कुल 8 जिले (बाड़मेर, बीकानेर, जैसलमेर, जालौर, जोधपुर, श्रीगंगानगर, पाली और सिरोही) को पीएमएफबीवाई के तहत दावा प्राप्त करने के लिए अधिसूचित किया गया है.’
यदि ये बात सही है तब भी राज्य सरकार ने चार जिलों को फसल बीमा के दायरे से बाहर कर दिया है जहां पर टिड्डियों के हमलों के कारण काफी फसल नुकसान हुआ है.
केंद्र और राज्य द्वारा फसल नुकसान अनुमानों के बीच विसंगति
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने छह मार्च को राज्यसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, ‘राजस्थान के चूरू, नागौर और हनुमानगढ़ जिलों में फसल नुकसान की कोई सूचना नहीं है.’ लेकिन 11 फरवरी को राज्य सरकार ने कहा था कि इन जिलों में फसल नुकसान हुआ है.
इसी तरह 17 मार्च को लोकसभा में मंत्रालय ने दावा किया कि राजस्थान में केवल 1.79 लाख हेक्टेयर भूमि टिड्डियों से प्रभावित हुई है. लेकिन राज्य सरकार ने एक महीने पहले विधानसभा के पटल पर बताया था कि राज्य में पांच लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि प्रभावित हुई है.
यहां तक किद वायर द्वारा प्राप्त किए गए जैसलमेर, बाड़मेर और जालौर जिलों के फसल नुकसान आकलन रिपोर्ट से पता चलता है कि इस जिलों में भी करीब आधी तहसीलों का सर्वे ही नहीं किया गया है, जिससे क्षति के बारे में पता चल सके.
उदाहरण के तौर पर बाड़मेर की 14 तहसीलों में से केवल तीन का सर्वेक्षण किया गया था. इसी तरह जालौर में 9 तहसीलों में से 4 और जैसलमेर की 4 तहसीलों में से 2 में फसल नुकसान के बारे में रिपोर्ट में उल्लेख किया गया था.
इन जिलों में किसानों ने बार-बार आरोप लगाया है कि टिड्डियों के हमले से हुए नुकसान का सर्वेक्षण क्षेत्र में पटवारी की इच्छा के अनुसार किया जाता है.
पीएमएफबीवाई के तहत राज्य प्रीमियम का भुगतान अभी तक बकाया
पीएमएफबीवाई के तहत बीमाकृत किसानों को टिड्डियों के हमलों के कारण फसल नुकसान का मुआवजा देने का प्रावधान बीमा पॉलिसी के मध्य-मौसम (बुवाई से कटाई तक) नुकसान क्लॉज में दिया गया है.
इस योजना में आगे कहा गया है कि ये प्रावधान उन्हीं फसलों के लिए लागू किया जाएगा जिसके लिए राज्य सरकार ने क्षति अधिसूचना जारी किया हो.
राजस्थान सरकार किसानों को टिड्डियों के हमलों के चलते नुकसान का मुआवजा देने के लिए ज्यादातर फसल बीमा योजना पर आश्रित है, लेकिन उन्होंने खरीफ-2019 और रबी 2019-20 के लिए राज्य प्रीमियम हिस्से का भुगतान नहीं किया है.
द वायर से बात करते हुए राजस्थान पंत कृषि भवन में कृषि आयुक्त ओम प्रकाश ने कहा, ‘हमें खरीफ 2019 के लिए 1,430 करोड़ रुपये का प्रीमियम देना था, जिसमें से 1,100 करोड़ रुपये का भुगतान बीमा कंपनियों को कर दिया गया है. बाकी राशि अगले दस दिनों में जारी की जाएगी.’
उन्होंने कहा कि रबी 2019-20 के प्रीमियम हिस्से का भुगतान ‘फसल कटाई प्रयोगों’ (क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट) यानी फसल नुकसान का आकलन पूरा होने के बाद किया जाएगा.
यह बात कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा 6 मार्च को राज्यसभा में दिए गए जवाब से विपरीत है. तोमर ने कहा था, ‘राजस्थान सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रावधानों के अनुसार किसानों की ओर से बीमा कंपनियों को राज्य प्रीमियम सब्सिडी का हिस्सा जारी कर दिया है.’
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