उन लोगों के लिए ये राहत भरा क़दम हो सकता है जो उचित पारदर्शिता और जवाबदेही नहीं होने के कारण पीएमएनआरएफ और पीएम केयर्स फंड में अनुदान देने को लेकर संशय की स्थिति में थे.
नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने नेशनल डिज़ास्टर रिस्पॉन्स फंड (एनडीआरएफ) में व्यक्तियों या संस्थानों द्वारा अनुदान देने की प्रक्रिया को मंजूरी दे दी है. उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर एक अकाउंट खोलने को कहा है जिसमें आपात परिस्थितियों के दौरान जनता आर्थिक मदद दे सकेगी.
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (डीएम एक्ट, 2005) की धारा 46(1) तहत एनडीआरएफ का गठन किया गया था. इस फंड की राशि को आपदा राहत के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि अब तक इस फंड में सिर्फ केंद्र सरकार ही योगदान देती आई है.
जबकि एक्ट की धारा 46(1)(बी) के तहत ये भी प्रावधान है कि कोई व्यक्ति या संस्थान भी योगदान दे सकते हैं, लेकिन इस संबंध में अब तक कोई अकाउंट नहीं खोला गया था या इसकी कोई प्रक्रिया नहीं बनाई गई थी.
लंबे इंतजार के बाद अब वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने इस संबंध में एक कार्यप्रणाली को मंजूरी दी है और केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को पत्र लिखकर कहा गया है कि अकाउंट खोलने के संबंध में वे उचित कार्रवाई करें.
व्यय विभाग के वित्त आयोग डिविजन (एफसीडी) द्वारा जारी पत्र में कहा गया, ‘इस मामले पर आर्थिक कार्य विभाग के बजट डिविजन के साथ विचार विमर्श किया गया है और डीएम एक्ट 2005 की धारा 46(1)(बी) के तहत एनडीआरएफ में व्यक्तियों/संस्थाओं से अनुदान प्राप्त करने को लेकर हमें कोई आपत्ति नहीं है.’
वित्त मंत्रालय ने गृह मंत्रालय से कहा कि वे महालेखा नियंत्रक (सीजीए) के साथ विचार करके एक नया हेड खोलें, जिसका नाम ‘आपदा प्रबंधन के लिए किसी व्यक्ति या संस्थानों से अनुदान/योगदान‘ होगा और जनता से प्राप्त राशि को इसी में जमा किया जाएगा.
इसके अलावा व्यय विभाग ने यह भी कहा है कि यदि दानकर्ता चेक जरिये अनुदान देना चाहता है तो वो गृह मंत्रालय द्वारा नामांकित सरकारी बैंक में ‘PAO (Secretariat) MHA’ नाम पर चेक लिखकर जमा करा सकता है. व्यक्तियों या संस्थानों से प्राप्त पैसे को पूर्व में अपनाई जा रही प्रक्रियाओं के तहत एनडीआरएफ में ट्रांसफर और उससे निकाला जा सकेगा.
वित्त मंत्रालय ने गृह मंत्रालय से कहा है कि हूबहू यही प्रक्रिया राज्य स्तर पर स्टेट डिज़ास्टर रिस्पॉन्स फंड (एसडीआरएफ) के लिए भी अपनाई जाए, ताकि आपदा प्रबंधन के लिए लोग इसमें भी अनुदान दे सकें.
मालूम हो कि आपात परिस्थितियों के समय जनता से अनुदान प्राप्त करने के लिए केंद्र स्तर पर फिलहाल प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) और हाल ही में बनाए गए पीएम केयर्स फंड जैसी व्यवस्था उपलब्ध है.
कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न हुए संकट से समाधान में जनता से आर्थिक मदद प्राप्त करने के लिए पीएम केयर्स फंड बनाया गया है.
हालांकि इन दोनों फंड्स के साथ सबसे बड़ी समस्या ये है कि इनकी कार्यप्रणाली काफी अपारदर्शी है, जबकि प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष हैं और ट्रस्ट में सरकार के उच्च पदों पर बैठे लोग जैसे कि वित्त मंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री इसमें शामिल हैं, बावजूद इसके प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) का दावा है कि ये फंड आरटीआई एक्ट, 2005 के तहत पब्लिक अथॉरिटी नहीं है.
इसका मतलब ये हुआ कि इन दोनों फंड्स के संबंध में आरटीआई एक्ट के तहत जानकारी नहीं प्राप्त की जा सकती है. इसके अलावा इनमें प्राप्त हुए अनुदान की ऑडिटिंग राष्ट्रीय ऑडिटर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को करने की इजाजत नहीं है.
पीएम केयर्स फंड के संबंध में बहुत बेसिक जानकारी, जैसे कि इन फंड में कुल कितनी राशि प्राप्त हुई और इसमें से कितनी राशि को किन-किन कार्यों में खर्च किया गया है, उपलब्ध नहीं है.
पीएमओ की दलील है कि ये दोनों फंड किसी सरकारी आदेश या एक्ट या नोटिफिकेशन के तहत नहीं बनाए गए हैं और प्रधानमंत्री की अपील पर इनका गठन किया गया है, इसलिए इन पर आरटीआई एक्ट लागू नहीं होगा.
