नई दिल्ली स्थित लाल क़िले की प्राचीर से 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत की रूपरेखा पेश करते हुए राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य अभियान, हर गांव को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने की योजना समेत कई घोषणाएं कीं.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारत को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने पर जोर दिया और इसके लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कई घोषणाएं भी कीं.
प्रधानमंत्री शनिवार को आत्मनिर्भर भारत की अपनी परिकल्पना को विश्व-कल्याण से जोड़ते हुए ‘मेक इन इंडिया’ के साथ ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ का नया नारा दिया, जिसमें देश को वैश्विक विनिर्माण श्रृंखला के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभारने का संकल्प है.
इसके अलावा उन्होंने ‘आत्मनिर्भरता’ को कोरोना वायरस महामारी से मिली सबसे बड़ी सीख करार देते हुए शनिवार को ‘राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य अभियान’ की घोषणा की.
अपने सातवें स्वतंत्रता दिवस संबोधन में मोदी ने कहा कि भारत की संप्रभुता का सम्मान सर्वोपरि है और जिसने भी इस पर आंख उठाई, देश और देश की सेना ने उसे उसकी ही भाषा में जवाब दिया.
ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देशवासियों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि इससे देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में नई क्रांति आएगी और तकनीक के माध्यम से लोगों की परेशानियां कम होंगी.
उन्होंने कहा, ‘कोरोना वायरस के कालखंड में आत्मनिर्भर भारत की सबसे बड़ी सीख स्वास्थ्य क्षेत्र ने सिखाई है. जब कोरोना वायरस महामारी शुरू हुई थी, तब हमारे देश में कोरोना वायरस की जांच के लिए सिर्फ एक प्रयोगशाला थी. आज देश में 1,400 से ज्यादा प्रयोगशालाएं हैं.’
उन्होंने कहा कि आज से देश में एक और बहुत बड़ा अभियान शुरू होने जा रहा है और यह है ‘नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन’.
उन्होंने कहा, ‘नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन, भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में नई क्रांति लेकर आएगा. तकनीक के माध्यम से लोगों की परेशानियां कम होंगी.’
मोदी ने कहा कि आपकी हर चिकित्सा जांच, हर बीमारी, आपको किस डॉक्टर ने कौन सी दवा दी, कब दी, आपकी रिपोर्ट्स क्या थीं, ये सारी जानकारी इसी एक स्वास्थ्य पहचान पत्र में समाहित होगी.
उन्होंने कहा, ‘इस अभियान के माध्यम से लोगों को तमाम दिक्कतों से मुक्ति मिलेगी.’ उन्होंने कहा कि आज भारत में कोराना वायरस के एक नहीं, दो नहीं, तीन-तीन टीके इस समय परीक्षण के चरण में हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जैसे ही वैज्ञानिकों से हरी झंडी मिलेगी, देश की तैयारी उन टीकों के बड़े पैमाने पर उत्पादन की भी है.’
मोदी ने आर्थिक नीतियों में सुधार, कारोबार की सुगमता और अर्थव्यवस्था आधुनिकता की तरफ तेज गति से ले जाने के लिए 110 लाख करोड़ रुपये की बुनियादी ढांचा परियोजना पाइपलाइन (एनआईपी) विकसित करने जैसे सरकार की पहल का जिक्र करते हुए कहा कि भारत आत्मनिर्भर बनने के लिए आज जरूरी आत्मविश्वास से भरा हुआ है.
मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां आज भारत की तरफ देख रही हैं.
सरकार के सुधारों के परिणाम दिख रहे हैं और पिछले साल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. कंपनियों ने कोराना संकट के दौरान भी भारत में भारी पूंजी निवेश किया है.
मोदी ने यह बात ऐसे समय कही है जब दुनिया चीन के बदलते तेवरों को देखते हुए आपूर्ति के नए भरोसेमंद केंद्रों की तलाश कर रही है. प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का विचार ‘कोई आयात प्रतिस्थापन का विचार नहीं है बल्कि यह विश्व-कल्याण की आवश्यकता भी है.’
कच्चे माल के निर्यात की बजाय मूल्यवर्धित और तैयार उत्पाद विनिर्माण करने की आवश्यकता पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आखिर कब तक हमारे ही देश से गया कच्चा माल, तैयार उत्पाद बनकर वापस आता रहेगा? देश को आत्मनिर्भर बनाना है और इसका मतलब सिर्फ आयात कम करना ही नहीं, हमारी क्षमता, हमारी रचनात्मकता और कौशल को बढ़ाना भी है.’
