टोक्यो पैरालंपिक: भारत का खाता खुता, भाविनाबेन पटेल ने टेबल टेनिस स्पर्धा में जीता रजत पदक

भारत की टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविनाबेन पटेल पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला खिलाड़ी बनने में सफल रहीं. भारतीय पैरालंपिक समिति की मौजूदा अध्यक्ष दीपा मलिक पांच साल पहले रियो पैरालंपिक के गोला फेंक स्पर्धा में रजत पदक के साथ पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थीं.

भाविनाबेन पटेल. (फोटो साभार: ट्विटर/@Paralympics)

भारत की टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविनाबेन पटेल पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला खिलाड़ी बनने में सफल रहीं. भारतीय पैरालंपिक समिति की मौजूदा अध्यक्ष दीपा मलिक पांच साल पहले रियो पैरालंपिक के गोला फेंक स्पर्धा में रजत पदक के साथ पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थीं.

भाविनाबेन पटेल. (फोटो साभार: ट्विटर/@Paralympics)

टोक्यो/नई दिल्ली: भाविनाबेन पटेल को टेबल टेनिस क्लास 4 स्पर्धा के महिला एकल फाइनल में रविवार को यहां दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी चीन की झाउ यिंग के खिलाफ 0-3 से शिकस्त का सामना करना पड़ा, लेकिन वह ऐतिहासिक रजत पदक के साथ जापान की राजधानी टोक्यो में चल रहे पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला खिलाड़ी बनने में सफल रहीं.

इस स्पर्धा में पदक जीतने वाली भाविना पहली भारतीय खिलाड़ी हैं. इस पदक के साथ भारत ने मौजूदा खेलों में अपना खाता खोला है.

34 साल की भाविनाबेन दो बार की स्वर्ण पदक विजेता झाउ के खिलाफ 19 मिनट में 7-11, 5-11, 6-11 से हार गईं. वह हालांकि भारत को मौजूदा पैरालंपिक खेलों का पहला पदक दिलाने में सफल रहीं.

भाविनाबेन पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली सिर्फ दूसरी भारतीय महिला खिलाड़ी हैं. भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) की मौजूदा अध्यक्ष दीपा मलिक पांच साल पहले रियो पैरालंपिक में गोला फेंक में रजत पदक के साथ पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थीं.

भाविनाबेन को बधाई देते हुए दीपा ने कहा, ‘भाविना का प्रदर्शन देखना शानदार रहा, उन्होंने प्रतियोगिता में अपने खेल से विरोधियों को हैरान कर दिया.’

उन्होंने कहा, ‘उनका खेल, कौशल, धैर्य, वापसी करना, एकाग्रता बनाए रखना, इसे बयां करने के लिए शब्द नहीं हैं, यह विश्वस्तरीय है.’

दीपा ने कहा कि भाविनाबेन ने दिव्यांगता से जुड़ी वर्जनाओं को तोड़ दिया.

उन्होंने कहा, ‘निजी तौर पर मुझे लगता है कि यह एक व्यक्ति से दूसरे को जिम्मेदारी देना है. मैं हमेशा चाहती हूं कि महिलाएं आगे आएं और प्रतिनिधित्व करें जिससे कि हम दिव्यांगता से जुड़ी वर्जनाओं को तोड़ सकें और भाविना ने ऐसा ही किया.’

ह्वीलचेयर पर बैठकर खेलने वाली भाविनाबेन को इस हफ्ते की शुरुआत में अपने पहले ग्रुप मैच में भी झाउ के खिलाफ शिकस्त का सामना करना पड़ा था.

भाविनाबेन ने पदक जीतने के बाद कहा, ‘मैं यह पदक उन लोगों को समर्पित करती हूं, जिन्होंने मेरा समर्थन किया, पीसीआई (भारतीय पैरालंपिक समिति), साइ (भारतीय खेल प्राधिकरण), टॉप्स (टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना), ब्लाइंड पीपल एसोसिएशन और मेरे सभी मित्र और परिवार.’

उन्होंने कहा, ‘यह पदक मेरे कोच को भी समर्पित है, जिन्होंने हमेशा मेरा समर्थन किया और मुझे कड़ी ट्रेनिंग दी, जिससे कि मैं इस जगह पर पहुंच सकी. मेरे फिजियो, डाइटीशियन और खेल मनोवैज्ञानिक को भी विशेष धन्यवाद.’

बीजिंग और लंदन में स्वर्ण पदक सहित पैरालंपिक में पांच पदक जीतने वाली झाउ के खिलाफ भाविनाबेन जूझती नजर आईं और अधिकतर समय वापसी करने की कोशिशों में लगी रहीं.

