विशेष: साल 2020 के दिल्ली दंगों को लेकर द वायर की श्रृंखला के दूसरे हिस्से में जानिए कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद को, जिनके नफ़रत भरे भाषणों ने उन दंगाइयों में कट्टरता पैदा की, जिन्होंने फरवरी 2020 के आखिरी हफ़्ते में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में क़हर बरपाया.
नई दिल्ली: 2020 की फरवरी के अंतिम हफ़्ते में चार दिन तक चली सांप्रदायिक हिंसाने 53 लोगों की जान ली. हालांकि मारे गए लोगों में लगभग तीन चौथाई मुसलमान थे और सबसे ज़्यादा आर्थिक हानि मुसलमानों ने झेली, भाजपा नेता इस हिंसा को ‘हिंदू विरोधी दंगे’ के रूप में याद करते हैं.
दिल्ली पुलिस ने सीएए विरोधी प्रदर्शनों में शामिल मुसलमान और प्रगतिशील एक्टिविस्टों द्वारा दंगे भड़काने की साज़िश की कपोल कल्पना गढ़कर उसकी जांच से इस लीपापोती में योगदान दिया है.
अपनी जांच के पहले भाग में हमने पुलिस द्वारा जानबूझ कर अनदेखी की गई हिंसा की असली साजिश में शामिल दो कट्टर हिंदुत्ववादी कार्यकर्ताओं- दीपक सिंह हिंदू और अंकित तिवारी, की भूमिका को दिखाया था.
आज हम यति नरसिंहानंद सरस्वती और उनके सहयोगियों की भूमिका पर रोशनी डालेंगे, जिनकी भड़काऊ बयानबाज़ी और हिंसक उकसावे ने उन दंगाइयों के मन में उग्रता का बीज बोने में एक अहम योगदान दिया, जिन्होंने फरवरी में हुए जनसंहार में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था.
अब यह स्पष्ट है कि दंगों से ठीक पहले मुसलमानों के खिलाफ हिंसा के लिए किया जा रहा भड़कावा, असली साजिश की एक अनिवार्य कड़ी थी, जिसे खुले में अंजाम दिया गया क्योंकि उन्हें पता था कि पुलिस उन्हें कभी नहीं छुएगी.
गाज़ियाबाद का कट्टर गॉडमैन
यति नरसिंहनंद एक कट्टर हिंदुत्ववादी नेता हैं जिनका मुख्यालय गाजियाबाद के डासना में है, जहां उत्तर प्रदेश दिल्ली से मिलता है. पिछले कुछ सालों में दिल्ली और उसके आस पास के हिंदुत्व नेटवर्क में उनका प्रभाव तेजी से बढ़ा है.
इसके दो कारण हैं. पहला, कपिल मिश्रा जैसे भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ उनका जुड़ाव. और दूसरा मुसलमानों के बारे में वैसी घृणा फैलाने के कारण जो आमतौर पर अन्य दक्षिणपंथी नेता खुलकर नहीं कर पाते.
उदाहरण के लिए, दिल्ली के दंगों से दो महीने पहले, नरसिंहानंद ने मुसलमानों को राक्षसों के रूप में वर्णित किया– ‘जिन्हें हम अपने वर्तमान युग में मुसलमान कहते हैं, उन्हें पहले के युग में राक्षस कहा जाता था!’
नरसिंहानंद, गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के बहुत बड़े प्रशंसक भी हैं. ‘हमारे पास नाथूराम गोडसे जी की प्रशंसा करने के लिए शब्द नहीं हैं. मैं वीर सावरकर जी और नाथूराम गोडसे जी को अपना सबसे बड़ा हीरो मानता हूं.’
नरसिंहानंद ने मुसलमानों के खिलाफ हिंसा के लिए भड़कावा वास्तव में सीएए और उसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन से पहले भी किया है. अक्टूबर 2019 में एक कट्टर हिंदुत्ववादी नेता कमलेश तिवारी की लखनऊ में हत्या के बाद यति ने सभी मुसलमानों को हिंसा की धमकी दी और कहा कि वह भारत से इस्लाम को खत्म कर देंगे:
‘दुनिया के सभी मुसलमान खुशी मना रहे हैं … इसका कारण है आज हिंदुओं का शेर गया है, मातम हमारे घरों में है. मैं उन एक-एक ह***** को बताना चाहता हूं, नरसिंहानंद सरस्वती, किसी सरकार के बूते पर नहीं, किसी पुलिस के बूते पर नही, परशुराम का बेटा अपने बूते पर, अपने हथियारों के बूते मुसलमानों को बता रहा हूं, कि जो मातम हमारे घर में हैं, अगर तुम्हारे घर में नहीं आया, तो अपने बाप का **** नहीं और अपने गुरु का चेला नहीं. जब तक ज़िंदा हूं हथियार बजाऊंगा… एक-एक मुसलमान को बता रहा हूं, ये देश एक दिन इस्लाम से मुक्त होगा!’
इस वीडियो में यति के साथ उनके बाएं खड़े दो लोगों पर ध्यान दीजिए. सफेद कुर्ते और मूंछों में यति की बाईं ओर खड़े व्यक्ति हिंदू रक्षा दल के नेता पिंकी चौधरी हैं. जनवरी 2020 में उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों पर हुए एक हिंसक हमले की जिम्मेदारी ली थी.
और ग्रे शर्ट और भगवा गमछा लिए हुए व्यक्ति- हिंदूवादी नेता दीपक सिंह हिंदू हैं, जिन्होंने 23 फरवरी, 2020 की सुबह एक भड़काऊ वीडियो में उस दिन दिल्ली में मौजपुर चौक पर- जहां से दंगा भड़का- 2:30 बजे भीड़ को बुलाया था.
उपरोक्त कथन के छह हफ्ते बाद 4 दिसंबर, 2019 को एक भाषण में यति ने ‘मुसलमानों से लड़ने की इच्छाशक्ति खो चुके हिंदुओं’ के अपने पसंदीदा विषय पर खेद जताया. उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि कुछ समय दंगे नहीं हो रहे हैं और इसके लिए हिंदुओं को हथियारबंद होकर सड़कों पर उतरने की की विफलता को दोष दिया:
‘आज हमारे बहुत सारे हिंदू हैं जो मुझे याद दिलाते हैं, महाराज देखो कोई दंगा नहीं हो रहा है. दंगा क्यों नहीं हो रहा? इसलिए नहीं हो रहा क्योंकि जिन बातों पर हिंदू सड़क पर उतर जाता था, हथियार उठा लेता था, आज को कोई भी हिंदू उन बातों पर बोलने का साहस नहीं करता. कोई भी हिंदू साहस नहीं कर पा रहा.
मुझे नहीं पता हमारे संगठन किस काम के संगठन हैं, चाहे कोई छोटा संगठन हो या फिर कोई बड़ा संगठन, अगर हम अपने भाइयों के लिए लड़ नहीं सकते और लड़ना छोड़िए बोल नहीं सकते! भारत में शायद ही कोई ऐसा दिन होता हो जब कोई मुसलमान किसी हिंदू की गर्दन न काट देता हो.’
फरवरी 2020 के दंगों से पहले के हफ़्ते और महीनों में दिल्ली और उसके बाहर यति के सार्वजनिक बयानों का उद्देश्य स्पष्ट रूप से हिंदुओं की इस कमजोरी को मिटाना था. और उनका घोषित उद्देश्य हिंदुओं को हथियारों के साथ सड़कों पर लाना था ताकि एक दंगा हो जिसमें मुसलमानों को सबक सिखाया जाए.
नरसिंहानंद द्वारा प्रचारित नफरत को बढ़ाने में उनका सोशल मीडिया और वीडियो का सफल इस्तेमाल करना है. वे न्यूज़ नेशन, सुदर्शन टीवी और आजतक जैसे प्रमुख हिंदी समाचार चैनलों के पैनल में एक नियमित स्टूडियो कमेंटेटर बने हैं और सोशल मीडिया पर कई कट्टर हिंदुत्ववादी चैनलों के लिए एक महान नायक हैं, जो सुनिश्चित करते हैं कि उनकी मुस्लिम विरोधी हिंसा का भड़कावा लाखों लोगों तक पहुंचे.
दिसंबर 2019 और फिर जनवरी-फरवरी 2020 में उनके भाषण आसानी से अभद्र और भड़काऊ भाषण की श्रेणी में आते हैं. लेकिन अगर इन्हें मुसलमान विरोधी हिंसा की पृष्ठभूमि में देखा जाए, जो अंततः फरवरी में हुई. यह तो स्पष्ट है कि उनके भाषण सैकड़ों और हजारों लोगों को हिंसा करने, कट्टरपंथी बनाने और फिर हिंसा के लिए जुटाने में महत्त्वपूर्ण थे, इसलिए यह अजीब है कि पुलिस दंगों में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में यति नरसिंहानंद सरस्वती की जांच नहीं कर रही है.
हम जानते हैं कि दंगों की शुरुआत जाफराबाद में सीएए का विरोध करने वालों पर हमले से हुई थी और फिर वह तीन दिनों तक चलने वाले उत्तर-पूर्वी दिल्ली में मुसलमान जीवन और संपत्ति पर शातिर हमलों में बदल गए.
14 दिसंबर, 2019 को सीएए के खिलाफ मुस्लिम महिलाओं द्वारा शाहीन बाग विरोध के मद्देनजर नए नागरिकता कानून के समर्थन में आयोजित बैठकों और प्रदर्शनों में यति की सक्रिय भागीदारी थी. इन प्रदर्शनों का उद्देश्य मुस्लिम प्रदर्शनकारियों का उपहास करना था, उन्हें हिंदुओं के दुश्मन के रूप में प्रदर्शित करना और उनके विरोध को जबरन हिंसा और बल से समाप्त करने की दिशा में काम करना था.
और वीडियो रिकॉर्ड्स से पता चलता है कि हिंसा के आह्वान वाली उनकी बयानबाजी कैसे धीरे-धीरे, दिसंबर 2019 से 22 फरवरी 2020 तक, हिंसा शुरू होने से एक दिन पहले- जनसंहार के खुले भड़कावे में बदल गई.
अगर दिल्ली पुलिस चाहती, तो आसानी से यति के खिलाफ वीडियो सबूतों का एक पूरा चिट्ठा इकट्ठा कर सकती थी, जो नागरिकता कानून विरोधी कार्यकर्ताओं के आधिकारिक चार्जशीट में दर्ज किए गए तमाम कथित विवादित भाषणों से कहीं ज्यादा भड़काऊ थे.
उमर खालिद और अन्य लोगों के मामले में पुलिस ने हिंसा की वकालत करता हुआ कोई भाषण नहीं पाया है, न ही खुलेआम किसी धर्म के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण और न ही हिंसा में शामिल किसी भी व्यक्ति के साथ उनके जुड़े होने का कोई सबूत मिला है.
यति नरसिंहानंद इन सारे पैमानों पर खरे उतरते हैं. फिर भी उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया गया है.
जहरीले भाषणों से भरा समय
अगर खुफिया एजेंसियां सीएए समर्थक प्रदर्शनकारियों की भड़काऊ और हिंसक बयानबाजी पर नजर रख रही होती, तो हो सकता था कि हिंसा होती ही नहीं. मगर पुलिस ने इस नफरत और हिंसा के प्रचार पर, जो महीनों से खुलेआम सड़कों पर और सोशल मीडिया पर हो रहा था, आंखें मूंद लीं.
22 दिसंबर 2019 को यति ने दिल्ली के जंतर मंतर से कहा:
‘यह कानून मुसलमानों के खिलाफ नहीं है. यह गद्दारों और देशद्रोहियों के खिलाफ़ है. उन्हें लगा था कि वह अपनी जनसंख्या बढ़ा लेंगे और इस देश को कब्जा लेंगे लेकिन मोदी जी और अमित शाह जी ने यह कानून लाकर उनके इस सपने को तोड़ दिया है.’
25 दिसंबर 2019 को कट्टर हिंदुत्ववादी संगठन विश्व सनातन संघ के संस्थापक उपदेश राणा द्वारा जंतर-मंतर पर सीएए के समर्थन में एक रैली का आयोजन किया गया था. यति नरसिंहानंद सरस्वती वहां एक स्टार वक्ता थे.
अब तक उनकी भड़काऊ बयानबाजी पहले से कई पायदान ऊपर चढ़ चुकी थी. अमित शाह ने जोर देकर कहा कि सीएए का भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है लेकिन यति के लिए सीएए भारतीय मुसलमानों की आबादी को नियंत्रित करने की दिशा में पहला कदम था और जंतर मंतर पर उन्होंने पहली बार यह भी कहा कि सीएए का विरोध कर रहे मुसलमानों को सबक सिखाने के लिए हिंदुओं को सड़कों पर आना होगा:
‘सभी बच्चों से केवल इतना अनुरोध है कि यह जो मुसलमान इतने ज्यादा निकल-निकलकर आ रहे हैं इन्हें पता होना चाहिए कि जिस दिन हम निकलेंगे, इनका क्या हाल होगा. और मैं मोदी जी से और अमित शाह जी से कहना चाहता हूं, चिंता मत करिए हम सब लोग आपके साथ हैं. आपने सीएए करा, अब एनआरसी कीजिए और उसके बाद इन कटुओं की जनसंख्या पर रोक लगाइए. अगर यह सुअर ज्यादा बढ़ेंगे तो गंदगी करेंगे, इस देश को गंदगी से बचाने के लिए, इनकी जनसंख्या को रोकने के लिए कानून लाइए, हम सब आपके साथ हैं.’
नरसिंहानंद बार बार जंतर-मंतर के अपने इस मंच से मुसलमानों के लिए सरेआम सुअर और कटुए जैसे अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हैं और यहां तक कि उनकी आंखे फोड़ देने की धमकी देते हैं:
‘और आप सब धर्म योद्धा, धर्म के लिए लड़ने वाला एक एक शेर सवा लाख सुअरों पर भारी पड़ेगा. और अगर वो यह सपना देख रहे हैं कि यह इस देश को कब्जा लेंगे, तो इनको बता दें कि उनकी आंखें फोड़ दी जाएंगी.’
इस दौरान नरसिंहानंद की बयानबाजी इस विचार से प्रेरित है कि एक अंतिम लड़ाई करीब है और अपने दुश्मनों का अंतिम समाधान ज़रूरी है. वह दंगों से आठ सप्ताह पहले 25 दिसंबर, 2019 को कहते हैं:
‘एक बार फिर हिंदुओं से अपील कर रहा हूं, आज वह समय आ गया है, अगर आज भी हम खड़े नहीं होते हैं तो हम जीवित नहीं रहेंगे. मैं हिंदुओं को बताना चाहता हूं कि यह अंतिम लड़ाई है, अगर यह लड़ाई हार गए तो कुछ नहीं रहेगा.
हालांकि, यति नरसिंहानंद के पास उस दिन कहने के लिए बहुत कुछ था. अपने भड़काऊ भाषण को खत्म करने के बाद उन्होंने कई हिंदुत्ववादी चैनलों को साक्षात्कार दिए, जहां उन्होंने अपनी ज़हरीली बयानबाजी जारी रखी. इनमें से एक चैनल ‘हिंदू पब्लिशर’ के एक रिपोर्टर ने यति से उन लोगों पर बोलने को कहा जो सीएए का विरोध कर रहे थे और उसके अनुसार ‘देश को जलाने’ का प्रयास कर रहे थे.
‘वो लोग देश के दुश्मन हैं, उन्हें जेल में डाल देना चाहिए. और अगर वे जेल जाने के बाद भी नहीं सुधरते हैं, तो उन्हें फांसी की सजा दी जानी चाहिए.’
‘हिंदू पब्लिशर’ चैनल के रिपोर्टर ने यति से पूछा कि ये लोग कौन हैं जो भारत को बांग्लादेश और पाकिस्तान से मुस्लिम शरणार्थियों के लिए अपने दरवाजे खोलना चाहते हैं. नरसिंहानंद का जवाब चौंकाने वाला है- यति भारत के मुसलमानों को जिहादियों के रूप में वर्णित करते हैं जो हिंदुओं और भारत को नष्ट करने के लिए बाहर सड़कों पर निकले हैं और कहते हैं कि ऐसे लोगों को उनकी जड़ों से खत्म करना, हिंदुओं का मूल धार्मिक कर्तव्य होना चाहिए.
‘वो जिहादी हैं जो इस देश में गंदगी फैलाना चाहते हैं, वो जिहादी हैं जो देश को बर्बाद करना चाहते हैं वो जिहादी हैं जो हमारी संपत्ति हड़पना चाहते हैं, वो जिहादी हैं जो हम सब का कत्ल करना चाहते हैं, वो जिहादी हैं जो हमारी बहन-बेटियों की फिर से मंडिया लगाना चाहते हैं, ऐसे लोगों को जड़ से खत्म करना हमारा प्रमुख धार्मिक कर्तव्य होना चाहिए.
नरसिंहानंद सीएए से जुड़ी वह बात कहने के लिए तैयार थे जो कि मोदी सरकार के पैरोकार अनकहा छोड़ना चाहते थे- कि सीएए हिंदुत्व समूहों के लिए विभाजन के उनके अधूरे एजेंडा- भारत से सभी मुसलमानों का निष्कासन– का एक अनिवार्य हिस्सा था.
यति: बंटवारा करने के बाद भी गांधी और नेहरू जैसे जिहादियों ने इन्हें यहां रोक लिया, यह इस देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है.
प्रश्न: मगर महाराज जी यह लोग तो कह रहे हैं कि अपनी मर्जी से यहां रुक गए थे.
यति: नहीं नहीं, इनकी कोई चॉइस नहीं होती यह तो हमारी कमजोरी थी हमें यहां से भगाना चाहिए था. हिंदुओं को यह समझना होगा कि वो सब जिहादी हैं. उन्हें खत्म करना ही होगा. यही देशभक्ति है, यही धर्म है.
यदि उनके भाषण के जनसंहारात्मक संदेश के बारे में अभी भी किसी को कोई संदेह है, तो यति के ख़बर इंडिया समाचार चैनल को दिए गए इंटरव्यू को सुनें. उन्होंने कहा कि भारत को अपने मुसलमानों से निपटने में चीन के उदाहरण का पालन करना होगा. उनका राष्ट्रपति इस्लाम को एक मानसिक बीमारी के रूप में देखता है (चीनी राष्ट्रपति ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है):
यति: सारी दुनिया ने देखा है कि चीन मुसलमानों के साथ क्या कर रहा है. चीन के राष्ट्रपति ने कहा है कि इस्लाम एक मानसिक बीमारी है (चीनी राष्ट्रपति ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है) और अपने देश को इस बीमारी का शिकार नहीं होने दिया.
प्रश्न: तो हम अपने देश को कैसे बचाए?
यति: हमारा देश चीन के पैटर्न का पालन करके खुद को बचा सकता है. कोई और रास्ता नहीं है.
धर्म संसद में मुसलमानों के विरुद्ध भड़काई गई थी हिंसा
जंतर मंतर आयोजनों के बाद यति नरसिंहानंद हिंदू युवाओं को भड़काने के एक अधिक गहन कार्यक्रम के लिए अपनी ऊर्जा जुटाने लगे.
29 दिसंबर को उन्होंने एक महत्वपूर्ण अपील के लिए एक वीडियो बनाया, जिसमें उन्होंने ‘हिंदू शेरों’ को एक महत्वपूर्ण दो दिवसीय धर्म संसद के लिए गाजियाबाद में अपने मुख्यालय बुलाया. उन्होंने कहा, ‘अगर आप मेरी मदद नहीं करेंगे तो कुछ नहीं होगा.’
‘मैं सभी हिंदू युवाओं से जहां भी मेरी आवाज पहुंच रही है, यह अपील करता हूं कि आप 2 दिन की गाजियाबाद धर्म संसद में 12 और 13 जनवरी को जरूर आएं. यह मेरा अनुरोध है. मेरे बच्चों, मेरे शेरों कुछ नहीं होगा अगर आप मेरी मदद नहीं करेंगे.’
यह धर्म संसद, या धार्मिक सभा 12 और 13 जनवरी 2020 को आयोजित की गई थी और इसमें हिंदुत्व के विचारकों द्वारा कई भड़काऊ भाषण दिए गए थे.
‘सत्य सनातन’ यूट्यूब चैनल द्वारा 16 जनवरी 2020 को पोस्ट किए गए एक वीडियो में यति, अंकुर आर्य और यति मांचेतना सरस्वती को दिखाया गया है, जो इस धर्म संसद के मुख्य प्रस्तावों और संदेश पर बोलते हैं.
नरसिंहानंद ने कहा कि एक निर्णय यह है कि हिंदुओं को पुलिस और सेना पर निर्भर नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें अपनी मर्दानगी पर जोर देना चाहिए और अपनी सुरक्षा के लिए खुद काम करना चाहिए. प्रत्येक हिंदू को अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए और हर हिंदू घर में हथियार होना चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि धर्मसंसद ने डोनाल्ड ट्रंप को सम्मानित करने का संकल्प लिया क्योंकि वह अपने घरों में आतंकवादियों को मारने पर विश्वास करता है:
‘हमारी धर्म संसद ने यह तय किया है कि हम डोनाल्ड ट्रंप का सम्मान करेंगे और उन्हें अगली धर्म संसद का न्योता देंगे. जिस तरह से वह जिहादियों को उनके घर में घुसकर मार रहे हैं यह पूरी दुनिया देख रही है और हम ट्रंप को अपना हीरो मानते हैं.’
