सभी केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के सचिवों को भेजे पत्र में कैबिनेट सचिव राजीव गाबा ने कहा कि लाल क़िले पर स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण समारोह की अपनी महत्ता है और समारोह के लिए आमंत्रित अधिकारियों से इसमें भाग लेने की उम्मीद की जाती है. अगर वे समारोह में शामिल नहीं हुए तो इसे ‘गंभीरता’ से लिया जाएगा.
नई दिल्ली: कैबिनेट सचिव राजीव गाबा ने लाल किले में स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए आमंत्रित अधिकारियों को आगाह किया कि अगर वे समारोह में शामिल नहीं हुए तो इसे ‘गंभीरता’ से लिया जाएगा.
सभी केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के सचिवों को भेजे पत्र में गाबा ने कहा कि लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण समारोह की अपनी महत्ता है और समारोह के लिए आमंत्रित अधिकारियों से इसमें भाग लेने की उम्मीद की जाती है. लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित भी करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘ऐसा देखा गया कि कुछ आमंत्रित अधिकारी समारोह में शामिल नहीं हुए. इस अवसर की बड़ी राष्ट्रीय महत्ता होने पर विचार करते हुए यह अनुचित है. अधिकारियों को साफ तौर पर यह याद दिलाने की आवश्यकता है कि स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होना उनका कर्तव्य है.’
गाबा ने अपने पत्र में यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण सामाजिक दूरी की आवश्यकता को देखते हुए केवल संयुक्त सचिव और उससे ऊपर के पद के अधिकारियों को ही इस साल समारोह में आमंत्रित किया गया है.
उन्होंने सचिवों से कहा, ‘आप स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए आमंत्रित अपने मंत्रालय/विभाग के सभी अधिकारियों को समारोह में भाग लेने की सलाह दे सकते हैं. आप उन्हें आगाह भी कर सकते हैं कि इस अवसर पर उनकी अनुपस्थिति को गंभीरता से लिया जाएगा.’
मालूम हो कि कैबिनेट सचिव राजीव गाबा को सरकार ने हाल ही में एक साल का सेवा विस्तार दिया है.
पूर्व केंद्रीय गृह सचिव गाबा को साल 2019 में दो साल के लिए देश का शीर्ष नौकरशाह नियुक्त किया गया था. बीते शनिवार देर रात जारी आदेश में कहा गया है कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने झारखंड कैडर के 1982 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी (आईएएस) गाबा को 30 अगस्त के बाद एक साल की अवधि के लिए कैबिनेट सचिव के रूप में सेवा विस्तार देने को मंजूरी दी है.
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम बनाने में गाबा की अहम भूमिका मानी जाती है, जिसके अनुसार संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत तत्कालीन राज्य को दिए गए विशेष दर्जे को खत्म कर जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया था. उन्होंने केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय में सचिव और गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के रूप में भी सेवाएं दी हैं.