जम्मू: अंतिम संस्कार के दौरान कोरोना पीड़ित के दो रिश्तेदारों की मौत को लेकर प्रदर्शन

जम्मू में बीते 18 जून को कोरोना वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार में शामिल होने के दौरान उनके दो रिश्तेदारों की मौत हो गई थी. परिजनों को आरोप है कि दोनों की मौत प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है. भीषण गर्मी के बावजूद उन्हें पीपीई किट पहनाकर एक श्मशान भूमि से दूसरे श्मशान भूमि घुमाया गया. पानी की कमी से उनकी मौत हो गई.

New Delhi: Relatives of a COVID-19 victim mourn over his demise at Punjabi Bagh cremation ground which is the capital’s first COVID-only burning ghat, in New Delhi, Wednesday, June 10, 2020. (PTI Photo/Kamal Kishore)(PTI10-06-2020 000107B)

जम्मू में बीते 18 जून को कोरोना वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार में शामिल होने के दौरान उनके दो रिश्तेदारों की मौत हो गई थी. परिजनों को आरोप है कि दोनों की मौत प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है. भीषण गर्मी के बावजूद उन्हें पीपीई किट पहनाकर एक श्मशान भूमि से दूसरे श्मशान भूमि घुमाया गया. पानी की कमी से उनकी मौत हो गई.

New Delhi: Relatives of a COVID-19 victim mourn over his demise at Punjabi Bagh cremation ground which is the capital’s first COVID-only burning ghat, in New Delhi, Wednesday, June 10, 2020. (PTI Photo/Kamal Kishore)(PTI10-06-2020 000107B)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

जम्मू: जम्मू में एक कोरोना संक्रमित व्यक्ति के अंतिम संस्कार में शामिल होने के दौरान उनके दो रिश्तेदारों की रहस्यमय परिस्थिति में मौत के मामले की न्यायिक जांच की मांग को लेकर बीते शनिवार को प्रदर्शन किया गया.

प्रर्दशनकारियों ने जिला प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए बीते 20 जून को जम्मू-पठानकोट राजमार्ग को बाधित किया.

मृतकों के परिजनों सहित बड़ी संख्या में लोगों ने जम्मू शहर के बाहरी इलाके गंगयाल में प्रदर्शन किया और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने, न्यायिक जांच कराने और पीड़ितों के परिवार को उचित मुआवजा देने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग को बाधित किया.

एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘दोनों युवकों की मौत प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है. गर्मी के बावजूद उन्हें व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) पहनाकर एक श्मशान भूमि से दूसरे श्मशान भूमि घुमाया गया. उन्हें पानी तक उपलब्ध नहीं कराया गया.’

उन्होंने दावा किया कि दोनों युवकों की मौत शरीर में पानी की कमी की वजह से हुई और इसे प्राकृतिक मौत बताकर खारिज नहीं किया जा सकता बल्कि इसे हत्या मानकर जांच की जानी चाहिए.

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक विक्रम रंधावा ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया और कहा कि लोगों की जान बचाने में नाकाम रहने वाले लोगों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘दोनों की मौत की वजह बनी परिस्थितियों की निंदा की जानी चाहिए. रंधावा ने विमल के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की, क्योंकि वह अपने पीछे पत्नी और दो छोटी-छोटी बच्चियों को छोड़ कर गए हैं.’

स्थानीय पार्षद बलदेव बिल्लावारिया ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रशासन कोविड-19 से होने वाले मौतों के मामलों में दाह संस्कार का उचित स्थान तय नहीं कर पाया है, जबकि पहले भी इसको को लेकर अप्रिय घटनाएं हो चुकी हैं.

प्रदर्शनकारियों को मनाने और सड़क खुलवाने में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों को कड़ी मेहनत करनी पड़ी.

जम्मू की जिलाधिकारी सुषमा चौहान ने पहले ही विमल जाडू और उनके चचेरे भाई विपिन जाडू की बीते 18 जून को उनके कोरोना पॉजिटिव चाचा के अंतिम संस्कार के दौरान हुई मौत की समयबद्ध न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं.

इससे एक दिन पहले ही उनके 65 वर्षीय चाचा के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी.

जिला प्रशासन ने 20 जून की सुबह मानवीय आधार पर दोनों मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की.

हालांकि दोनों की कोरोना वायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए गई जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है.