द वायर द्वारा आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि केंद्र की पीएसएस योजना के तहत दालें एवं तिलहन की ख़रीद के लिए 25.79 लाख किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन सरकारों ने इसमें से 14.20 लाख किसानों से ही उनकी उपज की ख़रीददारी की है.
नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी के दौरान जहां संकट से उबरने में मदद करने के लिए सरकारी खरीद की महत्ता पर जोर दिया जा रहा था, वहीं देश के 11 राज्यों में दालें एवं तिलहन की खरीदी के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वाले 11.50 लाख से ज्यादा किसानों से खरीदी नहीं की गई है.
केंद्र सरकार ने इस बार रबी-2020 सीजन में 20 राज्यों से दालें एवं तिलहन खरीदने की योजना बनाई थी, लेकिन आलम ये है कि नौ राज्यों ने खरीदी ही शुरू नहीं की और यहां पर एक भी किसान का रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया. वहीं बाकी के 11 राज्यों एक या दो उपज के लिए ही रजिस्ट्रेशन कराया गया और इसमें से भी सभी किसानों से खरीदी नहीं की गई है.
द वायर द्वारा सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेजों से ये जानकारी सामने आई है.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत रबी-2020 खरीद सीजन के लिए दालें (चना, मसूर, मूंग और उड़द) एवं तिलहन (मूंगफली, सरसों और सूरजमुखी) की खरीदी के लिए राज्यों को किसानों का रजिस्ट्रेशन कराकर खरीददारी करने के लिए बोला था.
पीएसएस योजना अक्टूबर, 2018 में लाई गई प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण योजना (पीएम-आशा) का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर दालें एवं तिलहन की खरीददारी कर किसानों को लाभ पहुंचाना है. इस योजना के तहत केंद्रीय खरीद एजेंसी नैफेड राज्यों के साथ मिलकर इन कृषि उत्पादों की खरीदी करता है.
इस सीजन में दालें एवं तिलहन की बिक्री के लिए 11 राज्यों में कुल 2,579,948 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था. हालांकि आरटीआई से प्राप्त दस्तावेज से पता चलता है कि इसमें से सिर्फ 1,420,156 किसानों से ही उनकी उपज की खरीददारी की गई है.
इसका मतलब है कि दालें एवं तिलहन की खरीदी के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वाले 1,159,792 किसानों से कोई सरकारी खरीद नहीं की गई.
कृषि मंत्रालय से प्राप्त आंकड़े ये भी दर्शाते हैं कि राज्य सरकारों ने सभी फसलों की खरीदी के लिए किसानों का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था.
उदाहरण के तौर पर राजस्थान में चना, सरसों और मसूर की खरीदी के लिए कुल 6.16 लाख किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था. लेकिन इसमें से 3.76 लाख किसानों से ही खरीदी की गई.
केंद्र ने राज्य में 6.15 लाख टन चना, 10.46 लाख टन सरसों और 8,380 टन मसूर खरीदने की मंजूरी दी थी, लेकिन राज्य में सिर्फ चना और सरसों के लिए किसानों का रजिस्ट्रेशन हुआ और इसमें से भी सबसे खरीदी नहीं हुई, जबकि निर्धारित लक्ष्य के बराबर खरीदी नहीं हुई है.
राजस्थान में चना की खरीदी निर्धारित लक्ष्य के बराबर तो हो गई है, लेकिन सरसों की खरीदी सिर्फ 3.45 लाख टन ही हुई है, जो कि 10.46 लाख टन खरीदी लक्ष्य से काफी कम है.
ध्यान देने वाली बात ये है कि सरसों उत्पादन के मामले में राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है.
इसी तरह गुजरात में कुल 1.79 लाख किसानों ने दालें एवं तिलहन खरीदी के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन इसमें से 1.39 लाख किसानों से ही खरीदी की गई. सरकार ने चना और सरसों को छोड़कर किसी अन्य उपज की खरीदी के लिए किसानों का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया.
जबकि केंद्र सरकार ने राज्य में चना, मूंग, उड़द, सरसों और मूंगफली खरीदने की मंजूरी प्रदान की थी. इन सबको मिलाकर कुल 2.39 लाख टन की खरीदी का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन इसमें से सिर्फ 1.55 लाख टन की ही खरीदी की गई.