विश्व चैंपियनशिप की छह बार की पदक विजेता झाउ ने दुनिया की 12वें नंबर की खिलाड़ी भाविनाबेन को कोई मौका नहीं दिया.

झाउ ने पहले गेम में 3-3 के स्कोर के बाद 7-5 की बढ़त बनाई. भाविनाबेन ने कुछ अंक और जुटाए, लेकिन चीन की खिलाड़ी पहला गेम जीतने में सफल रहीं.

दूसरे गेम में झाउ ने शानदार शुरुआत करते हुए 7-1 की बढ़त बनाई, जिसके बाद उन्हें दूसरा गेम जीतकर 2-0 की बढ़त बनाने में कोई परेशानी नहीं हुई.

तीसरे गेम में भाविनाबेन ने झाउ को कड़ी टक्कर देने की कोशिश की. एक समय स्कोर 5-5 से बराबर था, लेकिन इसके बाद चीन की खिलाड़ी ने जोरदार खेल दिखाते हुए गेम, मैच और खिताब जीत लिया.

मात्र 12 महीने की उम्र में पोलियो से संक्रमित होने वाली भाविनाबेन ने शनिवार को सेमीफाइनल में चीन की दुनिया की तीसरे नंबर की खिलाड़ी मियाओ झैंग को 7-11, 11-7, 11-4, 9-11, 11-8 से हराया था.

शुक्रवार को क्वार्टर फाइनल में भाविनाबेन ने रियो पैरालंपिक की स्वर्ण पदक विजेता और दुनिया की दूसरे नंबर की खिलाड़ी सर्बिया की बोरिस्लावा पेरिच रेंकोविच को हराकर पदक सुनिश्चित करते हुए इतिहास रचा था.

गुजरात के मेहसाणा जिले में एक छोटी परचून की दुकान चलाने वाले हंसमुखभाई पटेल की बेटी भाविना को पदक का दावेदार भी नहीं माना जा रहा था, लेकिन उन्होंने अपने प्रदर्शन से इतिहास रच दिया.

पटेल ने पहला गेम गंवा दिया, लेकिन बाद में दोनों गेम जीतकर शानदार वापसी की. तीसरा गेम जीतने में उन्हें चार मिनट ही लगे. चौथे गेम में चीनी खिलाड़ी ने फिर वापसी की, लेकिन निर्णायक पांचवें गेम में पटेल ने रोमांचक जीत दर्ज करके फाइनल में प्रवेश किया.

दुनिया की पूर्व नंबर एक खिलाड़ी मियाओ झैंग के खिलाफ पटेल की यह पहली जीत थी. दोनों इससे पहले 11 बार एक दूसरे से खेल चुकी हैं.

पैरा टेबल टेनिस की क्लास 1 से 5 ह्वीलचेयर खिलाड़ियों के लिए होती है. क्लास 4 के खिलाड़ियों का बैठने का संतुलन ठीक-ठाक होता है और उनकी बांह और हाथ पूरी तरह काम करते हैं.

भाविनाबेन 13 साल पहले अहमदाबाद के वस्त्रपुर क्षेत्र में ‘ब्लाइंड पीपल्स एसोसिएशन’ में इस खेल से जुड़ीं. वह वहां दिव्यांग लोगों के लिए आईटीआई की छात्र थीं.

वहां उन्होंने दृष्टिबाधित बच्चों को टेबल टेनिस खेलते हुए देखा और इस खेल से जुड़ने का फैसला किया. उन्होंने अहमदाबाद के रोटरी क्लब का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रतियोगिता में अपना पहला पदक जीता. वह गुजरात के लिए जूनियर क्रिकेट खेलने वाले निकुंज पटेल के साथ विवाह करके अहमदाबाद में रहती हैं.

भाविनाबेन पीटीटी थाईलैंड टेबल टेनिस चैंपियनशिप में भारत के लिए रजत पदक जीतकर 2011 में दुनिया की दूसरे नंबर की खिलाड़ी बनीं. अक्टूबर 2013 में भाविनाबेन ने बीजिंग में एशियाई पैरा टेबल टेनिस चैंपियनशिप में महिला एकल क्लास 4 का रजत पदक जीता.

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ने पैरालंपिक में रजत पदक जीतने के लिए भाविनाबेन को बधाई दी

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को टोक्यो खेलों में ऐतिहासिक रजत पदक जीतने के लिए टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविनाबेन पटेल को बधाई दी. मौजूदा पैरालंपिक खेलों में यह भारत का पहला पदक है.

राष्ट्रपति कोविंद ने ट्वीट किया, ‘भाविना पटेल ने पैरालंपिक में रजत पदक जीतकर भारतीय दल और खेल प्रेमियों को प्रेरित किया है. आपकी असाधारण प्रतिबद्धता और कौशल ने भारत को गौरवांवित किया है. इस शानदार उपलब्धि पर आपको मेरी ओर से बधाई.’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भाविनाबेन की उपलब्धि युवाओं के लिए प्रेरणा है.

