रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. कहा- सहिष्णुता भारत की ताक़त है, इसे गंवाना नहीं चाहिए.
नई दिल्ली: बेंगलुरु में एक मुखर महिला पत्रकार की हत्या को लेकर देशव्यापी नाराजगी व चिंताओं के बीच भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने गुरुवार को कहा कि भारत एक असहिष्णु समाज बनने का खतरा मोल नहीं ले सकता है क्योंकि इसकी आर्थिक वृद्धि के लिए सहिष्णुता बहुत महत्वपूर्ण है.
प्रमुख अर्थशास्त्री राजन ने एक साक्षात्कार में यह बात कही. उल्लेखनीय है कि राजन ने 2015 में भी देश में बढ़ती असहिष्णुता के बारे में बयान देकर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था. अपने बयानों का बचाव करते हुए राजन ने कहा, सार्वजनिक जीवन में प्रमुख हस्तियों को कई बार बोलना पड़ता है कि देश के लिए क्या भला है. मेरी राय में यह बोला भी जाना चाहिए.
रघुराम राजन ने 31 अक्तूबर, 2015 को आईआईटी दिल्ली में एक व्याख्यान में देश में बढ़ती असहिष्णुता संबंधी बात कही थी. इस व्याख्यान से पहले गोमांस खाने के संदेह में एक मुस्लिम को पीट पीट कर हत्या करने की घटना हुई.
अदालत ने सहिष्णुता के दायरे का विस्तार किया
उन्होंने कहा कि पत्रकार कार्यकर्ता गौरी लंकेश की हत्या दुर्भाग्यपूर्ण है. हिंदुत्ववादी नीतियों की मुखर आलोचक लंकेश की मंगलवार को बेंगलुरू में गोली मारकर हत्या कर दी गई.
राजन ने कहा, महिला पत्रकार की हत्या एक बड़ा मुद्दा बन गया है क्योंकि लोगों को लगता है कि इसकी वजह उनकी लेखनी है. मेरे विचार में अभी कुछ निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगा. मुझे लगता है कि हमें जांच होने देनी चाहिए और बिना पूरी जानकारी के किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी.
उन्होंने कहा कि निजता को मौलिक अधिकार बताने वाले उच्चतम न्यायालय के हाल ही के फैसले से कुछ तरह के व्यवहार के लिए सहिष्णुता के दायरे का विस्तार किया है.
सहिष्णुता भारत की ताकत है
राजन ने 2015 में दिए असहिष्णुता संबंधी अपने बयान का बचाव करते हुए कहा, यह भारत की सहिष्णुता की परंपरा के बारे में था जो भारत की ताकत है. इसमें भारत की ताकत पर जोर दिया गया और मुझे गर्व है कि मैंने यह भाषण युवाओं के समक्ष दिया.
राजन ने कहा कि सहिष्णुता हमारी आर्थिक वृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है विशेषकर जिस तरह की अर्थव्यवस्था हम बनना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि उनके दिमाग में हमारे समाज की वह ताकत थी जिसे हमें किसी भी सूरत में गंवाना नहीं चाहिए. राजन ने निजता को मौलिक अधिकार बताने वाले उच्चतम न्यायालय के हाल ही के फैसले को एक महत्वपूर्ण निर्णय बताया.
उल्लेखनीय है कि राजन को केंद्रीय बैंक के गवर्नर के रूप में दूसरा कार्यकाल नहीं दिया गया था.
मुझे नोटबंदी की जानकारी नहीं थी
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि उन्हें केंद्र सरकार के नोटबंदी के कदम की कोई जानकारी नहीं थी और यही कारण है कि उन्हें तो खुद नोट बदलवाने के लिए अमेरिका से भारत वापस आना पड़ा था.
अपनी किताब के सिलसिले में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने यह बात कही. उन्होंने कहा कि वे कभी भी नोटबंदी के पक्ष में नहीं रहे क्योंकि उनका मानना था कि नोटबंदी की तात्कालिक लागत इसके दीर्घकालिक फायदों पर भारी पड़ेगी.
गवर्नर पद पर राजन का तीन साल का कार्यकाल 4 सितंबर, 2016 को पूरा हो गया. सरकार ने आठ नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा की, जिसके तहत 500 व 1000 रुपये के मौजूदा नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया.
एक अन्य सवाल के जवाब में राजन ने कहा कि जीडीपी वृद्धि को बल देने के लिए भारत को तीन क्षेत्रों बुनियादी ढांचा, बिजली व निर्यात पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.