संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख ने गोरक्षा के नाम पर हिंसा को संघ से जोड़ने के बजाए उस पर कार्रवाई किए जाने की बात कही है.
गोरक्षा से जुड़ी घटनाओं का राजनीतिकरण किए जाने पर रोक लगाने की मांग करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा कि वह गोरक्षा के नाम पर किसी भी तरह की हिंसा का समर्थन नहीं करता है. संघ ने दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की भी मांग की.
संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य की टिप्पणियां ऐसे समय आई हैं, जब विपक्ष तथाकथित गोरक्षकों द्वारा हत्याएं करने के मुद्दे पर संसद में सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है.
उन्होंने जम्मू में संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, ‘गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा को संघ से जोड़ने के बजाए कार्रवाई की जानी चाहिए और जो दोषी पाए जाएं उन्हें दंड दिया जाना चाहिए. क़ानून को अपना काम करना चाहिए.’
गोरक्षा के नाम पर हिंसा और पीट-पीटकर हो रही हत्या की घटनाओं से जुड़े सवालों के जवाब में वैद्य ने कहा, ‘संघ किसी भी तरह की हिंसा का समर्थन नहीं करता है. हमने पहले भी यह कहा है. गोरक्षा एक अलग मुद्दा है. गोरक्षा का अभियान सैकड़ों वर्षों से चल रहा है.’
संघ नेता ने यह आरोप भी लगाया कि मीडिया इसे एक विचारधारा से जोड़ने की कोशिश कर रहा है और विपक्ष मुद्दे का राजनीतिकरण करने का प्रयास कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘यह ग़लत है. संघ ने कभी भी हिंसा का समर्थन नहीं किया. इस पर राजनीति करना और समाज के एक हिस्से को नीचा दिखाना, यह ठीक नहीं है.’
गौरतलब है कि हाल ही में जम्मू कश्मीर में संघ का अखिल भारतीय प्रचारक सम्मेलन 18 से 20 जुलाई तक हुआ था. आज़ादी के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार हुआ संघ का सम्मेलन था, जहां राज्य, देश के हालात समेत कई अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई.
अखिल भारतीय प्रचारक सम्मेलन अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमले और कश्मीर में बिगड़ते सुरक्षा हालात और बढ़ते आतंकवाद की पृष्ठभूमि में हुआ, जहां 195 प्रचारक, संघ से संबंद्ध सभी संगठनों के प्रमुख और शीर्ष नेताओं के साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत, वरिष्ठ नेता भैयाजी जोशी, दत्तात्रेय होसबोले और कृष्ण गोपाल ने भी शिरकत की.
वैद्य से उन मीडिया रिपोर्ट्स के बारे में सवाल किया गया जिनके मुताबिक पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने कथित तौर पर संघ को आतंकवाद से जोड़ने की कोशिश की थी, इस पर उन्होंने कहा, ‘मुद्दे का राजनीतिकरण करना और संघ को इसमें घसीटना गलत था.’
उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा इसे राजनीतिक मोड़ देना गलत था, बाद में उनका पर्दाफाश भी हो गया.
वैद्य ने कहा, ‘ इस देश की पहचान हिंदुत्व है, जो किसी भी अन्य धर्म के ख़िलाफ़ नहीं है. हम सभी के कल्याण के दर्शन में विश्वास रखते हैं.
राजग उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के देश के 14वें राष्ट्रपति के तौर पर चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि सभी सांसदों ने उन्हें राष्ट्रपति चुना है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए.उन्होंने कहा, ‘यह एक स्वागतयोग्य कदम है. वे भाजपा कार्यकर्ता और राज्यपाल रहे हैं. यह पार्टी का फैसला था.’
वैद्य ने यह भी बताया कि सम्मेलन में बंगाल में हालात के बारे में चर्चा हुई जो कि एक गंभीर मुद्दा है और वहां हिंदू खौफ में रहते हैं. उनका कहना था, ‘ उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. सरकार ख़ामोश बैठी है. मार्च के सम्मेलन में संघ ने प्रस्ताव पारित कर इसकी निंदा की थी,लेकिन वहां हालात नहीं सुधरे हैं.’