पर्यावरण बजट आवंटन में कटौती से साफ है कि सरकार पर्यावरण को लेकर गंभीर नहीं: विशेषज्ञ

सोमवार को पेश आम बजट में पर्यावरण मंत्रालय को बजटीय आवंटन में 230 करोड़ रुपये की कटौती की गई है. पर्यावरण के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं का कहना है कि इससे पर्यावरण से जुड़े कई कार्यक्रम बाधित हो सकते हैं या उनकी रफ्तार घट सकती है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

सोमवार को पेश आम बजट में पर्यावरण मंत्रालय को बजटीय आवंटन में 230 करोड़ रुपये की कटौती की गई है. पर्यावरण के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं का कहना है कि इससे पर्यावरण से जुड़े कई कार्यक्रम बाधित हो सकते हैं या उनकी रफ्तार घट सकती है.

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नई दिल्ली: पर्यावरण मंत्रालय को बजटीय आवंटन में 230 करोड़ रुपये की कटौती पर पर्यावरणविदों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने कहा है कि इससे हरित पहल को झटका लग सकता है या इसकी रफ्तार थमने का अंदेशा है.

बजट में कटौती के अलावा पर्यावरणविदों का मानना है कि केंद्र ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि दस लाख की न्यूनतम आबादी वाले 42 शहरों में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए 2,217 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किस तरह किया जाएगा.

‘ग्रीनपीस इंडिया’ से जुड़े अविनाश चंचल ने कहा, ‘इस साल मंत्रालय के लिए कुल बजटीय आवंटन 2,869.93 करोड़ रुपये हुआ है जबकि पिछले साल 31,00 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. इससे पर्यावरण से जुड़े कई कार्यक्रम बाधित हो सकते हैं या उनकी रफ्तार घट सकती है.’

उन्होंने कहा, ‘सरकार ने 42 शहरों में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए 2217 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है और स्वैच्छिक वाहन-स्क्रैप नीति की शुरुआत की है. लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया कि प्रदूषण के संकट का समाधान करने के लिए इस रकम का किस तरह इस्तेमाल होगा.’

पर्यावरणविद और एनजीओ सेफ (सोशल एक्शन फॉर फॉरेस्ट एंड इनवायरमेंट) के संस्थापक विक्रांत तोंगड ने कहा कि बजटीय कटौती से पर्यावरण अनुकूल पहल पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.

उन्होंने कहा, ‘राशि में कटौती कर सरकार ने साफ कर दिया है कि वह पर्यावरण को लेकर गंभीर नहीं है.’

उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के संस्थापक और निदेशक सचिन बजाज ने उम्मीद जताई कि सरकार इस पर फिर से विचार करेगी और ज्यादा कोष का आवंटन करेगी.

उन्होंने कहा, ‘अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहतर पर्यावरण बुनियादी जरूरत है. कोविड-19 के दौरान हम स्वास्थ्य पर ध्यान दे रहे हैं लेकिन एक चीज हम भूल गए कि जलवायु परिवर्तन पिछले कई वर्षों से समुदायों पर सबसे ज्यादा असर डाल रहा है और इससे कोविड-19 की तुलना में ज्यादा बड़े खतरे की आशंका है.’

स्वच्छ हवा के लिए बजटीय आवंटन में कटौती पर निराशा प्रकट करते हुए ‘निर्वाणा बीइंग’ के संस्थापक और सीईओ तथा ‘माय राइट टू ब्रेथ’ मुहिम शुरु करने वाले जयधर गुप्ता ने कहा कि कोविड-19 की तुलना में वायु प्रदूषण ज्यादा बड़ा खतरा है.

उन्होंने कहा कि कोविड-19 की वजह से देश में 2020 में डेढ़ लाख लोगों की मौत हुई वहीं वायु प्रदूषण के कारण समूचे भारत में 18 लाख लोगों की मौत हुई. इसलिए प्रदूषण ज्यादा बड़ा खतरा है.

हालांकि, गुप्ता ने कहा कि बजट में स्क्रैप नीति और प्लास्टिक अपशिष्ट घटाने के लिए आवंटन जैसी सकारात्मक पहल की गई है.