आईसीएमआर ने कहा है कि कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने और लोगों की जान बचाने का एकमात्र तरीका है कि हम जांच करें, संक्रमण के कारण पता करें और फिर इलाज करें. देश में 23 जून तक 73.5 लाख से ज़्यादा नमूनों की जांच हुई है.
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस से संबंधित जांच के दायरे को बढ़ाते हुए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने बुधवार को कहा है कि अब देश भर में कोविड-19 के लक्षण वाले हर व्यक्ति के लिए जांच सुविधा व्यापक स्तर पर उपलब्ध कराई जाएगी.
कोविड-19 की जांच को लेकर आईसीएमआर द्वारा बीते 23 जून को जारी एक संशोधित परामर्श में कहा गया, ‘संक्रमण रोकने और लोगों की जान बचाने का एकमात्र तरीका है कि हम जांच करें, संक्रमण के कारण पता करें और फिर इलाज करें. इसलिए देश के हर कोने में लक्षण वाले लोगों के लिए जांच सुविधा व्यापक स्तर पर उपलब्ध कराई जाए. इसके साथ ही में संक्रमण के कारणों का पता कर उसके प्रसार को रोकने की प्रक्रिया को और मजबूत करना होगा.’
जांच संबंधी अपनी संशोधित रणनीति में आईसीएमआर ने उन सभी लोगों की सात दिनों के भीतर जांच कराने की सलाह दी है जो विदेशों से लौटे हों या प्रवासी हों और उन्हें इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) हो.
आईएलआई जैसे लक्षणों के साथ, अस्पतालों में भर्ती मरीज हों या निषिद्ध क्षेत्र में रहने वाले व्यक्ति, सभी को जांच कराने की सलाह दी गई है. कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए कार्यरत सभी कर्मचारियों को भी जांच करानी होगी, वह चाहे स्वास्थ्य सेवा से जुड़े हों या फिर अन्य सेवाओं से.
आईसीएमआर ने प्राधिकारियों से कहा है कि वे सभी सरकारी व निजी अस्पतालों, कार्यालयों और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को एंटीबॉडी आधारित कोविड-19 जांच क्षमता से लैस करे ताकि निगरानी कर स्वास्थ्यकर्मियों और कर्मचारियों के भय को समाप्त किया जा सके.
इसके पहले आईसीएमआर की ओर से जो परामर्श जारी किया गया था उसमें निषिद्ध क्षेत्रों के अलावा भीड़भाड़ वाले इलाकों के, आईएलआई के लक्षण वाले लोगों की सुविधा केंद्रों पर जांच कराने की बात कही गई थी.
आईसीएमआर की ओर से जारी परामर्श में यह भी अनुशंसा की है कि सभी निषिद्ध क्षेत्रों, केंद्र व राज्य के सभी चिकित्सा कॉलेजों और अस्पतालों तथा नेशनल एक्रिडिएशन बोर्ड ऑफ हॉस्पिटल्स एंड हेल्थकेयर (एनएबीएच) व राष्ट्रीय परीक्षण और अंश शोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) से अनुमोदित निजी अस्पतालों और आईसीएमआर से अनुमोदित निजी प्रयोगशालाओं में ‘रैपिड एंटीजन डिटेक्शन टेस्ट’ के साथ साथ आरटी-पीसीआर टेस्ट की सुविधा मुहैया कराई जाए.
परामर्श में कहा गया है, ‘आईसीएमआर की ओर से सुझाए गए जांच के विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करते हुए सभी राज्य सरकारें, सरकारी और निजी संस्थाएं कोविड-19 की जांच के दायरे को बढ़ाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं.’
देश में 23 जून तक 73.5 लाख से ज्यादा नमूनों की जांच हुई
देश में कोविड-19 के संक्रमण के बाद से 23 जून तक 73.5 लाख से ज्यादा नमूनों की जांच की गई है और 23 जून को एक दिन में सबसे ज्यादा 2.5 लाख जांच की गई. आईसीएमआर के अधिकारियों ने बुधवार को इस बारे में जानकारी दी.
एक अधिकारी ने बताया कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने देश में कोविड-19 की जांच के लिए अब तक 1,000 प्रयोगशालाओं को अनुमति दी है. वर्तमान में प्रति दिन तीन लाख नमूनों की जांच हो सकती है.
जांच के लिए कुल 1,000 प्रयोगशाला में 730 सरकारी हैं और 270 निजी क्षेत्र की हैं. इसमें आरटी-पीसीआर लैब (557), ट्रूनेट लैब (363) और सीबीएनएएटी लैब (80) भी शामिल हैं.
आईसीएमआर ने अपने परामर्श में कहा है, ‘इतनी कवायद के बावजूद भारत जैसे बड़े देश में जांच तक पहुंच एक बड़ी चुनौती है. त्वरित जांच के लिए परीक्षण की क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है.’
कुछ खास स्थिति में एंटीबॉडी टेस्ट के साथ सीरो सर्वे जांच (खून के सैंपल की जांच) भी की जाती है. इसके मद्देनजर देश के विभिन्न भागों में जांच की उपलब्धता बढ़ाने के लिए अन्य जांच पद्धति को शामिल करने का सुझाव दिया गया है.
कोविड-19 की जांच के लिए आरटी-पीसीआर (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेस चेन रिएक्शन) सबसे मानक परीक्षण है और नतीजे मिलने में चार-पांच घंटे लगते हैं. आईसीएमआर ने हाल में कोरोना वायरस संक्रमण के लिए रैपिड एंटीजन जांच के इस्तेमाल को भी मंजूरी दी है. इससे 30 मिनट में जांच के नतीजे आ जाते हैं.
बता दें कि भारत में लगातार कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं गुरुवार तक संक्रमितों की संख्या 4,73,105 पर पहुंच गई और मृतकों की संख्या बढ़कर 14,894 हो गई.