विपक्ष के नेता राम गोविंद चौधरी ने कहा कि सत्तारूढ़ दल विपक्ष को हर तरह से धमका रहा है. मार डालेंगे, काट डालेंगे से लेकर डंडा चलेगा जैसे शब्द जब सदन के नेता ही इस्तेमाल करें तो सत्तारूढ़ दल के बाकी मंत्री और विधायक से क्या उम्मीद कर सकते हैं.
लखनऊ : राज्य सभा में बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती को सत्तारूढ़ दल ने बोलने नहीं दिया तो उत्तर प्रदेश विधानसभा में सत्तारूढ़ दल ने नेता विरोधी दल का माइक ही बंद करा दिया. बाद में विपक्ष ने अनिश्चित काल के लिए वाकआउट का ऐलान कर दिया.
गुरुवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा में जो कुछ हुआ वह लोकतंत्र के लिए गंभीर संकेत है. सदन के भीतर विपक्ष को धमकाया गया तो सदन के बाहर मीडिया और उसकी हैसियत बताने का काम हुआ.
विपक्षी नेताओं ने कहा कि जब नेता सदन ही मार डालेंगे, काट डालेंगे जैसी भाषा का इस्तेमाल कर विपक्ष को धमकाने का प्रयास करेंगे तो क्या बचेगा.
विपक्ष के नेता राम गोविंद चौधरी ने कहा, ‘सत्तारूढ़ विपक्ष को हर तरह से धमका रहा है. मार डालेंगे, काट डालेंगे से लेकर डंडा चलेगा जैसे शब्द जब सदन के नेता ही इस्तेमाल करें तो सत्तारूढ़ दल के बाकी मंत्री और विधायक से क्या उम्मीद कर सकते हैं. विपक्ष ने गुरुवार को भी वाक आउट किया तो शुक्रवार को भी सदन में नही गए. विपक्ष को धमकाने के लिए एक खानदान को जेल भेज देने की धमकी दी जा रही है. सभी जानते हैं कि यह खानदान कौन है.’
रोचक यह है कि आधा खानदान यानी मुलायम सिंह और शिवपाल यादव भाजपा के साथ खड़े हैं और राष्ट्रपति चुनाव में खुलकर सत्तारूढ़ दल का साथ भी दिया.
बीते दो दिनों में लखनऊ में सदन के भीतर और बाहर जो घटा वह हैरान करने वाला है. एक सांध्य दैनिक के दफ्तर पर हमला किया गया तो विधानसभा की कैंटीन में खाना खा रहे वरिष्ठ पत्रकारों को धकिया कर बाहर किया गया.
इन दोनों घटनाओं पर मीडिया में काफी आक्रोश है. ऐसा व्यवहार पहली बार हुआ है जब पत्रकारों से विधान सभा के भीतर बदसलूकी हुई हो. विधान सभा में एक परिपाटी है कि जब भी विभागीय बजट पेश होते है सदन के सदस्यों व पत्रकार को सरकार की ओर से लंच दिया जाता रहा है.
गुरुवार को कुछ पत्रकार इसी लंच के लिए कैंटीन में गए थे. पर अभी खाना शुरू ही किया था कि विधान सभा के मार्शल आए और उनकी प्लेट छीन कर बाहर जाने को कहा. यह भी कहा गया कि यहां पत्रकारों के खाने की कोई व्यवस्था नहीं है. इसके बाद संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना वहां पहुंचे और खेद भी जताया पर तब तक मामला बिगड़ चुका था और पत्रकार कैंटीन से चले गए.
जानकारों का मानना है कि यह घटना पूर्वनियोजित थी. कुछ नेता और अफसर दोनों मीडिया के एक हिस्से की कवरेज से नाराज थे. इसलिए यह सब हुआ. इससे पहले एक सांध्य दैनिक के दफ्तर पर हमला हुआ था. दोनों घटनाओं से मीडिया के प्रति सत्तारूढ़ दल के नजरिये को समझा जा सकता है.
वैसे भी मीडिया का एक बड़ा हिस्सा सत्ता विरोधी खबरों से परहेज कर रहा है. फिर भी सरकार का दबाव मीडिया पर बढ़ता जा रहा है. वजह कानून व्यवस्था का लगातार बिगड़ते जाना. छात्र नौजवानों का विरोध तेज होना और किसान मजदूरों की बदहाली का सामने आना.
इन सवालों को उठाने वाला विपक्ष खुद असहाय नजर आ रहा है. इसकी एक वजह संख्या बल भी है तो दूसरे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उग्र तेवर भी. कांग्रेस विधान मंडल दल के नेता अजय सिंह लल्लू ने कहा, ‘जब नेता सदन ही हमें धमकाने का प्रयास करेंगे तो क्या होगा. सदन में मार डालेंगे, काट डालेंगे और डंडा चलाएंगे जैसे शब्द विपक्ष को धमकाने के लिए इस्तेमाल किये गए हैं. नेता विपक्ष राम गोविंद चौधरी जब बोलने उठे तो उनका माइक ही बंद कर दिया गया. यह सब क्या है. हम सबने इसी वजह से वाक आउट करने का फैसला किया है.’
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं.)