सत्तारूढ़ आवामी लीग सरकार का कहना है कि इस फैसले से संप्रभु संसद की शक्तियां कम हो सकती हैं.
बांग्लादेश के सुप्रीट कोर्ट ने एक ऐतिहासिक आदेश में शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों पर महाभियोग चलाने के लिए संसद को अधिकार प्रदान करने वाले संविधान संशोधन को अमान्य घोषित कर दिया.
सरकार का कहना है कि इस फैसले से संप्रभु संसद की शक्तियां कम हो सकती हैं.
संविधान के 16 वें संशोधन को अवैध घोषित करने वाले उच्च न्यायालय के पूर्व के फैसले को शीर्ष न्यायालय की सात सदस्यीय पीठ द्वारा सर्वसम्मति से बरकररार रखते हुए प्रधान न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार सिन्हा ने कहा,‘सर्वसम्मत फैसले से (सरकार की)अपील खारिज की जाती है.’
उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत की सात सदस्यीय पीठ ने 11 दिनों तक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सरकार की अपीलें और दलीलें सुनते हुए कुछ तथ्यों के बाद अपील खारिज की.
यह फैसला ऐसे वक्त आया है निचली अदालतों के न्यायाधीशों को अनुशासित रखने में शीर्ष अदालत के अधिकार क्षेत्र को लेकर प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्तारूढ़ आवामी लीग सरकार उच्चतम न्यायालय के साथ टकराव साफ दिख रहा है.
अटार्नी जनरल महबूब आलम ने फैसले पर अपनी निराशा प्रकट करते हुए आशंका जतायी कि इससे संप्रभु संसद के प्राधिकार का मान घटेगा लेकिन कहा कि सरकार के साथ मशविरा कर शीर्ष अदालत द्वारा उसके फैसले की समीक्षा की मांग को लेकर वह कदम उठा सकते हैं.