सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को ग़लत ठहराया जहां उसने फर्ज़ी सर्टिफिकेट के आधार पर व्यक्ति को नौकरी की लंबी अवधि के चलते सेवा में बने रहने की अनुमति देने की बात कही थी.
उच्चतम न्यायालय ने 6 जुलाई को कहा कि फर्ज़ी प्रमाणपत्र के आधार पर आरक्षण के तहत मिली सरकारी नौकरी या दाखिले को क़ानून की नजरों में वैध नहीं ठहराया जा सकता है.
प्रधान न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने इस संदर्भ में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सही नहीं ठहराया, जिसमें कहा गया था कि यदि कोई व्यक्ति बहुत लंबे समय से नौकरी कर रहा है और बाद में उसका प्रमाणपत्र फर्ज़ी पाया जाता है तो उसे सेवा में बने रहने की अनुमति दी जा सकती है.
SC holds that job & admissions secured on caste certificates in reserved categories can not be sustained if found to be fake subsequently.
— ANI (@ANI) July 6, 2017
बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार द्वारा दायर याचिका सहित विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने 6 जुलाई को यह फैसला सुनाया.
हालांकि उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि इस आदेश को पिछली तिथि से लागू नहीं किया जा सकता है, यह फैसला भविष्य में आने वाले मामलों में ही प्रभावी होगा.