इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष केके अग्रवाल के मुताबिक भगवान शिव ने क्रोध को काबू में रखने का बेहद वैदिक तरीका सुझाया है.
नई दिल्ली: श्रीकृष्ण को सबसे मशहूर परामर्शदाता मानने वाले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष केके अग्रवाल ने कहा है कि महाकाव्य महाभारत में ऐसे कई बिंदु हैं जिनसे मनोरोग संबंधी मुद्दों के जवाब मिलते हैं.
उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण सही मायने में पहले और सबसे मशहूर परामर्शदाता थे, जिनके परामर्श से उनके मरीज़ अर्जुन की स्थिति न सिर्फ बेहतर हुई, बल्कि 700 श्लोकों वाले भगवद गीता नाम के प्राचीन ग्रंथ की रचना हुई.
अग्रवाल ने ‘द इक्वेटर लाइन’ मैगज़ीन में ‘कॉबवेब्स इनसाइड अस’ के ताज़ा अंक में लिखा है, भारत में मनोचिकित्सा का इतिहास महाभारत की 18 दिन चली लड़ाई से पहले भगवान कृष्ण की ओर से अर्जुन को सफल परामर्श दिए जाने से होता है.
‘वेदों के समय में मनोचिकित्सा’ शीर्षक से लिखे गए आलेख में अग्रवाल ने लिखा कि जब कोई मानसिक स्वास्थ्य का डॉक्टर या दवाएं नहीं थीं, लगता है उस वक़्त संस्कृत महाकाव्य गीता प्राचीन भारतीयों की मानसिक समस्याओं के समाधान में सहायक हुआ.
उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर वैदिक तौर-तरीका मस्तिष्क, बौद्धिकता और अहं को नियंत्रित करने पर ज़ोर देता है.
अग्रवाल ने लिखा, भगवान शिव ने क्रोध को काबू में रखने का बेहद वैदिक तरीका सुझाया है. जब आप असंतोष से भरे होते हैं, तो नकारात्मक विचारों को अपने गले में रख लीजिए. कुछ वक़्त के बाद उस मुद्दे पर ठंडे दिमाग से सोचिए.