बिहार चुनाव से पहले अधिकतर चुनावी बॉन्ड एक करोड़ रुपये की राशि के बेचे गए: आरटीआई

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले 19-28 अक्टूबर के दौरान एक-एक करोड़ रुपये के 279 चुनावी बॉन्ड बेचे गए. इसके अलावा 32 चुनावी बॉन्ड 10-10 लाख रुपये, नौ चुनावी बॉन्ड एक-एक लाख रुपये और एक चुनावी बॉन्ड एक हज़ार रुपये का बेचा गया.

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(फोटो: रॉयटर्स)

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले 19-28 अक्टूबर के दौरान एक-एक करोड़ रुपये के 279 चुनावी बॉन्ड बेचे गए. इसके अलावा 32 चुनावी बॉन्ड 10-10 लाख रुपये, नौ चुनावी बॉन्ड एक-एक लाख रुपये और एक चुनावी बॉन्ड एक हज़ार रुपये का बेचा गया.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: हाल में समाप्त हुए बिहार विधानसभा चुनाव में भारी संख्या में पैसे इस्तेमाल किए गए और इसका संकेत सूचना का अधिकार (आरटीआई) से प्राप्त हुई जानकारी से मिलता है, जिसमें खुलासा हुआ है कि चुनावी बॉन्ड बेचे जाने की अवधि 19-28 अक्टूबर के दौरान एक-एक करोड़ रुपये के 279 बॉन्ड बेचे गए.

प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, इनमें से 130 बॉन्ड मुंबई में बेचे गए. दिलचस्प है कि बिहार विधानसभा चुनाव और मुंबई में इस बार बेहद गहरा संबंध था, क्योंकि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस बिहार में भाजपा के चुनाव प्रभारी थे.

‘अपारदर्शी है चुनावी बॉन्ड योजना’

ट्रांसपरेंसी एक्टिविस्ट्स लंबे समय से दावा कर रहे हैं कि चुनावी बॉन्ड योजना आपरदर्शी हैं और कालेधन को बढ़ावा देती है. हर विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार 10 दिन के लिए चुनावी बॉन्ड योजना को बिक्री के लिए खोलती है.

बता दें कि 2 जनवरी, 2018 को चुनावी बॉन्ड योजना अधिसूचित की गई थी. इसके तहत भारत का कोई भी नागरिक या भारत में स्थापित कंपनी/ट्रस्ट चुनावी बॉन्ड खरीद सकते हैं. यह योजना जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29 ए के तहत पंजीकृत राजनीतिक दलों को फंड देने के लिए थी, जिन्होंने लोकसभा या राज्य की विधानसभा के लिए पिछले आम चुनाव में 1 फीसदी से कम वोट न हासिल किया हो.

हालांकि, इस योजना के तहत एक योग्य राजनीतिक दल ही एक अधिकृत बैंक के साथ खाते के माध्यम से चुनावी बॉन्ड भुना सकते हैं, लेकिन अधिकार कार्यकर्ता सवाल उठाते हैं कि इसमें दानदाताओं के नाम सार्वजनिक करने का प्रावधान क्यों नहीं है.

योजना की सबसे बड़ी लाभार्थी है भाजपा

इस साल के शुरू में चुनावी बॉन्ड के विश्लेषण से पता चला था कि योजना के माध्यम से राजनीतिक दलों द्वारा 6,000 करोड़ रुपये से अधिक के बांड भुनाए गए थे और भाजपा सबसे बड़ी लाभार्थी थी.

2019 के लोकसभा चुनावों से पहले भी भाजपा ने चुनावी बॉन्ड से 2,410 करोड़ रुपये जुटाए थे और इससे पहले भी योजना के माध्यम से राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए धन का वह लगभग 95 फीसदी धन प्राप्त कर रही थी.

हालांकि, इन बॉन्ड्स को जारी करने का अधिकार हासिल करने वाले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने आरटीआई के तहत उन नामों का खुलासा करने से इनकार कर दिया था, जिन्होंने ये बॉन्ड खरीदे थे. ऐसा उसने एक करोड़ या उससे अधिक के सभी दानकर्ताओं के मामले में किया था.

अधिकतर बॉन्ड्स एक करोड़ रुपये की राशि के बिके

इस बार ट्रांसपेरेंसी एक्टिविस्ट लोकेश बत्रा (रिटायर्ड) ने एक आवेदन दाखिल कर एसबीआई से जानकारी मांगी थी कि उसने 14वें चरण में किस शाखा से और कितने रुपये के बॉन्ड बेचे.

अपने जवाब में एसबीआई ने कहा कि इस अवधि में 282.29 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे गए. इसमें बड़ी संख्या 279 चुनावी बॉन्ड एक-एक करोड़ रुपये के थे. जहां इनमें से 130 बॉन्ड मुंबई, 60 चेन्नई शाखा, 35 कोलकाता, 20 हैदराबाद, 17 भुवनेश्वर और 11 नई दिल्ली शाखा में बेचे गए.

एक करोड़ रुपये की राशि के बॉन्ड के अलावा 32 बॉन्ड 10-10 लाख रुपये के बेचे गए. 10 लाख रुपये के ये बॉन्ड चार शहरों में बेचे गए जिसमें से कोलकाता में 10, नई दिल्ली में 9, पटना में 8 और गांधी नगर में 5 बॉन्ड बेचे गए. इसके साथ ही नई दिल्ली शाखा में एक-एक लाख रुपये के नौ बॉन्ड बेचे गए. नई दिल्ली में एक बॉन्ड एक हजार रुपये का भी बेचा गया.

अधिकतर बॉन्ड हैदराबाद, चेन्नई, भुवनेश्वर में भुनाए गए

बत्रा ने यह जानकारी भी मांगी थी कि इन बॉन्ड को कहां पर भुनाया गया. जवाब से पता चलता है कि एक हजार रुपये के बॉन्ड को छोड़कर बाकी सभी बॉन्ड भुनाए गए.

आंकड़ों से पता चलता है कि हैदराबाद में 90 बॉन्ड, चेन्नई में 80, भुवनेश्वर में 67, नई दिल्ली में 25, कोलकाता में 15 और पटना में दो बॉन्ड भुनाए गए. वहीं, 10 लाख रुपये के 18 बॉन्ड नई दिल्ली, 10 कोलकाता, चार पटना में भुनाए गए. इसके साथ ही एक लाख रुपये सभी नौ बॉन्ड नई दिल्ली में भुनाए गए.

1000 रुपये का एकमात्र बॉन्ड जिसे नहीं भुनाया गया, वह 12 नवंबर को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में जमा कर दिया गया.

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