राज्य भर में गोशालाएं बनाने जा रही योगी सरकार को गोबर-गोमूत्र खरीदने का सुझाव

सर्वदलीय गोरक्षा मंच ने कहा, अगर सरकार उनके गोबर और गोमूत्र खरीदने की गारंटी दे तो एक भी गोवंशीय पशु सड़क पर नहीं दिखेगा.

/
(फोटो: पीटीआई)

सर्वदलीय गोरक्षा मंच ने कहा, अगर सरकार उनके गोबर और गोमूत्र खरीदने की गारंटी दे तो एक भी गोवंशीय पशु सड़क पर नहीं दिखेगा.

yogi adityanath pti
(फोटो: पीटीआई)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में राजमार्गों तथा अन्य व्यस्त रास्तों पर छुट्टा घूमने वाले गोवंशीय पशुओं के कारण हो रही दुर्घटनाओं की खबरों के बीच एक प्रमुख गोरक्षा संगठन ने राज्य सरकार को गोबर और गोमूत्र खरीदने का सुझाव दिया है.

हालांकि राज्य गोसेवा आयोग का भी मानना है कि वह इन दोनों चीजों के सदुपयोग से गोशालाओं को स्वावलंबी बनाएगा. उत्तर प्रदेश समेत देश के 14 राज्यों में गोसंरक्षण के लिए काम रहे सर्वदलीय गोरक्षा मंच के अध्यक्ष जयपाल सिंह ने कहा कि राज्य में मुख्य मार्गों पर गोवंशीय पशुओं के लावारिस घूमने से तरह-तरह की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं.

उन्होंने कहा, लोग व्यावहारिक रूप से अनुपयोगी हो चुके अपने जानवरों को सड़क पर छोड़ रहे हैं. अगर सरकार उनके गोबर और गोमूत्र खरीदने की गारंटी दे तो एक भी गोवंशीय पशु सड़क पर नहीं दिखेगा.

सिंह ने कहा कि उनके संगठन ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को यह सुझाव पहले ही दे रखा है. उन्होंने कहा कि जिस तरह एक स्वदेशी कंपनी गोनाइल बना रही है, उसी तरह का उपक्रम सरकार क्यों नहीं शुरू करती. इससे सरकार को तो फायदा होगा ही, साथ ही गोवंशीय पशुओं की रक्षा भी होगी.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गत 30 अगस्त को एक बैठक में प्रदेश में छुट्टा पशुओं को रखने के उद्देश्य से गोशालाओं के लिए गोसंरक्षण समितियां गठित करने के सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को मध्य प्रदेश की तरह हर गोशाला को प्रत्येक गाय पर होने वाले खर्च का आधा हिस्सा देना चाहिए.

उन्होंने कहा कि हालांकि प्रदेश सरकार ने कहा है कि गोसंरक्षण समितियों को गोशालाओं का संचालन अपने संसाधनों से करना होगा. यह व्यावहारिक नहीं है, क्योंकि अगर सरकार आर्थिक मदद नहीं देगी तो समितियां अपने संसाधनों से कहां तक काम कर सकेंगी.

इस बीच, राज्य गोसेवा आयोग के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा हमारा पूरा ध्यान गोशालाओं को स्वावलंबी बनाने पर है. यह काम गोबर और गोमूत्र के सदुपयोग से ही होगा. गोबर का उपयोग खाद और कीटनाशक बनाने में होता है, जबकि दवाइयां बनाने में गोमूत्र का प्रयोग किया जाता है. गोशालाएं जिला गोसंरक्षण समितियों के मार्गदर्शन में ऐसा करेंगी. सरकार कच्चा गोबर और गोमूत्र नहीं खरीदेगी.

उन्होंने कहा कि ऐसी कोशिश होगी कि जैविक खाद बनाने के लिए कृषि विभाग, उर्वरक विभाग गोबर खरीदें तथा दवाइयां बनाने के लिए औषधि निर्माण इकाइयां गोमूत्र खरीदें. इसके लिए व्यवस्था बनाई जाएगी.

गुप्ता ने कहा कि सरकार बुंदेलखंड के सात जिलों तथा 16 नगर निगमों में गोशालाएं बनाएगी. बाकी जो अनुदान प्राप्त गोशालाएं हैं, उन्हें मिलने वाली मदद को बढ़ाया जाएगा.

उन्होंने माना कि इस वक्त सरकार की तरफ से गोशालाओं को दी जाने वाली धनराशि बहुत ज्यादा नहीं है. कोशिश की जाएगी कि इसे बढ़ाया जाए. इस वक्त केवल 10-15 गोशालाओं को ही सालाना करीब तीन-चार करोड़ रुपये का अनुदान दिया जा रहा है. हालांकि प्रदेश में 492 गोशालाएं गोशाला निबंधक कार्यालय में पंजीकृत हैं.

गुप्ता ने बताया कि राजस्थान में सालाना करीब 150 करोड़ रुपये सहायता दी जा रही है. मध्य प्रदेश में यह धनराशि लगभग 25 करोड़ रुपये है.