कोविड संकट के बीच दस राज्यों पर मनरेगा मज़दूरों की क़रीब 782 करोड़ रुपये मज़दूरी बकाया

लोकसभा में पेश जानकारी के मुताबिक़ ऐसे राज्यों में सबसे ऊपर पश्चिम बंगाल है, जहां लगभग 397 करोड़ रुपये की मनरेगा मज़दूरी का भुगतान नहीं हुआ है. यह दस राज्यों में कुल लंबित राशि का क़रीब 50 फीसदी है. इसके बाद उत्तर प्रदेश है, जहां 121.78 करोड़ रुपये की मनरेगा मज़दूरी नहीं दी गई है.

(फोटो: रॉयटर्स)

लोकसभा में पेश जानकारी के मुताबिक़ ऐसे राज्यों में सबसे ऊपर पश्चिम बंगाल है, जहां लगभग 397 करोड़ रुपये की मनरेगा मज़दूरी का भुगतान नहीं हुआ है. यह दस राज्यों में कुल लंबित राशि का क़रीब 50 फीसदी है. इसके बाद उत्तर प्रदेश है, जहां 121.78 करोड़ रुपये की मनरेगा मज़दूरी नहीं दी गई है.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फाइल फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बीच जब करोड़ों लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है और रोजगार मुहैया कराने के लिए उचित तंत्र नहीं होने के चलते सरकार मनरेगा में इसका समाधान ढूंढ रही है, ऐसे में यह जानकारी सामने आई है कि सरकारों ने कई सौ करोड़ रुपये की मनरेगा मजदूरी का भुगतान नहीं किया है.

बीते मंगवार को केंद्र सरकार ने संसद में बताया कि 10 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेश में करीब 782 करोड़ रुपये के मनरेगा मजदूरी का अभी तक भुगतान नहीं किया है. ये आंकड़े 11 सितंबर 2020 तक के हैं.

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा लोकसभा में पेश की गई जानकारी के मुताबिक आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, मिजोरम, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और पुदुचेरी में कई मनरेगा कामगारों की मंजूरी लंबित है.

इस सूची में पहले नंबर पर पश्चिम बंगाल है, जहां सबसे ज्यादा 397.57 करोड़ रुपये की मनरेगा मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ है. यह इन दस राज्यों में कुल लंबित राशि का करीब 50 फीसदी है.

इसके बाद उत्तर प्रदेश का नंबर आता है, जहां 121.78 करोड़ रुपये की मनरेगा मजदूरी लंबित है और इसका भुगतान किया जाना है. इसी तरह पंजाब में मनरेगा मजदूरों के 63.86 करोड़ रुपये के वेतन का अब तक भुगतान नहीं किया गया है.

भाजपा शासित मध्य प्रदेश में 59.23 करोड़ रुपये मनरेगा मजदूरी लंबित है. हिमाचल प्रदेश में मनरेगा मजदूरों को 46.73 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना अभी बाकी है.

गैर-भाजपा शासित राज्यों झारखंड में 26.86 करोड़ रुपये और आंध्र प्रदेश में 22.83 करोड़ रुपये की मनरेगा मजदूरी का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है.

केंद्र शासित प्रदेश पुदुचेरी में भी मनरेगा मजदूरों के 74.12 लाख रुपये सरकार पर बकाया हैं.

MNREGA
(स्रोत: लोकसभा)

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से भाजपा सांसद अरुण साव द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में तोमर ने कहा, ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) मांग आधारित मजदूरी रोजगार कार्यक्रम है. मजदूरी भुगतान नियमित आधार पर किया जाता है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘केंद्र सरकार द्वारा डीबीटी के तहत पीएफएमएस के माध्यम से राज्य सरकार से फंड ट्रांसफर ऑर्डर (एफटीओ) प्राप्त करने के बाद राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से लाभार्थी के बैंक/डाकघर खाते में सीधे मजदूरी का भुगतान किया जाता है.’

इस सवाल पर कि कितने दिनों में लंबित राशि का भुगतान कर दिया जाएगा, ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा, ‘ये प्रश्न नहीं उठता है.’ हालांकि उन्होंने कहा कि विभाग का उद्देश्य दैनिक आधार पर लंबित राशि का भुगतान करना है.

मालूम हो कि कोरोना वायरस के चलते उत्पन्न हुए अप्रत्याशित संकट के समाधान के लिए मोदी सरकार ने ‘आत्मनिर्भर भारत योजना’ के तहत मनरेगा योजना के बजट में 40,000 करोड़ रुपये की वृद्धि की थी.

