कोरोना महामारी से लड़ने के लिए मोदी सरकार द्वारा अप्रैल में लाया गया आरोग्य सेतु ऐप शुरुआत से ही नागरिकों की निजी जानकारी की सुरक्षा और इसकी उपयोगिता को लेकर विवादों में घिरा हुआ है.
नई दिल्ली: कोरोना महामारी से लड़ने के लिए मोदी सरकार द्वारा लाए गए आरोग्य सेतु ऐप के प्रचार में केंद्र ने करीब 4.15 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. ये राशि सिर्फ साढ़े तीन महीने के भीतर में खर्च की गई है.
सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत प्राप्त दस्तावेज से ये जानकारी सामने आई है. यह ऐप अपने शुरूआत से ही नागरिकों की निजी जानकारी की सुरक्षा को लेकर विवादों में घिरा हुआ है.
सूचना एवं प्रसार मंत्रालय के ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन (बीओसी) विभाग द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों के मुताबिक 16 जुलाई 2020 तक इस ऐप के प्रचार-प्रसार के लिए सरकार ने 4.15 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.
इसमें से 94.67 लाख रुपये प्रिंट मीडिया में विज्ञापन देने में खर्च किए गए हैं. वहीं 3.20 करोड़ रुपये टेलीविजन के जरिये प्रचार करने में खर्च किए गए हैं.
आरटीआई दायर करने वाले उत्तर प्रदेश निवासी अनिकेत गौरव को बीओसी ने यह भी बताया कि आरोग्य सेतु ऐप के लिए रेडियो और इंटरनेट के जरिये विज्ञापन में कोई राशि खर्च नहीं की गई है.
मालूम हो कि दो अप्रैल को भारत सरकार ने कोविड-19 वायरस का ‘दृढ़ता से मुकाबला करने के लिए’ सार्वजनिक-निजी साझेदारी से विकसित आरोग्य सेतु नामक एक मोबाइल ऐप की शुरुआत की थी.
सरकार ने दावा किया था कि यह ऐप लोगों को कोरोना वायरस का संक्रमण पकड़ने के जोखिम का आकलन करने में सक्षम करेगा.
सरकार के मुताबिक आरोग्य सेतु ऐप कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के जरिये उन सभी लोगों के विवरण के रिकॉर्ड करता है जिनके संपर्क में यूजर आता है. यदि बाद में उनमें से कोई भी कोविड-19 पॉजिटिव आता है तो उसके बारे में तुरंत इस ऐप के जरिये जानकारी दी जाती है ताकि लोग सतर्क हो जाएं.
एंड्रॉयड और आईफोन दोनों पर ही उपलब्ध यह ऐप यूजर से उसकी लोकेशन की जानकारी और कुछ सवालों के आधार पर उस व्यक्ति के आसपास मौजूद संक्रमण के खतरे और संभावना का पता लगाने में सहायता करता है.
इस ऐप को अब तक 15.50 करोड़ बार डाउनलोड किया जा चुका है.
चूंकि इस समय देश में प्रतिदिन करीब 90 हजार कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं और भारत अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा कोविड-19 संक्रमित देश बन गया है, ऐसे में ये सवाल उठता है कि इस ऐप कि उपयोगिता क्या है और क्या ये अब तक किसी भी तरह से संक्रमण रोकने में कारगर सिद्ध हो पाई है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञ लगातार इन सवालों को उठा रहे हैं, हालांकि सरकार अभी तक इसका कोई जवाब पेश नहीं कर पाई है. फिलहाल आरोग्य सेतु ऐप के कामकाज का कोई आकलन उपलब्ध नहीं है.
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ऐप की वेबसाइट पर 26 मई 2020 को जारी किया एक दस्तावेज उपलब्ध है, जिसमें आरोग्य सेतु के सोर्स कोड को पब्लिक करने की घोषणा का विवरण है.
इसी में एक जगह पर बताया गया है कि ऐप ने जितने लोगों को कोरोना टेस्ट कराने की सलाह दी थी, उसमें से 24 फीसदी लोग पॉजिटिव पाए गए हैं. उस समय देश भर में पॉजिटिविटी रेट 4.65 फीसदी था.
