मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से गठित इंडियन काउंसिल फॉर फिलॉसफिकल रिसर्च का मानना है कि गोलवरकर के विचारों को सही परिप्रेक्ष्य में समझे जाने की ज़रूरत है.
![एमएस गोलवलकर. फोटो: यूट्यूब](https://hindi.thewire.in/wp-content/uploads/2017/04/Golwalker.jpg)
नई दिल्ली: राष्ट्रवाद पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारक एमएस गोलवरकर के विचारों को गलत समझा गया है और उसे सही परिप्रेक्ष्य में समझे जाने की ज़रूरत है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी किताब ज्योतिपुंज में आरएसएस के दूसरे प्रमुख गोलवलकर को पूजनीय गुरुजी कहकर संबोधित किया है. इस पुस्तक में मोदी ने ऐसे 16 लोगों के जीवन का कहानियां बताई हैं, जिन्होंने उन्हें प्रभावित किया है.
दर्शनशास्त्र के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा देने और उसमें सहायता करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से गठित इंडियन काउंसिल फॉर फिलॉसफिकल रिसर्च (आईसीपीआर) का मानना है कि राष्ट्रवाद पर गोलवरकर के विचारों को गलत समझा गया है और विरोधियों ने उसे गलत परिप्रेक्ष्य में पेश किया है.
एमएस गोलवरकर के विचारों में राष्ट्र और राष्ट्रवाद के सिद्धांत विषय पर संभवत: अगले महीने एक गोष्ठी आयोजित की जाएगी. आईसीपीआर ने विद्वानों से 27 जुलाई तक प्रविष्टी मांगी है, उसी आधार पर गोष्ठी की तारीख़ तय की जाएगी.