इस तरह पूर्व में निर्धारित 61,500 करोड़ रुपये को मिलाकर मौजूदा वित्त वर्ष 2020-21 के लिए मनरेगा योजना का बढ़कर 1.01 लाख करोड़ रुपये हो गया.

किसी वित्त वर्ष के लिए यह अब तक का सर्वाधिक मनरेगा बजट है. लेकिन हाल ही में कई रिपोर्ट और अध्ययन सामने आए हैं जिसमें पता चला है कि मनरेगा का बजट बहुत तेजी से खत्म हो रहा है.

ऐसे में सरकार को अतिरिक्त बजट आवंटन की जरूरत है क्योंकि लॉकडाउन के चलते बहुत बड़ी संख्या में श्रमिक अपने घरों को लौट आए हैं और वे मनरेगा में काम करना चाह रहे हैं.

पीपुल्स एक्शन फॉर एम्प्लॉयमेंट गारंटी (पीईएजी) नाम के एक समूह द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष के करीब पांच महीने में ही मनरेगा का 64 फीसदी बजट खत्म हो चुका है.

इतना ही नहीं, रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि 09 सितंबर 2020 तक में काम मांगने वाले 1.55 करोड़ लोगों को काम नहीं मिल पाया था.

रिपोर्ट के मुताबिक, आठ सितंबर 2020 तक उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा काम मांगने वाले 35.01 लाख लोगों को मनरेगा के तहत काम नहीं मिला है.

इसी तरह मध्य प्रदेश में 19.38 लाख, पश्चिम बंगाल में 13.03 लाख, राजस्थान में 13.78 लाख, छत्तीसगढ़ में 11.74 लाख और बिहार में 9.98 लाख लोगों को मनरेगा के तहत रोजगार नहीं मिला.

वहीं, अप्रैल 2020 से लेकर अब तक में मनरेगा के तहत 85 लाख नए जॉब कार्ड जारी किए गए हैं, जो पिछले सात सालों की तुलना में सर्वाधिक है.

‘मनरेगा ट्रैकर’ नाम से जारी इस रिपोर्ट में योजना के एक और महत्वपूर्ण बिंदु की ओर ध्यान खींचा गया है कि जिन परिवारों ने 100 दिन का काम पूरा कर लिया है, उनका आगे का क्या होगा.

वहीं, दूसरी तरफ कई सारे ऐसे राज्य हैं, जो मजदूरों को 100 दिन का काम दिलाने में काफी पीछे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल से अब तक करीब 6.8 लाख परिवारों अपने 100 दिन के कार्य को पूरा कर लिया है.

हालांकि मनरेगा के तहत रोजगार प्राप्त कुल परिवारों में से यह सिर्फ 1.2 फीसदी ही है. इसके अलावा 51 लाख परिवारों ने 70 दिन का कार्य पूरा कर लिया है.

सिर्फ कुछ ही राज्य अधिकतर परिवारों को 100 दिन कार्य दिलाने में सफल रहे हैं, जिसमें आंध्र प्रदेश (2.6 लाख), छत्तीसगढ़ (84,000), पश्चिम बंगाल (82,000) और ओडिशा (52,000) शामिल हैं.

pkv bandarqq dominoqq pkv games dominoqq bandarqq sbobet judi bola slot gacor slot gacor bandarqq pkv pkv pkv pkv games bandarqq dominoqq pkv games pkv games bandarqq pkv games bandarqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa judi parlay judi bola pkv games pkv games pkv games pkv games pkv games pkv games pkv games bandarqq pokerqq dominoqq pkv games slot gacor sbobet sbobet pkv games judi parlay slot77 mpo pkv sbobet88 pkv games togel sgp mpo pkv games
slot77 slot triofus starlight princess slot kamboja pg soft idn slot pyramid slot slot anti rungkad depo 50 bonus 50 kakek merah slot bandarqq dominoqq pkv games pkv games slot deposit 5000 joker123 wso slot pkv games bandarqq slot deposit pulsa indosat slot77 dominoqq pkv games bandarqq judi bola pkv games pkv games bandarqq pkv games pkv games pkv games bandarqq pkv games depo 25 bonus 25 slot depo 10k mpo slot pkv games bandarqq bandarqq bandarqq pkv games pkv games pkv games pkv games slot mahjong pkv games slot pulsa