सांसदों को अपना वेतन खुद से बढ़ाने का अधिकार नहीं होना चाहिए: वरुण गांधी

भाजपा सांसद ने कहा, सांसदों का वेतन पांच वर्षों में चार गुना बढ़ गया, जबकि संसद में कार्यदिवस घटकर 60 दिन पर आ गया है, 1952-72 के बीच यह 130 दिन था.

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वरुण गांधी. (फोटो: पीटीआई)

भाजपा सांसद ने कहा, सांसदों का वेतन पांच वर्षों में चार गुना बढ़ गया, जबकि संसद में कार्यदिवस घटकर 60 दिन पर आ गया है, 1952-72 के बीच यह 130 दिन था.

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पटना में शनिवार को आयोजित पार्लियामेंटेरियन कॉन्क्लेव में वरुण गांधी. (फोटो: पीटीआई)

पटना: भाजपा सांसद वरुण गांधी ने कहा है कि सांसदों का वेतन पिछले पांच वर्षों में चार गुणा बढ़ चुका है जबकि संसद में कार्यदिवस घटकर एक वर्ष में 60 दिनों पर आ गया है जो कि 1952-72 के बीच की अवधि में 130 दिन था.

उन्होंने शनिवार को कहा कि वह सांसदों के वेतन में बढ़ोत्तरी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उन्हें स्वयं अपना वेतन बढ़ाने का अधिकार नहीं होना चाहिए.

पटना के ज्ञान भवन में आयोजित पार्लियामेंटेरियन कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए वरुण ने कहा, वह सांसदों के वेतन में बढ़ोत्तरी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन अपना वेतन स्वयं बढ़ाए जाने का अधिकार नहीं होना चाहिए. चाहे वकील या अन्य वर्ग हो, हमने किसी को स्वयं अपना वेतन बढ़ाते नहीं देखा है.

उन्होंने कहा कि 1952-72 के दौरान संसद का कार्यदिवस एक साल में 130 दिन था जो पिछले 15 वर्षों में 60 हो गया. पिछले दस सालों के दौरान 51 प्रतिशत बिल बिना बहस के पास हो गया.

उन्होंने कहा, मैं चाहता हूं कि संसद भवन नीति का केंद्र बने. केवल राजनीति का अखाड़ा नहीं बने. ओडिशा सरकार के अपनी विधानसभा में एक साल में कम से कम 110 दिनों के कार्यदिवस के आदेश के साथ आने की तारीफ करते हुए वरुण ने कहा कि बिहार सरकार को भी इसका अनुसरण करना चाहिए.

उन्होंने जनप्रतिनिधियों को सदन में अपनी बात रखने के अधिकार की वकालत करते हुए कहा कि 90 प्रतिशत मामले में पार्टी व्हिप उन्हें ऐसा करने से रोकती है. भाजपा सांसद ने कहा कि हर मुद्दे पर पार्टी व्हिप जारी नहीं किया जाना चाहिए. 50 प्रतिशत मामलों में पार्टी को व्हिप नहीं जारी करना चाहिए.

ई-पेटिशन प्रणाली की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा भारत में भी अपनाया जाना चाहिए. वर्तमान में ई-पेटीशन प्रणाली इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड जैसे देशों में लागू है.

वरुण ने ई-पेटिशन प्रणाली की व्याख्या करते हुए कहा कि अगर 10,000 लोग ई-याचिका पर हस्ताक्षर करते हैं, तो प्रधानमंत्री या संबंधित मंत्री को याचिका का जवाब देना होगा. इसी तरह, जब एक विशेष मुद्दे से जुड़ी ई-याचिका पर एक लाख लोगों द्वारा हस्ताक्षर किए गए हैं तो इस मुद्दे पर देश की संसद में बहस की जानी चाहिए.