सरसों उत्पादन के मामले में गुजरात छठा सबसे बड़ा राज्य है.
इसके अलावा महाराष्ट्र में चार लाख से ज्यादा किसानों ने पीएएस योजना के तहत खरीदी के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन इसमें से सिर्फ 2.13 लाख किसानों से ही खरीदादारी की गई.
खास बात ये है कि राज्य में सिर्फ चना खरीदी के लिए किसानों का रजिस्ट्रेशन करवाया गया, जबकि कृषि मंत्रालय ने चना के अलावा सूरजमुखी, सैफफ्लावर (कुसुम), मूंगफली और सरसों की खरीदी की मंजूरी दी थी.
केंद्र सरकार ने कुल 4.35 लाख टन खरीददारी करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन इसमें से सिर्फ 3.38 लाख टन खरीदी की गई और वो भी सिर्फ चने की ही खरीदी हुई. महाराष्ट्र सैफफ्लावर उत्पादन के मामले में देश का सबसे बड़ा राज्य है.
मध्य प्रदेश राज्य की भी स्थिति कुछ ऐसी ही है. राज्य के 7.15 लाख किसानों ने दालें एवं तिलहन की खरीदी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया था, लेकिन इसमें से 50 फीसदी से भी कम 3.07 लाख किसानों से ही खरीदी की गई.
राज्य में चना की खरीदी के लिए 4.82 लाख किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन इसमें से 2.62 लाख किसानों से ही खरीदी हुई. वहीं कुल 1.18 लाख किसानों ने मसूर की खरीदी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया था, लेकिन इसमें से मात्र 1,898 किसानों से खरीददारी की गई.
इसी तरह 1.13 लाख किसानों ने सरसों खरीदी के लिए रजिस्ट्रेशन किया था, लेकिन इसमें से 42,603 किसानों से ही सरसों खरीदी गई.
चना और मसूर उत्पादन के मामले में मध्य प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है. देश में इन दोनों कृषि उत्पादों के कुल उत्पादन में 40 फीसदी से ज्यादा इस राज्य की हिस्सेदारी है. वहीं सरसों उत्पादन के मामले में मध्य प्रदेश देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य है.
मध्य प्रदेश में मूंग और मूंगफली खरीदने की भी स्वीकृति मिली थी, हालांकि सरकार ने इसके लिए एक भी किसानों का रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया और न ही इसकी खरीदी हुई.
उत्तर प्रदेश राज्य की कहानी काफी चिंताजनक है. केंद्र सरकार ने राज्य में 6.02 लाख टन दालें और तिलहन यानी कि चना, मसूर, सरसों, सूरजमुखी, उड़द और मूंग खरीदने का लक्ष्य रखा था, लेकिन इसमें से सिर्फ 38,817.58 टन ही खरीदी हुई, जो कि लक्ष्य के मुकाबले एक फीसदी से भी कम है.
इसकी वजह सरकार द्वारा खरीद के लिए किसानों के रजिस्ट्रेशन से पता चलती है. राज्य में चना के लिए सिर्फ 21,758 और सरसों के लिए 197 किसानों का रजिस्ट्रेशन किया गया. आलम ये है कि सूरजमुखी, उड़द और मूंग खरीदी के लिए एक भी किसान का रजिस्ट्रेशन नहीं हआ.
वहीं मसूर की खरीदी के लिए सिर्फ एक किसान का रजिस्ट्रेशन किया गया, जबकि केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने राज्य में 1.21 लाख टन मसूर खरीदने का लक्ष्य रखा था.
उत्तर प्रदेश मसूर उत्पादन के मामले में दूसरा, सरसों उत्पादन में चौथा और चना उत्पादन में पांचवां सबसे बड़ा राज्य हैं.
भाजपा शासित हरियाणा राज्य में कुल 3.99 लाख किसानों ने दालें एवं तिलहन खरीदी के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन इसमें से 1.28 लाख किसानों से ही खरीदी की गई.
भारत सरकार ने पीएएस योजना के तहत यहां पर 3.25 लाख टन चना, मसूर, सरसों और सूरजमुखी खरीदने का लक्ष्य रखा था. इसमें से कुल 3.22 लाख टन की खरीदी हुई.
