सोशल नेटवर्किंग साइटों को खंगालेंगे आयकर अधिकारी, डेटा विश्लेषण और सूचनाओं से पता लगाएंगे किसी व्यक्ति के खर्च और आमदनी के बीच का अंतर.
नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर एक्टिव यूजर्स के सावधान होने का समय है. आयकर विभाग ने फैसला किया है कि वह अपने अधिकारियों को सोशल मीडिया अकाउंट पर एक्टिव करेगा, जहां अधिकारी कालेधन की तलाश करेंगे.
इंस्टाग्राम पर यदि आपने अपनी लग्जरी गाड़ी का फोटो डाला है, या फिर फेसबुक पर महंगी घड़ी की फोटो अपलोड की है, तो आयकर अधिकारी आपके घर का दरवाजा खटखटा सकते हैं. आयकर विभाग ने अगले महीने से कालेधन का पता लगाने को सोशल नेटवर्किंग साइटों को खंगालने का फैसला किया है.
आयकर विभाग अगले महीने प्रोजेक्ट इनसाइट शुरू करने जा रहा है. इसके तहत विभाग बड़े पैमाने पर डेटा विश्लेषण और सोशल साइटों पर मौजूद सूचनाओं को मिलाएगा जिससे किसी व्यक्ति के खर्च के तरीके और घोषित आमदनी के बीच अंतर का पता लगाया जा सके.
एक अधिकारी ने कहा कि कर विभाग कर चोरी तथा कालेधन को पकड़ने के लिए आय घोषणा तथा खर्च के तरीके में अंतर का विश्लेषण करेगा.
किसी व्यक्ति की आय और संपत्ति का पता लगाने के लिए आयकर विभाग ने पैन को आधार से जोड़ना भी अनिवार्य कर दिया है. कर विभाग ने पिछले साल प्रोजेक्ट इनसाइट के क्रियान्वयन के लिए एलएंडटी इन्फोटेक के साथ करार किया था. इसका मकसद कर अनुपालन में सुधार के लिए सूचनाओं को जुटाना है.
एक अधिकारी ने कहा, फिलहाल बीटा परीक्षण चल रहा है. प्रोजेक्ट इनसाइट के लिए एकीकृत प्लेटफार्म अगले महीने शुरू किया जाएगा. आयकर विभाग ने कर दायरा बढ़ाने के लिए प्रोजेक्ट इनसाइट परियोजना की पहल की है. इसके तहत आयकर विभाग डेटा जुटाएगा. इससे कर अधिकारियों को ऊंचे मूल्य के लेनदेन का पता लगाने और कालेधन के प्रवाह पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी.
अधिकारी ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी आधारित प्रोजेक्ट इनसाइट परियोजना से सूचना आधारित रुख को मजबूत करने में मदद मिलेगी और कर अनुपालन में सुधार होगा. इस नये तकनीकी ढांचे का इस्तेमाल विदेशी खाता कर अनुपालन कानून (फाटका) तथा सामान्य रिपोर्टिंग मानक (सीआरएस) के लिए भी किया जाएगा.
प्रोजेक्ट इनसाइट के तहत एक नया अनुपालन प्रबंधन केंद्रीयकृत प्रसंस्करण केंद्र (सीएमसीपीसी) स्थापित किया जाएगा.