कोरोना वायरस की सस्ती दवाइयों को बढ़ावा क्यों नहीं दिया जा रहा: संसदीय समिति

गृह मामलों की स्थायी समिति के सदस्यों ने दवाइयों की कालाबाज़ारी पर चिंता प्रकट की है और कहा कि कोविड-19 इलाज के लिए सस्ती दवाओं का प्रचार किया जाए.

New Delhi: The statue of Mahatma Gandhi in the backdrop of the Parliament House during the Monsoon Session, in New Delhi on Friday, July 20, 2018. (PTI Photo/Kamal Kishore) (PTI7_20_2018_000250B)
संसद भवन. (फोटो: पीटीआई)

गृह मामलों की स्थायी समिति के सदस्यों ने दवाइयों की कालाबाज़ारी पर चिंता प्रकट की है और कहा कि कोविड-19 इलाज के लिए सस्ती दवाओं का प्रचार किया जाए.

New Delhi: The statue of Mahatma Gandhi in the backdrop of the Parliament House during the Monsoon Session, in New Delhi on Friday, July 20, 2018. (PTI Photo/Kamal Kishore) (PTI7_20_2018_000250B)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने बीते बुधवार को वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को कोविड-19 की सस्ती और देश में निर्मित आसानी से उपलब्ध दवाइयों को बढ़ावा देने को कहा. सूत्रों ने यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि समिति ने औषधि कंपनियों द्वारा पेश की जा रही महंगी दवाइयों का उपयोग करने की सलाह को रोकने और उनकी कीमतों को भी नियंत्रित करने को कहा.

सूत्रों ने बताया कि गृह मामलों की स्थायी समिति की एक बैठक में समिति के सदस्यों ने कोविड-19 की दवाइयों की अधिकतम कीम सीमा भी तय किए जाने की मांग की.

इस बैठक में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल और अन्य अधिकारी उपस्थिति थे.

केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल और अन्य अधिकारियों ने कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली गृह मामलों पर संसद की स्थायी समिति को कोविड-19 महामारी के प्रबंधन पर तथा चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन हटाए जाने एवं आर्थिक गतिविधियों को बहाल किए जाने पर जानकारी दी.

समिति के सूत्रों ने बताया कि दलीय भावना से ऊपर उठते हुए समिति के सदस्यों ने सवाल किया कि कोविड-19 के उपचार के लिए अक्सर महंगी दवाइयों की सलाह क्यों दी जा रही है?

सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान समिति के सदस्यों ने रेमेडेसिवीर और टोसीलीजुमैब जैसी दवाइयों की कालाबाजारी पर चिंता प्रकट की. उन्होंने इन दवाइयों की कीमतों की अधिकतम सीमा भी निर्धारित करने का सुझाव दिया.

समिति के सदस्यों ने तीन सस्ती और आसानी से उपलब्ध दवाइयों का नाम लेते हुए सवाल किया कि इन दवाइयों के समान रूप से कारगर होने के बावजूद भी इन्हें बढ़ावा क्यों नहीं दिया जा रहा है?

उन्होंने बताया कि सांसदों ने स्थानीय स्तर पर निर्मित और आसानी से उपलब्ध दवाइयों को बढ़ावा देने का समर्थन करते हुए कहा कि फार्मास्यूटिकल लॉबी महंगे विकल्पों पर जोर देकर सस्ती दवाइयों को समाप्त करना चाहती हैं.

समिति के सदस्यों को अधिकारियों द्वारा लॉकडाउन और देश में कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए इसके प्रभावी होने के बारे में भी जानकारी दी गई.

सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह सचिव भल्ला ने सरकार द्वारा संपूर्ण स्थिति से निपटे जाने के बारे में प्रस्तुति दी.

इसके अलावा सांसदों ने सुझाव दिया कि प्रवासी श्रमिकों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाया जाए क्योंकि यह उनकी सामाजिक सुरक्षा बेहतर करने में मदद करेगा और उन्हें सीधे बैंक खाते में पैसे एवं राशन दिया जाना चाहिए.

स्कूलों के लिए भी ये सुझाव दिए गए कि वे ऑनलाइन कक्षाओं के लिए एक समय निर्धारित करें और इस मुश्किल घड़ी में छात्रों को ऑनलाइन परामर्श उपलब्ध कराएं और ऐसे संकट के समय में उनकी काउंसलिंग भी की जाए.

केंद्र द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना संकट से निपटने की सराहना करते हुए कुछ सदस्यों की राय थी कि मुंबई और चेन्नई जैसे अन्य बड़े मेट्रो शहरों में भी इसी तरह के प्रयासों की आवश्यकता है. यह भी सलाह दिया गया कि इस बीमारी से लड़ने के लिए एक नया कानून लाया जाए.