लॉकडाउन के दौरान पीएम किसान योजना के 11.2 लाख से अधिक ट्रांजैक्शन विफल हुए

एक आरटीआई आवेदन के जवाब में कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग ने बताया कि दिसंबर 2020 तक लगभग 44 फीसदी असफल ट्रांसफरों को दुरुस्त नहीं किया गया. पीएम किसान योजना के तहत प्रतिवर्ष 6,000 रुपये की धनराशि किश्तों में देशभर में योजना के पात्र किसान परिवारों को दी जाती है.

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(फोटो: पीटीआई)

एक आरटीआई आवेदन के जवाब में कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग ने बताया कि दिसंबर 2020 तक लगभग 44 फीसदी असफल ट्रांसफरों को दुरुस्त नहीं किया गया. पीएम किसान योजना के तहत प्रतिवर्ष 6,000 रुपये की धनराशि किश्तों में देशभर में योजना के पात्र किसान परिवारों को दी जाती है.

(फोटो: पीटीआई)
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नई दिल्लीः देश में कोविड-19 लॉकडाउन अवधि के दौरान 23 मार्च से 31 जुलाई 2020 के दौरान जब किसानों को धन और सहायता की सबसे अधिक जरूरत थी, उस समय पीएम किसान योजना के तहत किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर होने वाली 11.2 लाख रुपये की धनराशि ट्रांसफर होने में असफल रही.

सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत पूछे गए सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग ने कहा कि दिसंबर 2020 तक लगभग 44 फीसदी असफल ट्रांसफरों को दुरुस्त नहीं किया गया.

कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स के वेंकटेश नायक ने जून 2020 में कृषि मंत्रालय के तहत इस विभाग से पीएम किसान योजना के तहत लाभार्थियों के बैंक खातों में धनराशि ट्रांसफर के असफल होने का ब्योरा मांगा था.

यह मुद्दा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पीएम किसान किश्त भुगतान पीएम गरीब कल्याण योजना पैकेज का हिस्सा है, जिसका केंद्र सरकार ने मार्च 2020 में लॉकडाउन लगने से पहले ही ऐलान किया था.

पीएम किसान योजना के तहत प्रतिवर्ष 6,000 रुपये की धनराशि देशभर में इस योजना के योग्य किसानों के परिवारों- पति, पत्नी और नाबालिग बच्चों को एक इकाई माना जाता है- को दी जाती है. इसके तहत हर चार महीने में 2,000-2,000 रुपये की समान किश्त दी जाती है.

आरटीआई के जवाब में विभाग के मुख्य सार्वजनिक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) ने योजना के तहत बैंक खातों में धनराशि ट्रांसफर असफल होने का ब्योरा मुहैया कराया.

इससे पता चला कि इस अवधि के दौरान 11,29,401 असफल लेनदेन हुए, जिनमें से 11,22,389 असफल लेनदेन 27 राज्यों और 7,012 आठ केंद्रशासित प्रदेशों में हुआ.

इसका खामियाजा भुगतने वाले लाभार्थियों का विवरण नहीं

नायक ने कहा कि सीपीआईओ ने इसमें शामिल धनराशि का कोई ब्योरा मुहैया नहीं कराया.

उन्होंने (नायक) कहा कि अगर हम मान लें कि हर असफल ट्रांसफर का एक मामला 2,000 रुपये की एक किश्त से संबंधित है, जिसका भुगतान नहीं किया जा सका तो कुल आंकड़ा 22.58 लाख रुपये से अधिक है.

उन्होंने यह भी कहा कि अभी यह पता नहीं चल सका है कि इन असफल बैंक ट्रांसफर से कितने लाभार्थियों पर असर पड़ा है.

आरटीआई के जवाब पर प्रतिक्रिया देते हुए नायक ने कहा, ‘कोविड-19 महामारी के चरम पर हालांकि बड़ी संख्या में पीएम किसान योजना के लाभार्थियों को लॉकडाउन की अवधि के दौरान धनराशि मिली. इनमें से एक बड़ी संख्या को जरूर यह धनराशि नहीं मिली हो. जिस समय सीपीआईओ ने डेटासेट भेजा था, उस समय लगभग 44 फीसदी असफल बैंक ट्रांसफरों को दुरुस्त नहीं किया गया.’

पीएम किसान फंड की आखिरी किश्त 25 दिसंबर 2020 को जारी की गई थी. इस पर नायक ने कहा, ‘देशभर के आरटीआई कार्यकर्ताओं को चाहिए कि वे केंद्र और राज्य सरकारी एजेंसियों से जानकारी मांगकर असफल बैंक ट्रांसफल और सफल ट्रांसफर की पड़ताल करें.’

लाभार्थियों के डेटा में विसंगतियां

नायक ने कहा कि अन्य पेचीदा मामला पीएम किसान की वेबसाइट के अनुसार पंजीकृत लाभार्थियों की संख्या का उन लाभार्थियों की संख्या के साथ तुलना करना है, जिन्हें ताजा किश्त का भुगतान किया गया.

नायक ने कहा, ‘केंद्र सरकार का दावा है कि उन्होंने ताजा किश्त का भुगतान नौ करोड़ से अधिक किसान परिवारों को किया है. पीएम किसान की वेबसाइट पर लाभार्थियों का ताजा आंकड़ा 11.50 करोड़ है.’

आरटीआई कार्यकर्ता ने कहा, ‘सरकार को इस विसंगति को समझाने की जरूरत है.’

उन्होंने मांग की कि सरकार को असफल हुए बैंक ट्रांसफर का डेटा और सफल भुगतान के डेटा को सक्रिय रूप से अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने की जरूरत है. ये कदम योजना के क्रियान्वयन में व्यापक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं.

पांच राज्यों में अधिकतम असफल बैंक ट्रांसफर हुए

नायक ने बताया कि सीपीआईओ ने अपनी ताजा प्रतिक्रिया में दो और डेटासेट मुहैया कराए, जिनमें से एक में पीएम किसान योजना के तहत लाभार्थियों के बैंक एकाउंट में किश्तों का भुगतान और असफल ट्रांसफर का राज्यवार आंकड़ा है जबकि दूसरे में जाति और जेंडर संरचना और अयोग्य लोगों को किए गए भुगतान का राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेशों का आंकड़ा शामिल है.

नायक ने कहा कि जवाब से यह स्पष्ट है कि राज्यों में कुल 99 फीसदी से अधिक बैंक एकाउंट ट्रांसफर असफल रहे हैं जबकि केंद्रशासित प्रदेशों में यह लगभग 0.62 फीसदी है.

उन्होंने कहा कि सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से मध्य प्रदेश में सबसे बड़ी संख्या (7.29 लाख) में बैंक एकाउंट लेनदेन असफल रहे. इसके बाद महाराष्ट्र में 85,000 से अधिक ट्रांसफर असफल रहे.

इसके बाद कर्नाटक में 55,000 से अधिक, बिहार में 51,000 से अधिक और उत्तर प्रदेश में लगभग 48,000 ट्रांसफर असफल रहे.

एक साथ मिलाकार इन पांचों राज्यों में लॉकडाउन के दौरान रिकॉर्ड लगभग 86 फीसदी ट्रांसफर असफल रहे. वहीं केंद्रशासित प्रदेशों में जम्मू कश्मीर में लगभग 97 फीसदी ट्रांसफर असफल रहा.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)