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हरियाणा में सरसों एक प्रमुख तिलहन की फसल थी, जिसकी खरीदी पर किसानों की नजर बनी हुई थी. सरसों उत्पादन के मामले में हरियाणा दूसरा सबसे बड़ा राज्य है.
इसकी खरीदी के लिए राज्य में कुल 3.86 लाख किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन इसमें 1.20 लाख किसानों से ही खरीदी की जा सकी. ये दर्शाता है कि राज्य में एक बहुत बड़ी संख्या में किसान एमएसपी पर अपनी उपज बेचने से वंचित हो सकते हैं.
ओडिशा में कुल 14,064 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन इसमें से 5,118 किसानों से ही खरीदी की गई. राज्य में मूंग, सूरजमुखी, मूंगफली, सैफफ्लावर, सरसों, उड़द, चना और मसूर की खरीदी की मंजूरी मिली थी.
लेकिन यहां पर सिर्फ मूंग, सूरजमुखी और मूंगफली के लिए ही रजिस्ट्रेशन कराया गया, उसमें से भी करीब 37 फीसदी किसानों से ही खरीदी की गई.
कर्नाटक में सिर्फ चना की खरीद के लिए 1.23 लाख किसानों का रजिस्ट्रेशन कराया गया था. राज्य में मूंग, उड़द, सूरजमुखी, सैफफ्लावर और मूंगफली खरीदने की भी मंजूरी मिली थी, लेकिन इसके लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया.
तमिलनाडु में कुल 1.15 लाख टन दालें एवं तिलहन की खरीदी की स्वीकृति मिली थी, लेकिन इसके लिए राज्य में सिर्फ 79 किसानों का रजिस्ट्रेशन हुआ और उनसे खरीदी हुई. यही वजह है कि लक्ष्य की तुलना में मात्र 100.55 टन मूंग की खरीदी हो पाई. इसके अलावा इसमें से किसी अन्य उपज की खरीदी नहीं हुई.
इसी तरह आंध्र प्रदेश में सिर्फ चने की खरीदी के लिए 72,000 किसानों का रजिस्ट्रेशन हुआ था और इसमें से 71,769 किसानों से खरीदी की गई. बाकी के अन्य दालें एवं तिलहन यानी कि मूंग, मूंगफली, सूरजमुखी, सैफफ्लावर और सरसों को लिए किसी किसान का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ.
बाकी के नौ राज्यों में पीएसएस योजना के तहत बिल्कुल भी खरीदी नहीं हुई और इसलिए किसानों का रजिस्ट्रेशन भी नहीं किया गया. इसमें असम, बिहार, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, केरल, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल राज्य शामिल हैं.
मालूम हो कि द वायर ने अपनी पिछली रिपोर्ट में बताया था कि पीएएस योजना के तहत केंद्र सरकार ने दालें एवं तिलहन की खरीदी के लिए जितना लक्ष्य रखा था, उसमें से करीब 50 फीसदी ही खरीदी हुई है.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने रबी-2020 खरीद सीजन में 20 राज्यों में कुल 58.71 लाख टन खरीद का लक्ष्य रखा था. लेकिन अब तक कुल 29.25 लाख टन दालें और तिलहन किसानों से खरीदा जा सका है.
इसमें से करीब 21 लाख टन दालें और आठ लाख टन तिलहन की खरीदी हुई है.
दालें एवं तिलहन का उत्पादन तथा खरीदी
केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा 15 मई 2020 को जारी किए गए उत्पादन आंकड़ों के मुताबिक रबी 2019-20 सीजन में 149.70 लाख टन दालें और 104.95 टन तिलहन का उत्पादन हुआ है. कुल मिलाकर 254.65 लाख टन दालें एवं तिलहन का उत्पादन हुआ है.
चूंकि केंद्र ने 20 राज्यों में कुल 58.71 लाख टन खरीदी का लक्ष्य रखा था, इस तरह दालें और तिलहन के कुल उत्पादन की तुलना में करीब 23 फीसदी उपज की खरीदी के लिए कहा गया था.
हालांकि इसमें से भी 29.25 लाख टन की ही खरीदी हो पाई है, इस तरह कुल उत्पादन के मुकाबले 11.48 फीसदी दालें एवं तिलहन की खरीदी हुई है.