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में मेक इन इंडिया के साथ ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ (विश्व के लिए विनिर्माण) का नारा जोड़ा. उन्होंने भारत को आर्थिक नीतियों में सुधार और बुनियादी ढांचे के विकास के साथ विश्व आपूर्ति श्रृंखला में विनिर्माण के एक प्रमुख केंद्र के रूप में प्रस्तुत करने का संकल्प किया.
उन्होंने कहा, ‘देश भारत अपनी 130 करोड़ जनता के सामर्थ्य के साथ ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ की दिशा में प्रगति करने का सामर्थ्य रखता है.’
अपने करीब डेढ़ घंटे (86 मिनट) के संबोधन में उन्होंने कहा, ‘हमारा संकल्प केवल ‘मेक इन इंडिया नहीं है बल्कि मेक फॉर वर्ल्ड (दुनिया के लिये विनिर्माण) है.’
देश को आधुनिक रूप देने के लिए बुनियादी ढांचा क्षेत्र के विकास पर जोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को देश को आधुनिकता की तरफ तेज गति से ले जाने और आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने के लिये ढांचागत क्षेत्र को एक नई दिशा देने की जरूरत बताई.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अब बुनियादी ढांचा क्षेत्र में अलग-थलग होकर काम करने के युग को समाप्त करने का समय आ गया है. इसके लिए पूरे देश को मल्टी मॉडल संपर्क ढांचागत सुविधा से जोड़ने की एक बहुत बड़ी योजना तैयार की गई है.’
उन्होंने कहा कि ये जरूरत राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन परियोजना (एनआईपी) से पूरी होगी.
मोदी ने कहा, ‘इस पर देश 100 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. अलग-अलग क्षेत्रों के लगभग सात हजार परियोजनाओं को चिह्नित भी किया जा चुका है. यह बुनियादी ढांचा क्रांति की तरह होगा.’
उन्होंने कहा, ‘अब बुनियादी ढांचा विकास के क्षेत्र में लगी राष्ट्रीय एजेंसियों के अलग-अलग रह कर काम करने के युग को समाप्त करने का समय आ गया है. इसके लिए पूरे देश को मल्टी मॉडल संपर्क ढांचागत सुविधा से जोड़ने की एक बहुत बड़ी योजना तैयार की गयी है.’
उन्होंने दिवाला कानून, कृषि उपजों की विपणन व्यवस्था और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों को निजी उद्यमियों के लिए खोले जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘ईज आफ डूइंग बिजनेस’ (कारोबार में सुगमता) के लिए उठाए गए कदमों से मध्यवर्ग के युवाओं को प्रोत्साहन मिलेगा.
मोदी ने इंटरनेट प्रौद्योगिकी के दौर में साइबर सुरक्षा को बहुत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि सरकार जल्द ही एक समन्वित राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति का खाका प्रस्तुत करेगी.
हर गांव को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा जाएगा
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ने कहा कि आने वाले एक हजार दिन में देश के हर गांव को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा जाएगा.
मोदी ने कहा, ‘साल 2014 से पहले देश की सिर्फ 5 दर्जन पंचायतें ऑप्टिकल फाइबर से जुड़ी थीं. बीते पांच साल में देश में डेढ़ लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा गया है.’
उन्होंने यह भी कहा कि देश में नई राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति का मसौदा तैयार कर लिया गया है.
उन्होंने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाना है और इसका मतलब सिर्फ आयात कम करना ही नहीं, हमारी क्षमता, हमारी रचनात्मकता और कौशल को बढ़ाना भी है.
कृषि का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘एक समय था, जब हमारी कृषि व्यवस्था बहुत पिछड़ी हुई थी. तब सबसे बड़ी चिंता थी कि देशवासियों का पेट कैसे भरे. आज जब हम सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों का पेट भर सकते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘देश के किसानों को आधुनिक ढांचागत सुविधा देने के लिए कुछ दिन पहले ही एक लाख करोड़ रुपये का कृषि बुनियादी ढांचा कोष बनाया गया है.’
पिछड़े जिलों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास के मामले में देश के कई क्षेत्र भी पीछे रह गए हैं.
उन्होंने कहा, ‘ऐसे 110 से ज्यादा आकांक्षी जिलों को चुनकर, वहां पर विशेष प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि वहां के लोगों को बेहतर शिक्षा मिले, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें, रोजगार के बेहतर अवसर मिलें.’
