रामजस विवाद: ‘अप्रामाणिक वीडियो के आधार पर देशद्रोह का आरोप नहीं लगाया जा सकता’

अदालत ने कहा, अगर आइसा और एबीवीपी के बीच फिर से झड़प होती है, क्या इसे देशद्रोह कहा जाएगा. वॉट्सऐप पर सामग्री से छेड़छाड़ वाले कई वीडियो चल रहे हैं.

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(रामजस कॉलेज में इस साल फरवरी में एक सेमिनार को लेकर हिंसक झड़प हो गई थी. इसके बाद छात्रों ने कई दिनों तक प्रदर्शन किया था. (फोटो: पीटीआई)

अदालत ने कहा, अगर आइसा और एबीवीपी के बीच फिर से झड़प होती है, क्या इसे देशद्रोह कहा जाएगा. वॉट्सऐप पर सामग्री से छेड़छाड़ वाले कई वीडियो चल रहे हैं.

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रामजस कॉलेज में इस साल एक कार्यक्रम को लेकर हुए विवाद के बाद छात्र छात्राओं ने कई दिनों तक प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज कराया था. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को कहा कि बिना सत्यापन वाले अविश्वसनीय वीडियो के आधार पर देशद्रोह के आरोप नहीं लगाए जा सकते.अदालत ने यह टिप्पणी उस समय की जब उसे यहां रामजस कॉलेज में कथित राष्ट्रविरोधी नारेबाजी के फुटेज दिखाए गए.

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अभिलाष मल्होत्रा ने इस साल 21 फरवरी को दिल्ली विश्वविद्यालय के इस कॉलेज में कथित राष्ट्रविरोधी नारेबाज़ी करने वालों के ख़िलाफ़ प्राथमिकी की मांग वाली याचिका पर दलीलें सुनते हुए कहा कि वीडियो की विश्वसनीयता पुलिस द्वारा सुनिश्चित की जाएगी.

अदालत ने शिकायतकर्ता विवेक गर्ग से कहा, वीडियो की सत्यता स्थापित नहीं हुई. इस वीडियो का स्रोत क्या है अविसनीय सामग्री के आधार पर हम देशद्रोह का आरोप कैसे लगा सकते हैं आपको वीडियो की सत्यता को लेकर भरोसा होना चाहिए.

अदालत ने कहा कि छेड़छाड़ वाले कई वीडियो चल रहे हैं जिनकी सत्यता स्थापित करने की जरूरत है. अदालत ने कहा, कल अगर आइसा और एबीवीपी के बीच फिर से झड़प होती है, क्या इसे देशद्रोह कहा जाएगा वॉट्सऐप पर सामग्री से छेड़छाड़ वाले कई वीडियो चल रहे हैं. उनके सत्यापन की ज़रूरत है.

इस याचिका में भारतीय दंड संहिता के तहत देशद्रोह, आपराधिक साज़िश, देश के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने और मानहानि के कथित अपराधों के लिए प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई है.

अदालत ने देशद्रोह को लेकर दलीलों के लिए शिकायतकर्ता को अवसर दिया और इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए पांच सितंबर की तारीख तय की.