बाबरी विध्वंस मामले में शिया वक़्फ़ बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दाख़िल कर कहा है कि बाबरी मस्जिद स्थल उनकी संपत्ति है.
नई दिल्ली: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में मंगलवार को उस समय एक नया मोड़ आ गया जब उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि अयोध्या में विवादित स्थल से समुचित दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में मस्जिद का निर्माण किया जा सकता है.
बोर्ड ने शीर्ष अदालत में दाख़िल अपने हलफनामे में यह भी कहा है कि बाबरी मस्जिद स्थल उसकी संपत्ति थी और सिर्फ वही इस विवाद के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए बातचीत करने का हक़दार है.
शिया वक़्फ़ बोर्ड का 30 पेज का यह हलफनामा काफी महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि शीर्ष अदालत द्वारा इस मामले में त्वरित सुनवाई के लिए सहमत होने के चंद दिन के भीतर ही यह दाख़िल किया गया है.
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ 11 अगस्त से इस भूमि विवाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के ख़िलाफ़ दायर अपील पर सुनवाई करेगी.
वक़्फ़ बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय से इस जटिल मुद्दे का सर्वमान्य समाधान खोजने हेतु एक समिति गठित करने के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किया है.
इस मामले में सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के रुख़ की आलोचना करते हुए अदालत ने कहा, चूंकि बाबरी मस्जिद शिया वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति है, शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड उत्तर प्रदेश ही अकेला इसमें बातचीत करने और शांतिपूर्ण समाधान पर पहुंचने का हक़दार है.
हलफनामे में यह भी कहा गया है, शिया बोर्ड का यह भी मत है कि विवाद को ख़त्म करने के लिए मस्जिद को मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पवित्र जन्म स्थल से उचित दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में स्थापित की जा सकती है.
शिया वक़्फ़ बोर्ड शीर्ष अदालत में लंबित मामलों में एक पक्षकार है.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के 2010 के फैसले के ख़िलाफ़ ये अपील दायर की गई हैं. उच्च न्यायालय ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल की विवादित 2.77 एकड़ भूमि को तीन समान हिस्सों में बांटने और उसे सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला को सौंपने का निर्देश दिया था.