मोदी ने कहा कि वोकल फॉर लोकल, लोगों को हुनरमंद बनाने का अभियान, गरीबी की रेखा के नीचे रहने वालों के जीवनस्तर में आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था को गति देगा.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मुझे भरोसा है कि भारत अपने सपने को पूरा करेगा. मुझे अपने देश के नागरिकों की क्षमता, संभावनाओं पर पूरा भरोसा है. एक बार हम निर्णय कर लेते हैं, हम जबतक उसे हासिल नहीं कर लेते, चैन से नहीं बैठते.’
कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये ‘लॉकडाउन’ से लोगों को होने वाली परेशानी को कम करने के लिए किए गए उपायों का जिक्र करते उन्होंने कहा कि सात करोड़ परिवार को मुफ्त रसोई गैस (एलपीजी) उपलब्ध कराए गए, 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त राशन और बैंक खातों में करीब 90,000 करोड़ अंतरित किए गए हैं.
मोदी ने कहा कि महामारी के दौरान लोगों को अपने घर के लिए होम लोन की ईएमआई (मासिक किस्त) देने पर मोहलत देकर भुगतान अवधि के दौरान 6 लाख रुपये तक की छूट मिल रही है. हजारों अधूरे घरों को पूरा करने के लिए 25 हजार करोड़ रुपये के कोष की स्थापना हुई है.
सरकार के सुधार उपायों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले छह साल एक देश एक कर (जीएसटी), दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) और बैंकों का विलय जैसे बड़े सुधारों को आगे बढ़ाया गया.
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के सुधारों के परिणाम दिख रहे हैं और बीते वर्ष, भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में रिकार्ड 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
उन्होंने कहा कि पेट्रोल में मिश्रण के लिए पिछले पांच साल में एथेनॉल का उत्पादन 40 करोड़ लीटर से बढ़कर 200 करोड़ लीटर से अधिक हो गया है. इससे एक तरफ तेल आयात में कमी लाने में मदद मिली है जबकि दूसरी तरफ पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिला.
संप्रभुता पर आंख उठाने वालों को देश और सेना ने उन्हीं की भाषा में जवाब दिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर चल रहे तनाव के बीच शनिवार को कहा कि भारत की संप्रभुता का सम्मान सर्वोपरि है और जिसने भी इस पर आंख उठाई, देश और देश की सेना ने उसे उसकी ही भाषा में जवाब दिया.
मोदी ने चीन का नाम लिए बगैर कहा कि संप्रभुता के सम्मान के लिए देश व उसके जवान क्या कर सकते हैं, यह दुनिया ने लद्दाख में हाल ही में देखा.
उन्होंने कहा, ‘नियंत्रण रेखा (एलओसी) से लेकर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तक देश की संप्रभुता पर जिस किसी ने आंख उठाई है, देश ने और देश की सेना ने उसका उसी की भाषा में जवाब दिया है.’
मोदी ने कहा, ‘भारत की संप्रभुता का सम्मान हमारे लिए सर्वोच्च है. इस संकल्प के लिए हमारे वीर जवान क्या कर सकते हैं, देश क्या कर सकता है, ये लद्दाख में दुनिया ने देखा है.’
प्रधानमंत्री ने गलवान घाटी में चीन के सैनिकों के साथ हुई झड़प में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आतंकवाद हो या विस्तारवाद, भारत आज इनका डटकर मुकाबला कर रहा है.
पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के रूप में भारत को 192 में से 184 देशों के मिले समर्थन का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह दर्शाता है कि आज दुनिया का भारत पर विश्वास और मजबूत हुआ है.
उन्होंने कहा, ‘विश्व के 192 में से 184 देशों का भारत को समर्थन मिलना हर हिंदुस्तानी के लिए गर्व की बात है. विश्व में कैसे हमने अपनी पहुंच बनाई है यह उसका उदाहरण है. यह तभी संभव होता है जब भारत खुद मजबूत हो, भारत सशक्त हो, भारत सुरक्षित हो.’
मोदी ने कहा कि हमारे पड़ोसी देशों के साथ चाहे वे हमसे जमीन से जुड़े हों या समंदर से, हम अपने संबंधों को और विश्वास के साथ जोड़ रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘भारत का लगातार प्रयास है कि अपने पड़ोसी देशों के साथ अपने सदियों पुराने सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक रिश्तों को और गहराई दे.’
उन्होंने दक्षिण एशिया के देशों का आह्वान करते हुए कहा कि पूरे क्षेत्र में जितनी शांति होगी, जितना सौहार्द्र होगा, वह मानवता के काम आएगा.
उन्होंने कहा, ‘पूरी दुनिया का हित इसमें समाहित है.’