वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में स्वच्छ भारत अभियान के लिए उतनी ही राशि आवंटित की गई है, जितनी पिछले साल की गई थी. स्वच्छ भारत अभियान- शहरी के तहत 2,300 करोड़ रुपये और ग्रामीण के तहत 9,994 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. यह बीते तीन साल के बजट की तुलना में सबसे कम है.
नई दिल्ली: साल 2014 से ही मोदी सरकार द्वारा बहुप्रचारित और महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत अभियान के बजट में भारी कटौती की गई है.
पिछले साल वित्त वर्ष 2020-21 के लिए स्वच्छ भारत अभियान (शहरी एवं ग्रामीण दोनों) के तहत करीब 12,300 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था.
लेकिन अब इसमें कटौती (संशोधित) करते हुए इसे 7,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जो आवंटित बजट की तुलना में करीब 43 फीसदी कम है.
इसका मतलब ये है कि 31 मार्च 2021 तक (जिस तारीख को वित्त वर्ष 2020-21 खत्म होगा) सरकार इस योजना के तहत इतनी ही राशि खर्च कर पाएगी.
पिछले साल स्वच्छ भारत अभियान-शहरी के तहत 2,300 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. लेकिन अब इसे कम करके 1,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है.
वहीं स्वच्छ भारत अभियान- ग्रामीण के तहत 9,994 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे और अब इसमें भी कटौती करते 6,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है. आलम ये है कि योजना के तहत 31.12.2020 तक 4189.04 करोड़ रुपये का ही उपयोग किया जा सका है.
वित्त वर्ष 2021-22 का बजट
आगामी वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में स्वच्छ भारत अभियान के लिए उतनी ही राशि करीब 12,300 करोड़ रुपये आवंटित की गई है, जितनी की पिछले साल आवंटित की गई थी.
इसमें से स्वच्छ भारत अभियान-शहरी के तहत 2,300 करोड़ रुपये और स्वच्छ भारत अभियान- ग्रामीण के तहत 9,994 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. यह पिछले तीन साल के बजट की तुलना में सबसे कम है.
स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण) के तहत वित्त वर्ष 2017-18 के लिए 13,948.27 करोड़ रुपये, 2018-19 के लिए 15,343.10 करोड़ रुपये और 2019-20 के लिए 9994 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे.
खास बात ये है कि केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान का बजट ऐसे समय पर कम रखा है जब सरकार की ही एक समिति ने इसे पांच साल तक और बढ़ाकर इसके लिए करीब 1.41 लाख करोड़ रुपये का बजट देने की मांग की है.
सरकारी दस्तावेज के मुताबिक आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, जो स्वच्छ भारत अभियान (शहरी) लागू कर रहा है, की अगुवाई में 17 दिसंबर 2020 को एक बैठक हुई थी, जिसमें ये तय किया गया कि इस योजना को 2021-22 से 2025-26 तक पांच साल के लिए आगे बढ़ाया जाए.
इसके साथ ही समिति (ईएफसी) ने कहा कि इसमें 1,41,678 करोड़ रुपये का खर्चा आ सकता है. हालांकि इस अनुमान की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 का बजट काफी कम प्रतीत होता है.
मालूम हो कि पिछले कई सालों से सीवर सफाई के दौरान जहरीली गैस से कई कर्मचारियों की मौत हुई है. इसे लेकर व्यापक आलोचना के बाद सरकार ने वादा किया कि वे स्वच्छ भारत अभियान के तहत उपयुक्त बजट देकर इसका समाधान करेंगे.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने पिछले बजट भाषण में कहा था, ‘हमारी सरकार इस बात को लेकर प्रतिबद्ध है कि सीवर या सेप्टिक टैंक की सफाई किसी व्यक्ति द्वारा नहीं किया जाना चाहिए. आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा इसके लिए उपयुक्त तकनीकि की पहचान की गई है. मंत्रालय स्थानीय निकायों के साथ लगातार संपर्क में है, ताकि वे सीवर सफाई के लिए वे इस तकनीकि को अपनाएं. इस प्रावधान को कानूनी अमलीजामा पहनाने के साथ-साथ वित्तीय सहायता दी जाएगी.’
सीतारमण के इस वादे को ध्यान में रखते हुए स्वच्छ भारत अभियान की समिति ने इसका बजट बढ़ाने की सिफारिश की है. हालांकि वर्तमान बजट में इसका अमल दिखाई नहीं पड़ता है.
स्वच्छ भारत अभियान के तहत पिछले साल क्या कार्य हुए
वित्त मंत्री ने पिछले साल दावा किया था कि उनकी सरकार पूरे भारत को ‘खुले में शौच मुक्त’ यानी ओडीएफ बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और इस लाभ से कोई वंचित नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अब सरकार कचरे के प्रबंधन और उसके निस्तारण पर फोकस कर रही है.
हालांकि बजट कम किए जाने से इस उद्देश्य के प्रभावित होने की संभावना है.
स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण) के तहत साल 2020-21 के दौरान 31.12.2020 तक 41.61 शौचालय बनाए गए. इसके अलावा इसी समयसीमा के दौरान 70,929 सामुदायिक शौचालय घर बनाए गए और ऐसे 31,560 शौचालयों का कार्य जारी है.
इस दौरान आवंटित बजट की तुलना में महज 42 फीसदी ही राशि खर्च हो पाई.
कैबिनेट ने 19 फरवरी 2020 को स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण) को 2020-21 से 2024-25 तक बढ़ाने की मंजूरी दी थी.