चौंतीस हज़ार गिरफ़्तारियों के रिकॉर्ड और पांच सौ एफआईआर पर आधारित रिपोर्ट बताती है कि मध्य प्रदेश पुलिस ने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान हाशिये पर रहने वाले समुदायों का अनुचित तरीके से अपराधीकरण करने में अपनी शक्तियों का मनमाना इस्तेमाल किया.
भोपाल के एक रिसर्च और लिटिगेशन समूह द क्रिमिनल जस्टिस और पुलिस एकाउंटेबिलिटी ने मध्य प्रदेश में कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान राज्य में पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारियों को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. यह रिपोर्ट साल 2020 में हुए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान हुई चौंतीस हजार पांच सौ एफआईआर है.
रिपोर्ट के शोधार्थियों ने पाया कि इस दौरान पुलिस ने उसकी शक्तियों का इस्तेमाल मनमाने और अनुचित तरीके से हाशिये समुदायों के अपराधीकरण में किया.
इस रिपोर्ट के अनुसार, छह हजार से अधिक लोगों को सिर्फ लॉकडाउन नियमों के उल्लंघन के लिए गिरफ्तार किया गया. बताया गया, ‘लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन करने के लिए गिरफ्तार किए गए लोगों में करीब 30 प्रतिशत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और डीनोटिफाइड आदिवासी समुदाय से थे, 20 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से थे और 25 प्रतिशत मुस्लिम थे.
नीचे दी गई कहानी गोंडी समुदाय से आने वाली फुल्लोबाई की है, जो लालगढ़ में सब्जी बेचा करती थीं, जिन्हें आवश्यक सेवा प्रदाता की श्रेणी में होने के बावजूद पुलिस द्वारा निशाना बनाया गया.
(मूल रूप से अंग्रेज़ी में लिखे गए इलस्ट्रेशन को रागिनी ललित द्वारा अनूदित किया गया है.)