जस्टिस कर्णन ने ज़मानत और सज़ा संबंधी याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए मौखिक आवेदन किया था, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया.
उच्चतम न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति सी. एस. कर्णन की ओर से ज़मानत और अवमानना के लिए उन्हें सुनायी गयी सज़ा को वापस लेने संबंधी याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने से इनकार कर दिया.
उच्चतम न्यायालय द्वारा छह महीने के कारावास की सज़ा सुनाये जाने के बाद 20 जून को गिरफ्तार किये गये कर्णन ने अनुरोध किया था कि उनकी ज़मानत और सज़ा रद्द करने संबंधी याचिका पर शीघ्र सुनवाई की जाए.
प्रधान न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने इसे ख़ारिज करते हुए कहा कि हम फैसले के ख़िलाफ़ मौखिक आवेदन स्वीकार नहीं करेंगे.
न्यायमूर्ति कर्णन की ओर से पेश हुए वकील मैथ्यू जे. नेदुमपारा ने कहा कि वे कारावास की सज़ा भुगत रहे हैं और उनके आवेदन पर शीघ्र सुनवाई की आवश्यकता है.
उच्चतम न्यायालय की अवकाश पीठ ने 21 जून को उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अर्जी पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा था कि वह इस मामले में सात न्यायाधीशों की पीठ के फैसले को नहीं बदल सकती.
कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद से 12 जून को सेवानिवृत हुए 62 वर्षीय कर्णन को पश्चिम बंगाल सीआईडी ने 20 जून को गिरफ्तार किया. वे नौ मई से कोयंबटूर में थे. इसी दिन उच्चतम न्यायालय ने उन्हें अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया था और छह माह कारावास की सज़ा सुनायी.
कर्णन पद पर रहते हुए कारावास की सज़ा पाने वाले और बतौर भगोड़ा सेवानिवृत होने वाले किसी उच्च न्यायालय के पहले न्यायाधीश हैं.
चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की पीठ ने नौ मई को पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को तत्कालीन न्यायाधीश को तुरंत हिरासत में लेने का आदेश दिया था.
कई बार प्रयास करने के बावजूद कर्णन को उच्चतम न्यायालय की अवकाश पीठ से कोई राहत नहीं मिली. इसने कर्णन के कारावास की सज़ा पर स्थगन लगाने के लिए सुनवाई से भी इनकार कर दिया.