हालांकि इसमें ये विवरण नहीं है कि उस समय तक ऐप ने कितने लोगों को कोरोना टेस्ट कराने का सुझाव दिया था. इसमें यह भी दावा किया गया है कि ऐप ने तब तक करीब 900,000 यूजर्स से संपर्क किया और उन्हें क्वारंटीन, सावधानी और टेस्टिंग जैसे अलग-अलग सलाह दिए.
26 मई 2020 तक इस ऐप के 11.4 करोड़ से ज्यादा यूजर्स थे.
बीते 29 अगस्त 2020 को गृह मंत्रालय ने अनलॉक-4 के लिए जो गाइडलाइन जारी की है, उसमें आरोग्य सेतु ऐप को इस्तेमाल को बढ़ाने की बात एक बार फिर से दोहराया गया है.
केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला द्वारा जारी दिशानिर्देशों में कहा गया है कि एंप्लॉयर यानी कि नियोक्ता सभी ऑफिसों और कार्यस्थलों के कर्मचारियों के फोन में आरोग्य सेतु ऐप इंस्टॉल कराने की हरसंभव कोशिश करेंगे.
इसके अलावा जिला प्रशासन को भी कहा गया है कि वे निर्देश जारी कर लोगों से आरोग्य सेतु ऐप इंस्टाल करवाएं ताकि समय रहते खतरे का पता लगने पर स्वास्थ्य सेवाओं के उचित इंतजाम किए जा सकें.
हालांकि इसके चलते ये भी देखने में आया है कि कुछ विभाग अति-उत्साह में आकर इस ऐप को इंस्टाल करने को अनिवार्य कर देते हैं और यदि जो इसका अनुपालन नहीं करते हैं उन्हें दंड का खामियाजा भी भुगतना पड़ता है.
आरोग्य सेतु ऐप के इस्तेमाल करने को अनिवार्य बनाए जाने को विशेषज्ञों ने पूरी तरह से अवैध करार दिया है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएन श्रीकृष्णा ने कहा था कि इस तरह का कदम उठाना उचित नहीं है, क्योंकि इसे किसी कानून का समर्थन प्राप्त नहीं है.
देशव्यापी लॉकडाउन को बढ़ाए जाने के बाद एक मई को गृह मंत्रालय ने अपने दिशानिर्देशों में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यालयों के कर्मचारियों के लिए आरोग्य सेतु ऐप को अनिवार्य बना दिया था.
जिसके बाद नोएडा पुलिस ने एक आदेश जारी कर तब कहा था कि आरोग्य सेतु के आवेदन नहीं करने पर छह महीने की कैद या 1,000 रुपये तक का जुर्माना होगा. हालांकि आलोचनाओं के बाद आगे चलकर मंत्रालय ने इसकी ‘अनिवार्यता’ खत्म कर इसे ‘निर्देशात्मक’ बना दिया.
केंद्र सरकार ने आरोग्य सेतु ऐप के यूजर्स की जानकारियों की प्रोसेसिंग के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसके मुताबिक नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए जेल की सजा का प्रावधान है.
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा 11 मई 2020 को जारी नियमों के तहत ऐप का डेटा इकट्ठा होने के ठीक 180 दिन बाद डेटा डिलीट हो जाएगा, इसके साथ ही डेटा का इस्तेमाल सिर्फ स्वास्थ्य से जुड़े उद्देश्यों के लिए ही हो सकेगा.
इसके साथ ही यूजर्स आरोग्य सेतु से संबंधित जानकारियों को मिटाने का अनुरोध भी कर सकते हैं. इस तरह के अनुरोध पर 30 दिन के भीतर अमल करना होगा.
इन नियमों के तहत केवल डेमोग्राफिक, कॉन्टैक्ट, सेल्फ-असेसमेंट और संक्रमितों के लोकेशन डेटा के संग्रह की ही अनुमति प्राप्त है.