सीवान के चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू और पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश दिया है.
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस अमिताव रॉय की पीठ ने सरकार से कहा कि वह शहाबुद्दीन को एक हफ्ते के अंदर तिहाड़ जेल स्थानांतरित करे.
पीठ ने कहा, स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करना इस न्यायालय का दायित्व और कर्तव्य है. अब शहाबुद्दीन के खिलाफ दर्ज मामलों में सुनवाई तिहाड़ जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये की जाएगी.
इस मामले में सीवान के चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू और आशा रंजन ने राजद नेता शहाबुद्दीन को सीवान जेल से शिफ्ट किए जाने की याचिकाएं दायर की थीं. प्रसाद के तीन बेटे दो अलग-अलग घटनाओं में मारे गए थे और आशा के पति पत्रकार राजदेव रंजन की सीवान में हत्या हो गई थी.
याचिकाकर्ताओं ने अदालत से अनुरोध किया था कि शहाबुद्दीन के खिलाफ लंबित मामलों की स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई के लिए उन्हें सीवान जेल से राज्य के बाहर किसी दूसरी जेल में शिफ्ट कर दिया जाए.
इससे पहले बिहार सरकार ने न्यायालय को बताया था कि वह शहाबुद्दीन को सीवान जेल से यहां तिहाड़ जेल भेजे जाने के खिलाफ नहीं है. राज्य सरकार ने यह भी कहा था कि शहाबुद्दीन झारखंड में एक मामले समेत 45 मामलों में सुनवाई का सामना कर रहे हैं.