अलगाववादियों ने इस अनुच्छेद को क़ानूनी चुनौती देने को मुस्लिम बहुसंख्यक जम्मू कश्मीर में आबादी की संरचना को बदलने वाला कदम बताया है.
श्रीनगर: संविधान के अनुच्छेद 35 ए को कानूनी चुनौती के खिलाफ अलगाववादियों के बंद के कारण शनिवार को कश्मीर में जनजीवन प्रभावित रहा.
अलगावादियों ने इस अनुच्छेद को कानूनी चुनौती को मुस्लिम बहुसंख्यक जम्मू कश्मीर में आबादी की संरचना को बदलने वाला कदम बताया है.
संविधान के अनुच्छेद 35ए के अन्तर्गत जम्मू-कश्मीर में आवास संबंधी नियमों की व्याख्या की गयी है. यह अनुच्छेद किसी भी बाहरी व्यक्ति को राज्य में अचल संपत्ति खरीदने या राज्य सरकार की नौकरियों के लिए आवेदन करने से रोकता है.
अधिकारियों ने बताया कि स्कूल, कॉलेज, दुकानें, व्यापारिक प्रतिष्ठान और निजी कार्यालय बंद रहे. उनके अनुसार अधिकांश सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति काफी कम रही और कश्मीर के अधिकांश हिस्सों में बस सड़कों से नदारद रहीं, एक दो निजी वाहन ही नजर आए.
अधिकारियों ने पांच थाना क्षेत्रों के अंतर्गत इलाकों में हिंसक विरोध प्रदर्शन की आशंका से लोगों की आवाजाही पर पाबंदी लगा दी.
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के कट्टरपंथी और उदारवादी दोनों धड़े और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) ने पूर्ण बंद का आह्वान किया है.
उन्होंने बताया कि अनुच्छेद 35ए के खिलाफ याचिका मुस्लिम बहुल राज्य की आबादी की संरचना को बदलने की योजना का हिस्सा है.
अलगाववादियों ने बताया कि यह बंद भारतीय बलों के हाथों कश्मीरी लोगों की लगातार की जा रही हत्याओं के विरोध में भी है.
पिछले महीने उच्चतम न्यायालय ने अनुच्छेद 35ए को हटाये जाने की मांग को लेकर एक एनजीओ की एक रिट याचिका पर केंद्र से तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा था.
याचिका में कहा गया था कि राज्य को विशेष स्वायत्त दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 35ए और अनुच्छेद 370 की आड़ में राज्य सरकार गैर-निवासियों के साथ भेदभाव कर रही है जिनके लिए संपत्ति खरीदने पर रोक है और राज्य सरकार की नौकरी नहीं मिल सकती है और न ही उन्हें स्थानीय चुनावों में मतदान करने का अधिकार है.