इसके विपरीत एनडीआरएफ संसद से पारित किए गए कानून के तहत बनाया गया है, इसलिए इस पर आरटीआई एक्ट लागू है और यह एक पब्लिक अथॉरिटी है.
इससे संबंधित दस्तावेज और इसका लेखा-जोखा सूचना का अधिकार कानून के तहत प्राप्त किया जा सकता है. इसके अलावा इस फंड की ऑडिटिंग कैग करता है. ये दो प्रमुख वजहें हैं जो कि इसे पारदर्शी और जवाबदेह बनाता है.
इन्हीं दलीलों को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर ये मांग की गई है कि अब तक पीएम केयर्स फंड में प्राप्त हुई कुल राशि को एनडीआरएफ में ट्रांसफर किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता ने कहा है कि एनडीआरएफ के होते हुए पीएम केयर्स फंड जैसी व्यवस्था बनाना आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के प्रावधानों का उल्लंघन है.
इसी एक्ट की धारा 72 के तहत किसी अन्य कानून के साथ विरोधाभास उत्पन्न होने की स्थिति में आपदा प्रबंधन कानून के प्रावधानों को ही प्रभावी माना जाएगा. उन्होंने कहा कि इसलिए इस कानून की भावना को पूर्ण रूप से लागू करने के लिए पीएम केयर्स फंड को एनडीआरएफ में ट्रांसफर किया जाए.
द वायर ने अपनी पिछली रिपोर्ट में सवाल उठाया था कि आखिर क्यों इस एक्ट के बनने के 15 साल के बाद भी इस संबंध में आज तक कोई अकाउंट नहीं खोला गया है, जिसमें लोग डोनेशन दे सकें.
ये जानने के लिए क्या आपदा प्रबंधन एक्ट की धारा 46(1)(बी) के तहत कोई नियम/प्रकिया या कार्यप्रणाली बनाई गई है, द वायर ने आरटीआई दायर किया और गृह मंत्रालय तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सचिवों को पत्र भी लिखा था.
पारदर्शिता कार्यकर्ता कोमोडोर लोकेश बत्रा (रिटायर्ड) ने भी विभिन्न विभागों के अधिकारियों का ध्यान इस ओर खींचा और एनडीआरएफ में जनता द्वारा अनुदान देने की प्रक्रिया बनाने की गुजारिश की.
बत्रा के ही एक आरटीआई आवेदन पर गृह मंत्रालय के आपदा प्रबंधन विभाग ने कहा कि चूंकि एनडीआरएफ के बजट प्रावधान और सेस/कर के कलेक्शन को वित्त मंत्रालय का व्यय विभाग देखता है, इसलिए मांगी गई जानकारी व्यय विभाग के अधिकार क्षेत्र में है.
इसी के बाद से व्यय विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया गया. द वायर ने व्यय सचिव डॉ. टीवी सोमनाथन को पत्र लिखकर उनसे पूछा कि क्या कोई ऐसी व्यवस्था तैयार की गई है जिसके तहत कोई व्यक्ति/संस्थान एनडीआरएफ में अनुदान दे सकता है. उनसे इस संबंध में बनाए गए नियमों या प्रक्रियाओं की सत्यापित प्रति मुहैया कराने की भी मांग की गई.
पहले तो सोमनाथन के ऑफिस ने कहा कि ये मामला उनके द्वारा नहीं, बल्कि गृह मंत्रालय द्वारा देखा जाना है. हालांकि बाद में जब उन्हें इस बात अवगत से कराया गया कि गृह मंत्रालय ने एक आरटीआई के जवाब में ऑन-रिकॉर्ड ये बात कही है कि व्यय विभाग द्वारा इस पर कार्रवाई की जानी है, इसके बाद वित्त मंत्रालय ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर एनडीआरएफ में व्यक्तियों या संस्थाओं द्वारा अनुदान प्राप्त करने पर सहमति दी.
इतना ही नहीं मंत्रालय ने विधिवत पूरी प्रक्रिया तैयार करके गृह मंत्रालय से एक अलग हेड तैयार करने को कहा है जिसमें आपदा राहत के लिए ये अनुदान इकट्ठा किया जाएगा.
सूत्रों ने द वायर को ये भी बताया है कि यदि ये अकाउंट तैयार हो जाता है तो वित्त मंत्रालय को एनडीआरएफ के लिए बजट देने में राहत मिलेगी.
उन्होंने कहा, ‘अगर हमें जनता से पैसा मिलता है तो यह और अच्छा होगा. हमारे पास फंड की कमी हो रही है. पहले हमें सेस से काफी पैसा मिल जाता था, जिसे हम एनडीआरएफ में खर्च करते थे, लेकिन जीएसटी आने के बाद सेस का स्कोप काफी कम हो गया है और काफी कुछ बजट से खर्च करना पड़ता है.’
जाहिर है अब अकाउंट खोलने के संबंध में गृह मंत्रालय को अंतिम फैसला लेना है. उन लोगों के लिए ये राहत भरा कदम हो सकता है जो उचित पारदर्शिता और जवाबदेही नहीं होने के कारण पीएमएनआरएफ और पीएम केयर्स फंड में अनुदान देने को लेकर संशय की स्थिति में थे. ऐसे लोगों के लिए एनडीआरएफ में जनता द्वारा अनुदान देने का रास्ता खुलना एक बेहतर विकल्प हो सकता है.