उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अनुसंधान की कमी पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि आज तक देश अपने सशस्त्र बलों के लिए एक ढंग की राइफल भी विकसित नहीं कर सका है.
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने भी सरकार द्वारा अनुसंधान और विकास पर ज़रूरी ध्यान न दिए जाने पर अफ़सोस जताते हुए कहा है कि आज भी देश अपनी रक्षा ज़रूरतों का 60 प्रतिशत आयात करता है और अपने सशस्त्र बलों के लिए एक ढंग की राइफल भी विकसित नहीं कर सका है.
अंसारी ने की यह टिप्पणी थलसेना की ओर से किए गए फायरिंग परीक्षण में देश में ही विकसित एक राइफल के बुरी तरह नाकाम होने पर की गई है. सेना को कई सालों पुराने इनसास मॉडल की जगह नई राइफलें मुहैया कराने के मकसद से ये राइफल विकसित की गई थीं.
उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का महज 0.9 फीसदी वैज्ञानिक अनुसंधान पर खर्च करता है, जबकि चीन इस मद में 2, जर्मनी 2.8 और इस्राइल 4.6 फीसदी व्यय करता है.
रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान की कमी पर अंसारी ने कहा, ‘अनुसंधान एवं विकास में सरकार की कोशिशें नाकाफ़ी हैं. आज़ादी के 70 साल बाद भी हम अपनी रक्षा ज़रूरतों का 60 फीसदी आयात करते हैं.
उन्होंने रिसर्च करने वालों की कमी पर भी ध्यान दिलाते हुए कहा कि देश में विशुद्ध विज्ञान विषयों में पीएचडी करने वालों की संख्या बेहद कम है और भारत तेज़ी से बदलती इस दुनिया में काफी पीछे है.
उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि एक के बाद एक आई सरकारों ने इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया.