भारतीय मजदूर संघ ने नीति आयोग के उन निष्कर्षों को आधारहीन बताया है कि श्रम कानूनों में संशोधन के बिना विकास और रोज़गार संभव नहीं है.
नयी दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय मजदूर संघ ने नीति आयोग और आईडीएफसी इंस्टीट्यूट के उन निष्कर्षों को आधारहीन बताया है जिनमें कहा गया है कि श्रम कानूनों में संशोधन के बिना औद्योगिक प्रगति और रोजगार सृजन संभव नहीं है.
संघ ने कहा है कि आर्थिक नीति पर टुकड़ों टुकड़ों में विचार करने की प्रक्रिया छोड़कर समग्र आर्थिक नीति का एकमुश्त आंकलन एवं निर्धारण किया जाए.
भारतीय मजदूर संघ के महामंत्री विरजेश उपाध्याय ने अपने बयान में कहा है कि भारतीय मजदूर संघ ने नीति आयोग और आईडीएफसी इंस्टीट्यूट के इस निष्कर्ष को आधारहीन तथ्य बताया है जिसमें कहा गया है कि श्रम कानूनों में संशोधन के बिना औद्योगिक प्रगति और रोजगार सृजन संभव नहीं है.
उन्होंने कहा कि भारतीय मजदूर संघ ऐसे अध्ययनों को वास्तविकता से परे मानता है. अतीत में भी बहुत सारी ऐसी संस्थाओं और तथाकथित विशेषज्ञों ने अध्ययन करके ऐसे निष्कर्ष निकाले हैं.
उपाध्याय ने कहा कि सामान्यतया ऐसे अध्ययन प्रायोजित होते हैं और इनके निष्कर्ष पूर्व नियोजित होते हैं. ऐसी रिपोर्टों और अध्ययनों के माध्यम से देश एवं समाज में एक ऐसा वातावरण बनाने का प्रयास हो रहा है कि श्रमिक एवं श्रम कानून औद्योगिक विकास एवं रोजगार सृजन में सबसे बड़ी बाधा हैं और इन बातों को स्थापित करने के प्रयास भी हो रहे हैं.
संघ ने कहा है कि ऐसे अध्ययनों के निहतार्थ वास्तविकता से कोसों दूर हैं और दुनिया के जिन देशों और भारत के जिन प्रदेशों में श्रम कानून बदल दिया गया, वहां के परिणाम इन कथित शोधकर्ताओं के निष्कर्ष से बिल्कुल उलट हैं. पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी और औद्योगिक प्रगति में ठहराव एवं बड़े पैमाने पर बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो गई है.
भारतीय मजदूर संघ के पदाधिकारी ने कहा कि भारतीय मजदूर संघ ऐसे प्रायोजित अध्ययनों एवं निष्कर्षों की कड़े शब्दों में निंदा करता है और आगाह करता है कि ऐसे सभी शोध एवं अध्ययनों में वास्तविक धरातल से जोड़कर निष्कर्ष निकालने का प्रयास किया जाए.
बयान में कहा गया है कि भारतीय मजदूर संघ नीति आयोग सहित सरकार की अन्य समस्त नीति निर्णायक संस्थाओं से आग्रह करता है कि आर्थिक नीतियों पर टुकड़ों टुकड़ों में विचार करने की प्रक्रिया का परित्याग किया जाए और समग्र आर्थिक नीति का एकमुश्त आंकलन एवं नीति निर्धारण किया जाए, तभी बेरोजगारी एवं औद्योगिक प्रगति सहित अन्य समस्त मुद्दों पर ठीक नीति तैयार हो सकती है.