मोदी ने ट्वीट किया, ‘भाविना पटेल ने इतिहास रचा. उन्होंने ऐतिहासिक रजत पदक जीता है. इसके लिए उन्हें बधाई. जीवन में उनकी यात्रा प्रेरणादायी है और यह अधिक युवाओं को खेलों से जोड़ेगी.’

प्रधानमंत्री ने भाविनाबेन से बात भी की और उन्हें इस शानदार उपलब्धि पर बधाई दी. उन्होंने इस खिलाड़ी को भविष्य के लिए भी शुभकामनाएं दी.

गुजरात के मेहसाणा के बड़नगर के सुंधिया गांव की रहने वाली भाविनाबेन से मोदी ने कहा कि वह भी कई बार सुंधिया जाते हैं. उन्होंने पूछा कि क्या अब भी उनका परिवार वहां रहता है.

भाविनाबेन ने कहा कि उनके माता-पिता अब भी वहां रहते हैं.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी सोशल मीडिया पर उन्हें बधाई दी.

सीतारमण ने ट्विटर पर लिखा, ‘पैरा टेबल टेनिस में रजत पदक जीतने के लिए भाविना पटेल को बधाई. आपकी दृढ़ता और सफलता कई लोगों के लिए प्रेरणा बनेगी.’

राहुल गांधी ने लिखा, ‘रजत पदक जीतने के लिए भाविना पटेल को बधाई. भारत आपकी उपलब्धि की सराहना करता है. आपने देश को गौरवांवित किया है.’

भारत के पहले व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा ने लिखा, ‘रजत पदक जीतकर भाविना पटेल ने शानदार प्रदर्शन किया और टोक्यो 2020 पैरालंपिक में भारत का खाता खोला. कौशल और मानसिक दृढ़ता का शानदार प्रदर्शन. बेहद गर्व है.’

पूर्व क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग, वीवीएस लक्ष्मण और अनिल कुंबले ने भी ऐतिहासिक पदक के लिए भाविनाबेन को बधाई दी.

सहवाग ने लिखा, ‘मौजूदा टोक्यो पैरालंपिक की महिला एकल क्लास 4 टेनिस स्पर्धा में भारत के लिए पहला रजत पदक जीतने के लिए भाविना पटेल को बधाई. एकग्रता, कड़ी मेहनत और मानसिक दृढ़ता का शानदार प्रदर्शन.’

लक्ष्मण ने ट्वीट किया, ‘भारत को रजत पदक. भाविना पटेल को बहुत बहुत बधाई जिन्होंने पैरालंपिक इतिहास में पदक जीतने वाली पहली भारतीय पैरा टेबल टेनिस खिलाड़ी बनकर इतिहास रचा.’

कुंबले ने लिखा, ‘भाविना पटेल आपको बधाइयां. आप पर गर्व है.’

मैं खुद को दिव्यांग नहीं मानती: भाविनाबेन पटेल

फाइनल में पहुंचकर इतिहास रचने वाली भारत की पहली टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविनाबेन पटेल ने शनिवार को कहा था कि वह खुद को दिव्यांग नहीं मानतीं और टोक्यो खेलों में उनके प्रदर्शन ने साबित कर दिया कि कुछ भी असंभव नहीं है .

बारह महीने की उम्र में पोलियो की शिकार हुई पटेल ने कहा था, ‘मैं खुद को दिव्यांग नहीं मानती. मुझे हमेशा से यकीन था कि मैं कुछ भी कर सकती हूं और मैंने साबित कर दिया कि हम किसी से कम नहीं है और पैरा टेबल टेनिस भी दूसरे खेलों से पीछे नहीं है.’

उन्होंने कहा था, ‘मैंने चीन के खिलाफ खेला है और यह हमेशा कहा जाता है कि चीन को हराना आसान नहीं होता है. मैंने आज साबित कर दिया कि कुछ भी असंभव नहीं है. हम कुछ भी कर सकते हैं.’

पटेल ने कहा कि खेल के मानसिक पहलू पर फोकस करने से उन्हें मैच के दौरान मदद मिली.

उन्होंने कहा था, ‘मेरा दिन सुबह चार बजे शुरू हो जाता है और मैं ध्यान तथा योग के जरिये मानसिक एकाग्रता लाने का प्रयास करती हूं. मैचों के दौरान कई बार हम जल्दबाजी में गलतियां करते हैं और अंक गंवा देते हैं लेकिन मैंने अपने विचारों पर नियंत्रण रखा.’