क्या यह ट्रंप का जिक्र उस अंतिम युद्ध के समय के बारे में एक छिपा हुआ संदेश था जिसकी बात यति नरसिंहानंद दिसंबर 2019 से कर रहे थे? क्या यह सिर्फ एक संयोग था कि नरसिंहानंद के विचारों से कट्टर बने हिंदुत्व के कार्यकर्ताओं ने अपने नायक ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान मुसलमानों को उनके घरों में घुस निशाना बनाकर उनका सम्मान किया?
यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब केवल दिल्ली पुलिस दे सकती थी अगर उसने असली साजिश की जांच की होती.
कत्ल का खुला आह्वान
दिल्ली दंगों के कालक्रम में यति की धर्मसंसद एक बड़ी ही महत्वपूर्ण घटना के रूप में प्रकट होती है, क्योंकि इसका असली संदेश इसमें शामिल होने वाले सैकड़ों हिंदू युवाओं को यह बताना था कि उनके असली दुश्मन मुसलमान हैं और इस दुश्मन को मारना हैं.
सत्य सनातन चैनल चलाने वाले अंकुर आर्य ने इस संदेश के पहले भाग को बहुत सीधे तौर पर समझाया: (8.00 मिनट से)
‘गुरु गोविंद सिंह साहब ने एक बार यह बात कही थी कि सवा लाख से एक लड़ाऊं, तब से हम एक ही बात सोच रहे हैं कि पता नहीं यह सवा लाख कौन होंगे! लेकिन यति नरसिंहानंद सरस्वती जी ने स्पष्ट शब्दों में बताया कि वह सवा लाख कौन हैं, वह सवा लाख कौन जिहादी हैं, वह सवा लाख कौन विधर्मी हैं.
हम हमेशा जज्जे में ही रहते थे. यहां आकर हमें पता चला कि धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो. अधर्म के विषय में कोई नहीं बताता था. बहुत बड़ी-बड़ी धर्म संसद हुईं लेकिन कोई नहीं बताता था कि अधर्म है क्या!
स्वामी जी ने स्पष्ट तौर पर, स्पष्ट शब्दों में बताया कि अधर्म क्या है. यहां से बच्चों में स्पष्टता आएगी. शब्दों की जालसाजी जब खेली जाती है तब बच्चों को पता नहीं चलता कि वह कौन सवा लाख हैं जिनको गुरु साहब ने उस समय पर उनके साथ लड़ने और उनको काटने की बात कही थी.
फिर यति ने अपनी करीबी सहयोगी यति मां चेतना सरस्वती को अंतिम टिप्पणी करने के लिए माइक दिया. और उन्होंने जो कहा वह बहुत सारे शब्दों में हत्या के लिए एक खुला संदेश था: (15:21 से)
आज यहां नरसिंहानंद सरस्वती जी, जो हम सब के गुरु हैं, उनके माध्यम से भी यही संदेश है कि अब शस्त्र धारणकर शत्रु का संहार करने का समय आ गया है, क्योंकि नर पिशाचों का काल आप तभी बन सकते हैं जब आपके पास शस्त्र हों और आपके पास धर्म को धारण करने का सामर्थ्य हो.
तो मेरा निवेदन है कि जिन लोगों तक यह बात पहुंच रही है वह इस बात को ध्यान से सुने और समझे कि आज उनसे समय क्या मांग रहा है और उनको क्या मोल चुकाना है.
इन धमकी भरे संदेशों के प्रसारित होने के एक महीने बाद उत्तर-पूर्वी दिल्ली की सड़कों पर ‘संहार’ हुआ. और उन युवा शेरों को इस बारे में कोई शक नहीं था कि कौन हैं वो लोग जिनसे युद्ध करने को कहा कहा गया था, जिन्हें काटने को कहा गया था, और जिनकी आंखें फोड़ दी जाएंगी.
