डीयू के प्रोफेसर जीएन साईबाबा को जमानत न दिए जाने को लेकर अरुंधति रॉय ने एक लेख लिखा था, जिसे लेकर उनपर बाम्बे हाईकोर्ट में अवमानना का केस चल रहा था.
सुप्रीम कोर्ट ने लेखिका और कार्यकर्ता अरुंधति रॉय के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय में लंबित अवमानना की कार्यवाही पर सोमवार को रोक लगा दी. अवमानना की यह कार्यवाही रॉय द्वारा एक साप्ताहिक पत्रिका में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जीएन साईबाबा को कैद में रखने पर एक साप्ताहिक पत्रिका में सवाल उठाये जाने के संबंध में शुरू की गई है.
प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की खंडपीठ ने रॉय को अपील करने की अनुमति प्रदान करने के साथ ही उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ द्वारा जारी आपराधिक अवमानना की नोटिस के खिलाफ उनकी अपील अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दी.
शुरू में न्यायालय ने कहा कि वह मामले का निबटारा करना चाहता है परंतु बाद में लेखिका की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता चन्द्र उदय सिंह की दलीलें सुनने के बाद अपील विचारार्थ स्वीकार करते हुए इस मामले की कार्यवाही पर रोक लगा दी.
शीर्ष अदालत ने इससे पहले उच्च न्यायालय द्वारा 23 दिसंबर, 2015 को साईबाबा की गिरफ्तारी पर उनके नजरिये को लेकर जारी अवमानना नोटिस और गत वर्ष के प्रारंभ में उनकी जमानत याचिका अस्वीकार किए जाने पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. पीठ ने उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश होने से राय को छूट देने से भी इंकार कर दिया था.
गढ़चिरौली पुलिस ने 2014 में साईबाबा को माओवादियों से उनके कथित संबंधों के सिलसिले में गिरफ्तार किया था. वह पिछले साल जून से जमानत पर हैं.