सुप्रीम कोर्ट ने वैध कारणों के चलते अमान्य नोटों को जमा नहीं करा सके लोगों को मौका उपलब्ध कराने पर विचार करने के लिये केंद्र को दो सप्ताह का समय दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने चलन से बाहर हुए 500 एवं 1000 रुपये के नोटों को वैध कारणों के चलते जमा नहीं करा सके लोगों को ये नोट जमा कराने का मौका उपलब्ध कराने पर विचार के लिये केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक को दो सप्ताह का समय दिया है.
प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार को इस मुद्दे पर निर्देश लेने को कहा.
पीठ ने कहा, ‘ऐसी स्थिति हो सकती है कि किसी व्यक्ति का धन खो गया हो. मान लीजिए कि कोई व्यक्ति उस समय जेल में हो… हम यह जानना चाहते हैं कि आपने ऐसे व्यक्तियों पर रोक लगाने का फैसला क्यों किया.’
इसके बाद सॉलिसिटर जनरल ने मामला-दर-मामला आधार पर लोगों को उनका धन जमा कराने का अवसर देने के संबंध में निर्देशों के लिए समय मांगा.
पीठ सुधा मिश्रा की याचिका समेत कई याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी. सुधा ने अपनी याचिका में कहा है कि वह केंद्र एवं आरबीआई के बताए समय में चलन से बाहर हुए अपने नोट जमा नहीं करा पाईं इसलिए उन्हें ये नोट जमा कराने की अनुमति देने का प्राधिकारियों को आदेश दिया जाए.
केंद्र सरकार ने पिछले साल आठ नवंबर को घोषणा की थी कि नौ नवंबर से 500 एवं 1000 रुपये के नोट चलन से बाहर हो जाएंगे.
सरकार ने लोगों को यह भी भरोसा दिलाया था कि चलन से बाहर किए गए नोटों को 30 दिसंबर 2016 तक बैंकों, डाकघरों एवं आरबीआई शाखाओं में बदला जा सकता है. यदि लोग इस अवधि में इन नोटों को जमा नहीं करा पाते हैं तो वे निश्चित औपचारिकताएं पूरी कर आरबीआई शाखाओं में 31 मार्च 2017 तक ये नोट जमा करा सकते हैं.