यूपी सरकार ने ज़िलाधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी तथा ज़िला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का किया तबादला.
गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में पिछले महीने 48 घंटे के अंदर संदिग्ध परिस्थितियों में 30 बच्चों की मौत के बाद फ़र्रुख़ाबाद जिले में भी ऐसा ही मामला सामने आया है. जिला अस्पताल में पिछले एक महीने के दौरान ऑक्सीजन की कमी से 49 नवजात बच्चों की मौत के मामले में जिला मुख्य चिकित्साधिकारी समेत दो वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.
इस मामले में प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सोमवार को कड़ी कार्रवाई करते हुए जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी तथा जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का तबादला कर दिया.
इस बीच, राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि घटना को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने फ़र्रुख़ाबाद के जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी तथा जिला महिला चिकित्सालय की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को स्थानांतरित करने के निर्देश दिए हैं.
Farrukhabad: 49 children died in Ram Manohar Lohia Rajkiya Chikitsalay in a month, allegedly due to oxygen&medicines shortage, probe ordered pic.twitter.com/0SxDacZu7h
— ANI UP (@ANINewsUP) September 4, 2017
उन्होंने बताया कि इस साल 20 जुलाई से 21 अगस्त के बीच जिला महिला चिकित्सालय फ़र्रुख़ाबाद में 49 नवजात शिशुओं की मृत्यु हुई, जिनमें 19 पैदा होते ही मर गए.
मीडिया में खबर आने के बाद जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने मुख्य चिकित्साधिकारी उमाकांत पाण्डेय की अध्यक्षता में समिति बनाकर जांच करायी. समिति के निष्कर्षों से संतुष्ट न होने के बाद जिलाधिकारी ने मजिस्ट्रेट जांच करायी थी, जिसके आधार पर आरोपी चिकित्साधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है.
इस मामले में मामला दर्ज कराने वाले नगर मजिस्ट्रेट जयनेन्द्र जैन द्वारा दी गई तहरीर के मुताबिक मुख्य चिकित्साधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक द्वारा दी गयी 30 मृत बच्चों की सूची में से ज्यादातर की मौत का कारण पैरीनेटल एस्फिक्सिया बताया गया है.
तहरीर के मुताबिक मृत शिशुओं के परिजनों ने जांच अधिकारी को फोन पर बताया था कि डॉक्टरों ने बच्चों को समय पर ऑक्सीजन नहीं लगाई और न ही कोई दवा दी, जिससे स्पष्ट है कि अधिकतर शिशुओं की मृत्यु पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन न मिलने के कारण हुई.
ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति न होने पर शिशुओं की मौत की सम्भावना के बारे में अन्य डॉक्टरों को भी जानकारी रही होगी. प्रवक्ता के अनुसार स्वास्थ्य महानिदेशक ने कहा कि पैरीनेटल एस्फिक्सिया के कई कारण हो सकते हैं. मुख्यत: प्लेसेंटल रक्त प्रवाह की रुकावट भी हो सकती है. सही कारण तकनीकी जांच के माध्यम से ही स्पष्ट हो सकता है.
Case registered against CMO, CMS & some doctors. Further action will be taken as the investigation proceeds: Dayanand Mishra, SP Farrukhabad pic.twitter.com/GEMEFrTQhj
— ANI UP (@ANINewsUP) September 4, 2017
प्रवक्ता ने कहा कि शासन स्तर से टीम भेजकर जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं ताकि बच्चों की मृत्यु के वास्तविक कारणों का पता लगाया जा सके.
इस बीच, फ़र्रुख़ाबाद से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार के निर्देश पर नगर मजिस्ट्रेट जयनेन्द्र कुमार जैन तथा उपजिलाधिकारी सदर अजीत कुमार सिंह ने मौके पर जाकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी की. जांच में पाया गया कि आक्सीजन न मिल पाने और इलाज में लापरवाही के कारण बच्चों की मौत हुई थी.
नगर मजिस्ट्रेट ने रविवार को शहर कोतवाली में दी गई तहरीर में कहा कि जिलाधिकारी ने फ़र्रुख़ाबाद के डॉक्टर राम मनोहर लोहिया संयुक्त जिला अस्पताल के एनआईसीयू में पिछले छह माह में भर्ती हुए शिशुओं में से मृत बच्चों का विवरण उपलब्ध कराने के निर्देश दिये थे, लेकिन मुख्य चिकित्साधिकारी तथा मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने आदेशों की अवहेलना करते हुए समुचित सूचना उपलब्ध नहीं कराई.
#Farrukhabad CMO&CMS transferred; case had been registered against them in connection with 49 children’s death in RML Rajkiya Chikitsalay
— ANI UP (@ANINewsUP) September 4, 2017
तहरीर के मुताबिक जिलाधिकारी ने पिछली 30 अगस्त को जुलाई-अगस्त में 49 बच्चों की मौत के संबंध में भी एक टीम गठित कर प्रत्येक बच्चे की मौत के कारण सहित शिशुवार रिपोर्ट तीन दिन के अंदर देने को कहा था. इस टीम में भी मुख्य चिकित्साधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक शामिल थे. एक बार फिर आदेश का अनुपालन न करते हुए अपूर्ण तथा भ्रामक रिपोर्ट पेश की गई.
जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने बताया कि जांच रिपोर्ट के आधार पर रविवार शाम नगर मजिस्ट्रेट ने जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी तथा मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के विरुद्ध धारा 304 गैर इरादतन हत्या, 176 जानकारी छिपाने तथा 188 आदेश की अवहेलना के तहत शहर कोतवाली में मामला दर्ज कराया है.
यह घटना ऐसे वक्त सामने आयी है, जब गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में गत 10-11 अगस्त को संदिग्ध रूप से ऑक्सीजन की कमी की वजह से कम से कम 30 बच्चों की मौत का मामला गरमाया हुआ है. इस प्रकरण में मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य राजीव मिश्र समेत नौ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.