नोएडाः जय श्रीराम न बोलने पर ड्राइवर की हत्या का आरोप, पुलिस ने कहा- लूट का मामला

घटना रविवार को बादलपुर थाना क्षेत्र में हुई. आरोप है कि कैब ड्राइवर का काम करने वाले आफ़ताब आलम एक व्यक्ति को बुलंदशहर छोड़कर वापस आ रहे थे, जब उनकी कैब में सवार हुए कुछ लोगों ने उनसे जबरन जय श्रीराम बोलने को कहा और ऐसा न करने पर उनकी हत्या कर दी.

आफताब आलम (फोटोः अरेंजमेंट)

घटना रविवार को बादलपुर थाना क्षेत्र में हुई. आरोप है कि कैब ड्राइवर का काम करने वाले आफ़ताब आलम एक व्यक्ति को बुलंदशहर छोड़कर वापस आ रहे थे, जब उनकी कैब में सवार हुए कुछ लोगों ने उनसे जबरन जय श्रीराम बोलने को कहा और ऐसा न करने पर उनकी हत्या कर दी.

आफताब आलम (फोटोः अरेंजमेंट)
आफताब आलम. (फोटोः Special Arrangementt)

नोएडाः उत्तर प्रदेश के नोएडा में एक मुस्लिम कैब ड्राइवर की कथित तौर पर जय श्रीराम नहीं बोलने पर हत्या करने का मामला सामने आया है.

आरोप है कि पेशे से कैब ड्राइवर आफताब आलम की उनकी कैब में सवार दो लोगों ने हत्या कर दी. यह घटना बुलंदशहर से लौटते समय रविवार रात को बादलपुर थाना क्षेत्र की है.

मृतक आफताब आलम के बेटे मोहम्मद साबिर (20) का आरोप है कि उनके पिता की मॉब लिंचिंग हुई है लेकिन पुलिस ने इससे इनकार करते हुए इसे लूट के इरादे से किया गया अपराध बताया है.

इस मामले पर नोएडा पुलिस आयुक्तालय ने कहा, ‘मुकदमा दर्ज किया गया है और विवेचना जारी है, जहां तक ऑडियो रिकॉर्डिंग का प्रश्न है, उसे सुना गया है. मृतक को कोई भी नारा लगाने के लिए नहीं कहा गया बल्कि किसी और से खरीदारी करते वक्त ये वाक्य सामने आया है फिर भी हर बिंदू पर विवेचना जारी है.’

मोहम्मद साबिर ने द वायर  को बताया कि रविवार लगभग आधी रात को पुलिस ने उन्हें फोन कर बताया कि उनके पिता का शव उन्हीं की कैब से बरामद किया गया है.

साबिर का कहना है कि दरअसल उनके पिता ने हत्या से कुछ घंटों पहले उन्हें फोन किया था, तभी उन्हें शक हो गया था कि कुछ तो गलत है क्योंकि उन्होंने फोन कर एक शब्द भी नहीं कहा था.

साबिर कहते हैं, ‘फोन में उन्हें किन्हीं लोगों की आवाजें सुनाई दी, जिन्होंने शराब पी रखी थी. वे लोग मेरे पिता से उनका नाम पूछ रहे थे तभी मैंने फोन कॉल रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया.’

द वायर के पास मौजूद इस 8.39 मिनट की ऑडियो क्लिप में एक शख्स को यह कहते सुना जा सकता है, ‘जय श्री राम बोल, बोल जय श्री राम.’

साबिर का कहना है कि उन्हें इसके बाद उनकी कोई बात सुनाई नहीं दी और 11 मिनट बाद रात 7.41 मिनट पर कैब में बैठा उनमें से एक शख्स कहता है, ‘सांस रुक गई है.’