‘मुसलमानों को जीने का अधिकार नहीं है’
मगर नरसिंहानंद ने 22 फरवरी 2020 को एक अंतिम जनसंहारक आह्वान किया, जो मुस्लिम विरोधी हिंसा शुरू होने से एक दिन पहले था – जहां उन्होंने कहा कि मुसलमानों को जीने का कोई अधिकार नहीं है. उनसे एक अन्य हिंदुत्ववादी चैनल के रिपोर्टर ने पूछा था कि क्या उनका मानना है कि मुसलमानों के साथ ‘जियो और जीने दो’ हो सकता है. (6:00 ‘से)
‘अच्छे लोग जिएं और अच्छे लोगों को जीने दें, लेकिन जो हमारे शत्रु हैं, जो हमारे धर्म के शत्रु हैं, जो हमें मिटाना चाहते हैं, जब तक हम उन्हें खत्म नहीं करेंगे… यह जो इस्लाम जैसी गंदगी है इसे समाज से मिटाएंगे नहीं तब तक हम बचेंगे कैसे? जियो और जीने दो सिर्फ सभ्य लोगों के साथ हो सकता है. यह असभ्य लुटेरों के साथ नहीं हो सकता, यह आतंकवादियों के साथ नहीं हो सकता यह जिहादियों के साथ नहीं हो सकता!
…लेकिन उन लोगों को जीने का कोई अधिकार नहीं है जिनका केवल एक ही उद्देश्य है हमारे बच्चों को मारना ऐसे लोगों को जीने का अधिकार नहीं दिया जा सकता!’
हालांकि सांप्रदायिक हिंसा को उकसाना अपने आप में ही एक अपराध है, यह देखने के लिए एक उचित पुलिस जांच की आवश्यकता है कि क्या यति नरसिंहानंद सरस्वती ने हत्याओं में कोई प्रत्यक्ष भूमिका निभाई थी, जो उनके आह्वान के बाद हुईं.
– हम जानते हैं कि उनके करीबी सहयोगी, हिंदू रक्षा दल के नेता पिंकी चौधरी ने जेएनयू पर एक सशस्त्र भीड़ हमले की जिम्मेदारी ली थी.
– हम जानते हैं कि यति के करीबी और हिंदू फोर्स के दीपक सिंह हिंदू ने 23 फरवरी, 2020 की सुबह उत्तर पूर्वी दिल्ली के मौजपुर चौक पर भीड़ जुटाने के लिए फेसबुक पर वीडियो के जरिये अपने समर्थकों को जुटने का आह्वान किया था. इसी दिन भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने इसी जगह अपना कुख्यात भाषण दिया था.
– हम यह भी जानते हैं कि कम से कम एक दंगाई- आरएसएस कार्यकर्ता अंकित तिवारी, जिसे हमने अपनी जांच के पहले भाग में दिखाया था – उसने नरसिंहानंद के कार्यक्रमों में भाग लिया था. वह 25 दिसंबर, 2019 को जंतर-मंतर पर हुए कार्यक्रम में भी उपस्थित था, जिसमें यति ने मुसलमानों के खिलाफ हिंसा का खुला आह्वान किया था. अंकित तिवारी ने अपने फेसबुक पेज पर उसी भाषण का एक वीडियो पोस्ट किया था.
हमारे खुलासे के पहले भाग के बाद से तिवारी ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स को डीएक्टिवेट कर दिया है, लेकिन हमने उसके सभी वीडियो सेव कर लिए हैं, अगर पुलिस कभी उसकी जांच करने का फैसला करती है.
हमने अपनी जांच में जो कालक्रम स्थापित किया है, उससे यह स्पष्ट होता है कि वास्तव में दिसंबर 2019 की शुरुआत से ही हिंसा करने की साजिश हो रही थी, और यह कि अगले दो महीनों में इसकी जमीन तैयार की गई. आखिर में फरवरी के अंतिम हफ्ते में भीषण हिंसा हुई, जिसने 53 लोगों की जान ले ली. अफसोस की बात है कि यह साजिश दिल्ली पुलिस को नहीं दिखती है.
हमारी श्रृंखला के तीसरे भाग में हम रागिनी तिवारी और उनके जैसे अन्य हिंदुत्ववादी कार्यकर्ताओं की भूमिका को देखेंगे और यह जानेंगे कि राजधानी दिल्ली में वे भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार के व्यापक राजनीतिक एजेंडा, फरवरी 2020 के दंगे जिसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, में कैसे फिट होते हैं.
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