भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि कृषि घाटे का सौदा हो गई है और सरकार कह रही है कि इसमें फ़ायदा है, हमें अपना नफ़ा-नुकसान पता है, इसलिए वे इस तरह का रवैया न अपनावे.
संभल: भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने शुक्रवार को किसान आंदोलन के मसले पर कहा कि अगर सरकार अपना अड़ियल रवैया छोड़ दे और किसानों के मान-सम्मान से खिलवाड़ न करे तो मामला सुलझ सकता है.
मुरादाबाद के बिलारी में शुक्रवार को किसान पंचायत में जाते समय संभल के सिंहपुर सानी में किसानों द्वारा सम्मानित किए जाने के बाद पत्रकारों से बातचीत में नरेश टिकैत ने कहा, ‘यदि सरकार किसानों के मान-सम्मान के साथ खिलवाड़ करना बंद कर अपना अड़ियल रवैया छोड़ दे तो मामला सुलझ सकता है.’
उन्होंने कहा कि सब कुछ सरकार पर निर्भर है. टिकैत ने कहा, ‘कृषि घाटे का सौदा हो गई है और वे (सरकार) कह रहे हैं कि इसमें फायदा है, हमें अपना नफा-नुकसान पता है, इसलिए वे इस तरह का रवैया न अपनावें.’
विदेशियों द्वारा किसान आंदोलन के समर्थन पर नरेश टिकैत ने कहा, ‘विदेश से हमारा कोई मतलब नहीं है. हमारा तो यही कहना है विदेशों में भी बात तो जाती है और सरकार की छवि खराब हो रही है तो इस तरह की नौबत क्यों ला रहे हैं.’
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘शांति हमारा हथियार है और इसे अपनाना चाहिए, क्योंकि टिकैत साहब (पिता महेंद्र टिकैत) के जमाने से यही चल रहा है.’
मालूम हो कि पिछले साल सितंबर में लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करते हुए दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान नवंबर से डेरा डाले हुए हैं. वे न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाला नया कानून बनाने की भी मांग कर रहे हैं.
गतिरोध सुलझाने के लिए सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है.
केंद्र कृषि से संबंधित तीन विधेयकों– किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020- को कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव बता रही है.
हालांकि किसानों एवं विशेषज्ञों को इस बात को लेकर चिंता है कि यदि ये कानून लागू किया जाता है तो एपीएमसी (कृषि उपज विपणन समितियों) और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) व्यवस्था खत्म हो जाएगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)