साबिर कहते हैं, ‘मेरे पिता रविवार दोपहर लगभग तीन बजे अपनी एक पुरानी सवारी को बुलंदशहर छोड़ने गए थे. उन्होंने उन्हें शाम सात बजे बुलंदशहर छोड़ा और घर के लिए रवाना हो गए. रास्ते में उन्होंने मुझे फोन कर फास्ट टैग रिचार्ज करने को कहा. मैंने लगभग 7.30 बजे रिचार्ज किया।’

साबिर ने आगे बताया, ‘उसके बाद मुझे दोबारा उनका फोन आया. मुझे लगता है कि यह फोन टोल बूथ के पास से किया गया था. उन्हें शायद यह आभास हो गया था कि उनकी कैब में सही लोग नहीं बैठे हैं इसलिए उन्होंने मुझे फोन लगाकर मोबाइल को जेब में रख लिया. इसके बाद मैंने पास के मयूर विहार फेज 1 के पुलिस थाने जाकर पुलिस से मदद मांगी.’

साबिर कहते हैं, ‘जब मैंने इस मामले के बारे में सब इंस्पेक्टर संजीव सर को बताया तो उन्होंने मेरी मदद की. उन्होंने मेरे पिता के मोबाइल फोन को ट्रैक करना शुरू किया और उनके सिम कार्ड की आखिरी लोकेशन पता लगाई.’

आफताब आलम के मोबाइल की आखिरी लोकेशन बादलपुर पुलिस थाने के पास थी, जहां पुलिस को आफताब आलम का शव मिला. उनके चेहरे पर कई निशान थे. उन्हें पास के अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.

साबिर अपने पिता के शव की हालत बयान करते हुए कहते हैं, ‘उनकी जीभ के आसपास का हिस्सा बुरी तरह से चोटिल था. उनके कान से खून बह रहा था. उनके चेहरे पर बड़े कट का निशान था. यह स्पष्ट रूप से मॉब लिंचिंग का मामला है.’

वह कहते हैं, ‘हम मुस्लिम हैं लेकिन हमें जीने का अधिकार है.’

हालांकि, बादलपुर पुलिस थाना स्टेशन ऑफइसर ने इसे मॉब लिंचिंग या हेट क्राइम का मामला बताने से इनकार करते हुए कहा है फिलहाल मामले की जांच की जा रही है.

हालांकि, उसी रात को दर्ज एफआईआईर में अज्ञात हमलावरों के खिलाफ आईपीसी की धारा 394, 302 और 201 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

अभी यह स्पष्ट नहीं है कि किन परिस्थितियों में इन अपराधियों से आलम की मुलाकात हुई और ये लोग कौन थे और कितने थे.

आफताब आलम त्रिलोकपुरी के रहने वाले थे. वह 1996 से ड्राइविंग कर रहे थे और यही उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत था. उनके परिवार में उनकी पत्नी, तीन बेटे, माता-पिता और दो भाई हैं, जो वित्तीय रूप से उन पर और साबिर पर निर्भर हैं.

उनके परिवार का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान आफताब आलम कोरोना वायरस के डर से घर से बाहर नहीं निकले थे लेकिन जब एक पारिवारिक मित्र और उनके पुराने क्लाइंट ने उन्हें फोन कर गुड़गांव से उन्हें बुलंदशहर छोड़ने के लिए कहा तो वह इनकार नहीं कर सके.

लॉकडाउन के दौरान पैसों की तंगी से परेशान आलम ने हामी भर दी थी. साबिर दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग से बीकॉम थर्ड ईयर का छात्र है.

साबिर के अलावा आलम के दो छोटे बेटे मोहम्मद शाहिद (19) और मोहम्मद शाजिद (17) हैं, जो पढ़ने-लिखने में अच्छे हैं और उनके बोर्ड परीक्षाओं में अच्छे नंबर आए हैं.

आलम के पिता मोहम्मद ताहिर (65) का कहना है, ‘अगर यह लूट का मामला होता तो वे कैब क्यों छोड़कर जाते? वे कार चुरा लेते और उसके शव को सड़क पर फेंक देते. यह स्पष्ट रूप से मॉब लिंचिंग का मामला है. उन्होंने सिर्फ मोबाइल फोन चुराया है.’

आलम की पत्नी रेहाना खातून (36) को उनकी मौत के बारे में सोमवार दोपहर को पता चला. खातून कहती हैं कि उन्हें अपने पति के लिए इंसाफ चाहिए.

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