राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा बीते बृहस्पतिवार को जारी राष्ट्रीय आय के पहले अग्रिम अनुमान में कहा गया है कि कृषि और जनउपयोगी सेवाओं मसलन बिजली और गैस आपूर्ति को छोड़कर अर्थव्यस्था के अन्य सभी क्षेत्रों में गिरावट आने का अनुमान है. मुख्य रूप से विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के ख़राब प्रदर्शन की वजह से अर्थव्यवस्था में यह गिरावट आएगी.
नई दिल्ली: कोविड- 19 महामारी का देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर हुआ है. इसकी वजह से वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.7 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान है.
मुख्य रूप से विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के खराब प्रदर्शन की वजह से अर्थव्यवस्था में यह गिरावट आएगी. सरकारी आंकड़ों में यह अनुमान सामने आया है.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा बीते बृहस्पतिवार को जारी राष्ट्रीय आय के पहले अग्रिम अनुमान में कहा गया है कि कृषि और जनउपयोगी सेवाओं मसलन बिजली और गैस आपूर्ति को छोड़कर अर्थव्यस्था के अन्य सभी क्षेत्रों में गिरावट आने का अनुमान है.
एनएसओ के अनुसार, ‘वर्ष 2020-21 में 2011-12 के स्थिर मूल्यों पर वास्तविक जीडीपी 134.40 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. वहीं वर्ष 2019-20 में जीडीपी का शुरुआती अनुमान 145.66 लाख करोड़ रुपये रहा है. इस लिहाज से 2020-21 में जीडीपी में 7.7 प्रतिशत की गिरावट आएगी, जबकि इससे पिछले साल (2019-20) में जीडीपी में 4.2 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी.’
हालांकि, सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट का आंकड़ा कुछ अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों मसलन अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक के अनुमान से कहीं कम है.
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को लेकर जारी अनुमान से अर्थव्यवस्था में वी-आकार (बड़ी गिरावट के बाद तेजी से सुधार) के संकेत मिलते हैं. यह चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही से आर्थिक गतिविधियों में लगातार आ रहे सुधार को दर्शाता है.
वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘2020-21 का अग्रिम अनुमान चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेजी से सुधार का संकेत देता है. यही वजह है कि चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में गिरावट अब 7.7 प्रतिशत ही रहने का अनुमान है.’
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि पूरे साल के लिए अग्रिम अनुमान से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था में गिरावट कहीं कम रहेगी. हालांकि, पहले अर्थव्यवस्था में कहीं अधिक गिरावट की आशंका जताई जा रही थी.
भारतीय स्टेट बैंक की शोध रिपोर्ट इकोरैप में कहा गया है, ‘अब यह आधिकारिक हो गया है कि कोविड-19 महामारी से भारतीय अर्थव्यवस्था में 1979-80 के बाद पहली बार गिरावट आएगी.’
एनएसओ का अनुमान है कि आधार कीमत पर वास्तविक सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) 2020-21 में 123.39 लाख करोड़ रुपये रहेगा, जो 2019-20 में 133.01 लाख करोड़ रुपये रहा है.
चालू वित्त वर्ष में जीवीए में विनिर्माण क्षेत्र में 9.4 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है. वहीं 2019-20 में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर लगभग स्थिर (0.03 प्रतिशत) रही थी.
एनएसओ का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में खनन और संबद्ध क्षेत्रों तथा व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से संबंधित सेवाओं में क्रमश: 12.4 प्रतिशत और 21.4 प्रतिशत की गिरावट आएगी.
इसी तरह निर्माण क्षेत्र में भी 12.6 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है. आंकड़ों के अनुसार लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं में 3.7 प्रतिशत की गिरावट आएगी. वहीं वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं में 0.8 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है.
हालांकि, 2020-21 में कृषि, वन और मत्स्य पालन की वृद्धि दर 3.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि 2019-20 में इस क्षेत्र की वृद्धि दर 4 प्रतिशत रही थी.
इसी तरह चालू वित्त वर्ष में बिजली, गैस, जलापूर्ति और अन्य यूटिलिटी सेवाओं की वृद्धि दर 2.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है. 2019-20 में इन क्षेत्रों की वृद्धि दर 4.1 प्रतिशत रही थी.
चालू वित्त वर्ष की पहली (अप्रैल-जून) तिमाही में अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत और दूसरी (जुलाई-सितंबर) तिमाही में 7.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी.
वहीं एनएसओ के तिमाही अनुमानों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में वास्तविक जीडीपी में 15.7 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई. तिमाही दर तिमाही आधार पर जीडीपी में पहली तिमाही के मुकाबले दूसरी तिमाही में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
एनएसओ के अग्रिम अनुमान में तीसरी और चौथी तिमाही के दौरान गतिविधियां लगतार बढ़ती दिख रही हैं. इससे वित्त वर्ष 2020-21 की समाप्ति अर्थव्यवस्था में 7.7 प्रतिशत की गिरावट के साथ होने का अनुमान हे.
भारतीय रिजर्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.5 प्रतिशत की गिरावट आएगी. हालांकि, इससे पहले केंद्रीय बैंक ने अर्थव्यवस्था में 9.5 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगाया था.
विश्व बैंक ने अपने ताजा वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 9.6 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया है.
इसी तरह आईएमएफ का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 10.3 प्रतिशत की गिरावट आएगी. हालांकि, उसका अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगी.
मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 10.6 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया है. हालांकि, पहले उसने अर्थव्यवस्था में 11.5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था.
एनएसओ के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में वर्तमान कीमत पर प्रति व्यक्ति शुद्ध राष्ट्रीय आय (एनएनआई) 5.4 प्रतिशत घटकर 126,968 रुपये रहने का अनमान है. वर्ष 2019-20 में यह 6.1 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 134,226 रुपये रही थी.